राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? | Rajbhasha aur Rashtrabhasha mein antar

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राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? | Rajbhasha aur Rashtrabhasha mein antar

राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? | Rajbhasha aur Rashtrabhasha mein antar



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राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है


देश की भाषा की जब भी बात होती है तो अक्सर कुछ बातें चर्चा में आ जाती है जैसे राजभाषा क्या है, राष्ट्रभाषा किसे कहते हैं? क्या राजभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही चीज है? यदि नहीं तो राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? हिंदी राजभाषा है या राष्ट्रभाषा, यदि राजभाषा है तो हिंदी राष्ट्रभाषा क्यों नहीं है आदि।

आज के इस पोस्ट में हम यही चर्चा करेंगे की राजभाषा क्या है, राष्ट्रभाषा किसे कहते हैं, राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? हिंदी राजभाषा है राष्ट्रभाषा नहीं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं।


राष्ट्रभाषा----


  • राष्ट्रभाषा का अर्थ है -- समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा अर्थात आम जन की भाषा। जो समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार विनियम का माध्यम हो।

  • राष्ट्रभाषा शब्द संवैधानिक शब्द नहीं है बल्कि यह प्रयोगात्मक व्यवहारिक जन मान्यता प्राप्त शब्द है।

  • राष्ट्रभाषा सामाजिक-- सांस्कृतिक मान्यताओं परंपराओं के द्वारा सामाजिक सांस्कृतिक स्तर पर देश को जोड़ने का काम करते हैं।

  • राष्ट्रभाषा का प्रयोग क्षेत्र विस्तृत और देश व्यापी होता है ‌। राष्ट्रभाषा सारे देश की संपर्क भाषा होती है।

  • राष्ट्रभाषा का रूप लचीला होता है और इसे जनता के अनुरूप किसी भी रूप में ढाला जा सकता है।

  • हमारे देश भारत की कोई भी राष्ट्रभाषा नहीं है। हिंदी हमारे देश की राजभाषा है।

  • हमारे देश की संपर्क भाषा और राजभाषा दोनों हिंदी हैं।

  • राष्ट्रभाषा एक स्वाभाविक तथा संस्कृति से उत्पन्न शब्द है और यह जनता की भाषा होती है।


राष्ट्रभाषा किसे कहते हैं?


ऐसी भाषा जो समस्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती हो तथा देश के अधिकांश जनता के द्वारा बोली और समझी जाती हो, राष्ट्रभाषा कहलाते हैं। एक तरह से देखा जाए तो किसी देश की राजभाषा ही राष्ट्रभाषा होती है किंतु जाए हमेशा और पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।

वास्तव में राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ ही है समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त होने वाली भाषा। अतः राष्ट्रभाषा आम जन की भाषा होती है और किसी राष्ट्र के प्राय: अधिकांश या बड़े भूभाग और जनसंख्या के द्वारा बोली और समझी जाती है एक राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र की बहुसंख्यक आबादी की ना केवल रोज मर्रा की भाषा होती है बल्कि है समूचे राष्ट्र में संपर्क भाषा का भी काम करती है।



राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र की पहचान होती है। यह राष्ट्रीय एकता और अंतरराष्ट्रीय संवाद पर संपर्क की आवश्यकता भी होती है। वैसे तो किसी देश में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती हैं किंतु राष्ट्र की जनता जब स्थानीय एवं तत्कालीन हेतु एवं पूर्व ग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई भाषाओं में से किसी एक को चुन कर उसे राष्ट्रीय अस्मिता का एक आवश्यक उपादान समझने लगे तो वही राष्ट्रभाषा होती है। वास्तव में राष्ट्रभाषा राष्ट्र के समस्त राष्ट्र की तत्वों को व्यक्त करने के साथ-साथ समूचे राष्ट्र में भावनात्मक एकता कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत मैं अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। जहां सैकड़ों भाषाएं तथा बोलियां बोली जाती हैं। हमारे संविधान में 22 भाषाओं को राष्ट्रीय स्वीकृति मिली है। तथा उन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। ऐसे में संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक संपर्क भाषा का होना और भी आवश्यक हो जाता है जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सकें। इसके लिए एक सरल सहज और सर्वग्राह्य भाषा का होना आवश्यक है। हिंदी इस मापदंड पर खरी उतरती है। यह 11 राज्यों के साथ-साथ संघ की राजभाषा है। इस तरह या एक बड़े भूभाग और बहुत बड़ी जनसंख्या में बोली जाने वाली भाषा है। इसके साथ ही भारत के हर राज्य में थोड़े बहुत लोग मिल जाएंगे जो थोड़ी बहुत हिंदी बोल लिख वा पढ़ सकते हैं। यही वजह है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर स्वीकार करने की मांग होती है।



राजभाषा ----


  • राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है-- राजकाज की भाषा। जो भाषा देश के राज्य की कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है वह "राजभाषा" कहलाती है।

  • राजाओं नवाबों के जमाने में इसे "दरबारी भाषा" कहते हैं।

  • राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। इंडिगो 14 सितंबर 1949 को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया, इसलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है।

  • राजभाषा का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है, जिसके साथ छेड़छाड़ या प्रयोग नहीं किया जा सकता।

  • वर्तमान समय में भारत सरकार के कार्यालयों एवं हिंदी भाषी राज्यों में राजकाज हिंदी में होता है। अन्य राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषाओं में कार्य करते हैं। यथा--महाराष्ट्र मराठी में, गुजरात गुजराती में, पंजाब पंजाबी में आदि।


राजभाषा क्या है?


