यमक अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण ||Yamak Alankar in Hindi |सबसे सरल उदाहरण|

top heddar

यमक अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण ||Yamak Alankar in Hindi |सबसे सरल उदाहरण|

यमक अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण ||Yamak Alankar in Hindi |सबसे सरल उदाहरण|

प्रिय पाठक स्वागत है आपका Nitya Study Point.com के एक नए आर्टिकल में इस आर्टिकल में हम यमक अलंकार के बारे में पढ़ेंगे, साथ ही यमक अलंकार की परिभाषा और यमक अलंकार के उदाहरण भी देखेंगे तो चलिए विस्तार से जानते हैं। - Yamak Alankar Kise Kahate Hain.

अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी जा रही है। और साथ में टेलीग्राम ग्रुप की भी लिंक जॉइन कर लीजिएगा। Yamak Alankar

👉 Joined Telegram Group 👈


👉 Visit our YouTube Channel👈

Yamak Alankar, yamak Alankar Kise Kahate Hain, yamak Alankar ki paribhasha, yamak Alankar ke udaharan, yamak Alankar ke bhed, यमक अलंकार किसे कहते हैं, यमक अलंकार की परिभाषा, यमक अलंकार के सरल उदाहरण, अलंकार, यमक अलंकार के भेद, यमक अलंकार, यमक अलंकार के रूप, अलंकार किसे कहते हैं, यमक अलंकार के सबसे सरल उदाहरण, easy example of yamak Alankar in Hindi, yamak Alankar example in English, yamak Alankar

Yamak Alankar, yamak Alankar Kise Kahate Hain, yamak Alankar ki paribhasha, yamak Alankar ke udaharan, yamak Alankar ke bhed, यमक अलंकार किसे कहते हैं, यमक अलंकार की परिभाषा, यमक अलंकार के सरल उदाहरण, अलंकार, यमक अलंकार के भेद, यमक अलंकार, यमक अलंकार के रूप

यमक अलंकार किसे कहते हैं?

जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काम का सौंदर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है।


प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ हर बार अलग-अलग होता है शब्द की दो बार आवृत्ति होना वाक्य का यमक अलंकार के अंतर्गत आने के लिए आवश्यक है।


👉 उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं?


यमक अलंकार की परिभाषा - 


जब कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न-भिन्न हो वहां पर यमक अलंकार होता है।


यमक अलंकार एक प्रमुख शब्दालंकार है सामान्य रूप से यमक का लक्षण यह है कि जहां शब्दों की आवृत्ति हो और अर्थ भिन्न-भिन्न हो यमक अलंकार कहलाता है।


जैसे - 


कहै कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीनी ।

रति रति सोभा सब रति के शरीर की ॥


पहली पंक्ति में बेनी शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहली बार प्रयुक्त शब्द बेनी कवि का नाम है तथा दूसरी बार प्रयुक्त बेनी का अर्थ है चोटी। इसी प्रकार दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त रति रति शब्द तीन बार प्रयुक्त हुआ है पहली बार प्रयुक्त रति रति का अर्थ है समीप जरा जरा सी और दूसरे स्थान पर प्रयुक्त रति का अर्थ है कामदेव की परम सुंदर पत्नी रति इसी प्रकार बेनी और रति शब्दों की आवृत्ति में चमत्कार उत्पन्न किया गया है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


👉 रूपक अलंकार किसे कहते हैं?


भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार ।

दूरि भजन जाते कह्यौ, सौ तू भज्यौ गँवार ॥


प्रस्तुत दोहे में भजन और भज्यौ शब्दों की प्रवृत्ति हुई | भजन शब्द के दो अर्थ है -भजन का अर्थ है पूजन और दूसरे भजन का अर्थ है भाग जाना । इसी प्रकार भज्यौ के भी दो अर्थ है एक का अर्थ है भजन किया और दूसरे का अर्थ है भाग गया। इस प्रकार भजन और भज्यौ शब्दों की आवृत्ति ने इस दोहे में चमत्कार उत्पन्न कर दिया है अतः यहां पर यमक अलंकार है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


काली घटा का घमंड घटा,

नभ मंडल तारक वृंद खेलें । 


उपर्युक्त काव्य पंक्ति में शरद के आगमन पर उसके सौंदर्य का चित्रण किया गया है। वर्षा बीत गई है शरद ऋतु आ गई है। काली घटा का घमंड घटा गया है। घटा शब्द के दो विभिन्न अर्थ हैं एक का अर्थ है काले बादल और दूसरे का अर्थ है कम हो गया। घटा शब्द ने इस पंक्ति में सुंदरता उत्पन्न कर दी है। यही यमक का सौंदर्य है इसलिए यहां पर यमक अलंकार है।

अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय ।

वा खाए बौराए जग , या पाए बैराय ॥


👉 उपमा अलंकार किसे कहते हैं?