वास्तव में राजभाषा का शाब्दिक अर्थ ही होता है। राजकाज की भाषा। आता भाई भाषा जो देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है "राजभाषा "कहलाती है। राजभाषा किसी देश या राज्य की मुख्य अधिकारी भाषा होती है जो समस्त राजकीय तथा प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है। राजाओं और नवाबों के जमाने में इसे दरबारी भाषा भी कहा जाता है। राजभाषा का एक निश्चित मानक और स्वरूप होता है और इसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। राजभाषा की शीला जी की आम जनमानस की भाषा होती है जिसे राज्य या देश की अधिकांश जनता समझती है और सामान्य बोलचाल में प्रयोग करती है।


-----राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर----



    राष्ट्रभाषा

    राजभाषा

यह पूरे राष्ट्र की भाषा होती है तथा अनिवार्य रूप से पूरे राष्ट्र में अपनाई जाती है।

राज्य विशेष की भाषा होती है तथा शासकीय सेवा व व्यवहार में आती है।

राष्ट्रभाषा पूरे देश की एक ही होती है।

किसी भी देश में राज्य भाषाएं कई हो सकती हैं।

राष्ट्रभाषा के लिए अंग्रेजी में 'नेशनल लैंग्वेज' शब्द प्रयोग किया जाता है।

राजभाषा के लिए अंग्रेजी में 'ऑफिशियल लैंग्वेज' शब्द प्रयुक्त किया जाता है।

राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है और यही राज्य कार्य की भाषा होती है।

वही राष्ट्रभाषा एक स्वाभाविक तथा जन शक्ति से उत्पन्न शब्द है और यह जनता की भाषा होती है।


हिंदी को राजभाषा के रूप में कब स्वीकार किया गया था।


सन 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में महात्मा गांधी जी ने सर्वप्रथम हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप स्वीकार करने की मांग की थी। उन्होंने इसे भारत की जनमानस की भाषा कहा था।14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने के संबंध में निर्णय लिया था। 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के द्वारा हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा दिया गया।


संविधान के अनुच्छेद 393 (1) के अनुसार 'संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।'


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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?


संविधान के अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक राजभाषा संबंधित संवैधानिक अधिकारों के प्रावधान किए गए हैं। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। राष्ट्रपति के आदेश द्वारा 1960 में आयोग की स्थापना की गई और फिर 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित हुआ। 1968 में राजभाषा संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।


भारत देश में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिला। यह भारत देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कार की प्रतिबिंब है। व्हाई देश की एकता का प्रतीक है।

हिंदी भाषा भारत देश की पहचान है हिंदी का भाषा में अमूल्य महत्व है। हिंदी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश हिंदी को बचाने का एक प्रयास भी है ।आज हम अंग्रेजी भाषा को अधिक महत्व दे रहे हैं। जिस व्यक्ति को अंग्रेजी नहीं आती उसे हम गवार समझते हैं।

हिंदी दिवस के अवसर पर हम यह लिखना चाहते हैं कि अपने हिंदी भाषा को छोड़कर अंग्रेजी की भाषा को अधिक महत्व ना दें। हमें अंग्रेजी जरूर सीखनी चाहिए पर हिंदी का महत्व कम करके नहीं। हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हिंदी भाषा हमारा अभिमान है। हिंदी हमारे भारत का गौरव है। इस दिन हम भारतवासी है प्रण करें कि हिंदी भाषा को आगे बढ़ाएं, उसकी हमेशा उन्नति करें।


हिंदी दिवस पर हमने ठाना है,

   लोगों में हिंदी का स्वाभिमान जगाना है



'जन-जन को जो मिलाती है

 वह भाषा हिंदी कहलाती है।'


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उपसंहार --


प्रत्येक राज्य की अपना राजकाज और प्रशासन की गतिविधियों को चलाने के लिए एक निश्चित भाषा की आवश्यकता होती है। यह भाषा राजभाषा कहलाती है। प्राय: यह भाषा उस क्षेत्र की बहुत बड़ी आबादी के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा होती है। पिंटू राजभाषा होने की स्थिति में इसके कुछ मापदंड निश्चित हो जाते हैं और फिर भाषा की स्वाभाविक था और लचीलापन गायब हो जाता है। यही खास बात इसे राष्ट्रभाषा से अलग करती है और यही खास बात राष्ट्रभाषा को अधिक व्यापक क्षेत्र और स्वीकार्यता प्रदान करते हैं।




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