उपयुक्त पंक्ति में कनक शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। परंतु यहां पर दोनों के अर्थ अलग-अलग है एक कनक का अर्थ है सोना और दूसरे कनक का अर्थ है धतूरा। कहने का आशय यह है कि यदि मनुष्य को अधिक धन मिल जाता है तब भी वह बौरा जाता है और अगर वह धतूरा खा ले तो भी वह बौरा जाता है। इसलिए यहां पर कनक शब्द ने इस पंक्ति में सुंदरता उत्पन्न कर दी है अतः यहां पर यमक अलंकार है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर ।

कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।


ऊपर दिए गए पद्यांश में मनका शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है। पहली बार मनका का आशय माला के मोती से है और दूसरी बार मनका का अर्थ है मन की भावनाओं से। अतः यहां पर एक ही शब्द के दो भिन्न भिन्न अर्थ है इसलिए यहां पर यमक अलंकार है। यहां पर मनका शब्द ने इस पंक्ति में सुंदरता उत्पन्न कर दी है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।



किसी सोच में हो विभोर सांसे कुछ ठंडी खींची।

फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आंखें मिंची।


ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं यहां दिया शब्द की एक से ज्यादा बार आवृत्ति हो रही है। पहली बार यह शब्द हमें दिए को बुझा देने की क्रिया का बोल कर आ रहा है। दूसरी बारी है शब्द दिया संज्ञा का बोध करा रहा है।

यहां दो बार आवृत्ति होने पर दोनों बाहर अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा है हम जानते हैं कि जब शब्द की एक से ज्यादा बार आवृत्ति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहां यमक अलंकार होता है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।



माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।

कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।


जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां मन का शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो रही है। पहली बार यह शब्द हमें हमारे मन के बारे में बता रहे हैं और दूसरी बार एक शब्द की आवृत्ति से हमें माला के दाने का बोध हो रहा है। हम जानते हैं कि जब शब्द की एक से ज्यादा बार आवृत्ति होती है और उसके अर्थ भिन्न-भिन्न हो वहां पर यमक अलंकार होता है। इसलिए यहां पर यमक अलंकार है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।



ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहन वारि।

ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।।


जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां ऊंचे घोर मंदर शब्दों की आवृत्ति दो बार की जा रही है। यहां दोबारा आवृत्ति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहे हैं हम जानते हैं कि जब शब्द की एक से ज्यादा बार आवृत्ति होती है परंतु उसके अर्थ भिन्न-भिन्न हो वहां पर यमक अलंकार होता है।


अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण - 


•केकी रव कि नूपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास ॥



•बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन ॥



•तोपर वारौं उस बसी, सुन राधिके सुजान ।

तू मोहन के उस बसी ह्वे उरबशी सामान ॥



•भर गया जी हनीफ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर ।

यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर ॥



•जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं ।



•तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है ।



•कहैं कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लेनी ।



•बैरी बर छीने बरछीने, बैरी भाले भा ले निकले ।


इन्हें भी पढ़ें 👉👉


उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं?


ज्योति जवाहर खंडकाव्य का सारांश

रूपक अलंकार किसे कहते हैं?


उपमा अलंकार किसे कहते हैं?


करुण रस किसे कहते हैं?


हास्य रस किसे कहते हैं?


SDM कैसे बने पूरी जानकारी

जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं?


वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?


निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं कारण निवारण एवं किरण आरेख


दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं? कारण, निवारण एवं किरण आरेख


मानव नेत्र के विभिन्न भागों का वर्णन चित्र सहित


चुंबकीय बल रेखा किसे कहते हैं? चुंबकीय बल रेखा के गुण


प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर


वास्तविक और आभासी प्रतिबिंब में अंतर


ठोस द्रव और गैस में अंतर


डीएनए और आरएनए में अंतर


वायवीय और अवायवीय श्वसन में अंतर


जीनोटाइप और फेनोटाइप में अंतर


स्वपरागण और परपरागण में अंतर


उत्तल और अवतल लेंस में अंतर


श्वसन और दहन में अंतर


हीरा और ग्रेफाइट में अंतर


कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ में अंतर


अम्ल और क्षार में अंतर


चाल और वेग में अंतर


लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर


धातु और अधातु में अंतर


जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर


भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध


जनसंख्या वृद्धि पर निबंध


राष्ट्रीय एकता पर निबंध


योग के महत्व पर निबंध


अनुशासन के महत्व पर निबंध


अच्छी संगति पर निबंध हिंदी में


जीवन में खेलकूद की उपयोगिता पर निबंध


बेरोजगारी पर निबंध समस्या एवं समाधान


मोबाइल के लाभ हानि पर निबंध


विज्ञान पर निबंध हिंदी में


देशाटन पर निबंध

उपन्यास और कहानी में अंतर

महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर

छायावादी युग किसे कहते हैं? तथा इसकी प्रमुख विशेषताएं






आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय


डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय



पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय


तुलसीदास जी का जीवन परिचय


सूरदास जी का जीवन परिचय



Post a Comment

Previous Post Next Post

left

ADD1