देशाटन पर निबंध | Essay On Benefits Of Travelling In Hindi | Dehshat Essay in Hindi

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देशाटन पर निबंध | Essay On Benefits Of Travelling In Hindi | Dehshat Essay in Hindi

देशाटन पर निबंध | Essay On Benefits Of Travelling In Hindi | Dehshat Essay in Hindi


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देशाटन से लाभ (2019,20)

अथवा पर्यटन का महत्व (2013,14,16)

अथवा भारत में पर्यटन विकास (2017,18)

अथवा वर्तमान युग में पर्यटन की उपयोगिता (2015)


संकेत बिंदु:- प्रस्तावना, पर्यटन के लाभ, देशाटन का अर्थ,रोजगार का साधन, भारत में पर्यटन को प्रोत्साहन, देशाटन से लाभ, देशाटन से कृषि मे लाभ, उपसंहार।



प्रस्तावना


शिक्षा के प्रसार ने लोगों में विश्व के अलग-अलग हिस्सों में जाकर वहां की जानकारी एकत्र करने की प्रबल इच्छा पैदा की है। नए अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त करना तो कारण है ही, साथ ही हवाई परिवहन में प्रगति एवं पर्यटक सुविधाओं के विकास ने भी सीमाओं से बाहर निकलकर विचरण करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है। विशेष रुप से दूरस्थ एवं पिछड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन के तंत्र के रूप में पर्यटन के महत्व को विश्व भर में पहचान मिली है। आज पर्यटन उद्योग सकल राजस्व के साथ-साथ विदेशी मुद्रा आय के मामले में संपूर्ण विश्व में एक वृहत सेवा उद्योग बन चुका है। मनुष्य जन्म से ही जिज्ञासा स्वभाव का है। वह प्रत्येक वस्तु को आश्चर्य के साथ देखने की बड़ी इच्छा रखता है। वह अपने जीवन में काम आने वाली वस्तुओं को देखने और जानने के सिवाय और भी वस्तु और पदार्थों को बार-बार देखना और समझना चाहता है। इस प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति एक जगह से दूसरी जगह आने जाने से आसानी से और अधिक से अधिक रूप में हो जाती है। मनुष्य जब एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करता है तब इसे हम देशाटन कहते हैं।


देशाटन के द्वारा मनुष्य कभी धरती पर तो कभी आसमान पर फिर कभी जंगलों में मंगल गान करता है। तो कभी विस्तृत और कठिन पहाड़ों पर विचरता है। कभी-कभी तो वह नदियों और समुद्रों की छाती पर करता है। तो कभी-कभी वह बहुत दूर तक फैले हुए सुनसान रेत के टीलों पर और सपाट धरातल पर भी चल चल कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है। विश्वकर्म रोज अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार से भ्रमण कार्यकर्ता हुआ अपने जीवन का विकास करने में संलग्न रहता है।



पर्यटन के लाभ


पर्यटन के कई लाभ हैं। पर्यटन से ना सिर्फ मनोरंजन होता है, बल्कि यह शिक्षा एवं अनुभव प्राप्त करने का भी एक अच्छा साधन है, इसलिए स्कूल कॉलेजों में हर वर्ष छात्रों को पर्यटन के लिए किसी-ना-किसी स्थान पर ले जाया जाता है। पर्यटन से व्यक्ति में नवजीवन का संचार होता है, इसलिए लोग वर्ष में एक बार पर्यटन के लिए अवश्य समय निकालते हैं।


     जिंदगी की इस भाग-दौड़ में पर्यटन का महत्व भी बढ़ गया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यस्ततम जीवन में से समय निकालकर किसी-न-किसी स्थान पर घूमने के लिए जाते रहना चाहिए। इससे उस व्यक्ति के जीवन में बदलाव भी आता है। ऐतिहासिक स्थलों पर पर्यटन की स्थिति में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इससे ऐतिहासिक घटनाओं को अनुभव करने का आभास होता है। जिन बातों का अनुभव हम ताजमहल और कुतुबमीनार को देखकर कर सकते हैं, उसे किसी भी किताब के माध्यम से बताया नहीं जा सकता।


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    पर्वत, पठारों, झीलों, नदियों की तस्वीरों या पाठ्य-सामग्रियों से हमें इसके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान नहीं हो सकता। नदी के पानी को छूकर देखने, पहाड़ों की सैर करने एवं झीलों में नौका-विहार का आनंद लेने के बाद इनके बारे में जो अनुभव होता है, वह विभिन्न प्रकार की किताबों से भी प्राप्त नहीं हो सकता।


देशाटन का आज जो स्वरूप है वह आज से पूर्व के समय में ना था। प्राचीन काल में देशाटन करना अत्यंत कठिन कार्य था। उस समय देशाटन करना एक मनुष्य बड़ी चुनौती थी। मार्ग की विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते करते मनुष्य से कभी-कभी अपनी हिम्मत हार जाता था क्योंकि उस समय उसे आज जैसे पर्याप्त साधन प्राप्त नहीं थे। इसलिए वह साधनों के अभाव में बहुत ही कष्टों को जेला करता था। लेकिन आज मनुष्य को सब प्रकार की सुविधाएं विज्ञान के द्वारा प्राप्त हो चुकी हैं। इसलिए इसे देशाटन करने में कोई बाधा नहीं होती है। यही कारण है कि वह आज अधिक से अधिक देशाटन करने में अपनी रुचि को बढ़ाता जा रहा है।




देशाटन का अर्थ


प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं भौगोलिक विभिन्नताओं तथा विशेषताओं से परिपूर्ण अपने देश तथा विदेश के भिन्न-भिन्न भागों एवं प्रांतों का भ्रमण करके वहां के रहन-सहन रंग-रूप, रीति-रिवाजों, भोजन, परंपराओं एवं संस्कृतियों आदि के दर्शन करना और उनके बारे में जानना देशाटन कहलाता है। दूसरे शब्दों में देशाटन से तात्पर्य देश विदेश का भ्रमण कर मनोरंजन एवं ज्ञान अर्जित करना है। देशाटन से मनुष्य को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इन लाभों में ज्ञान की प्राप्ति सर्वप्रथम है ज्ञान की प्राप्ति के द्वारा मनुष्य अपने जीवन को और अधिक विकास के पथ पर ले जाता है। या तो ज्ञान की प्राप्ति के साधन है। लेकिन देशाटन से जितना अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त है होता है उतना पुस्तकों से नहीं होता।


पुस्तकों के द्वारा तो केवल ज्ञान प्राप्त होता है इससे अनभाव नहीं प्राप्त होता। लेकिन देशाटन के द्वारा तो ज्ञान के साथ-साथ अनभय और दर्शन भी आसानी से हो जाते हैं।  देशाटन ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन और आधार है। इसे हम दूसरे प्रकार के समझ सकते हैं कि देशाटन के द्वारा हम जिन जिन स्थानों वस्तुओं और पदार्थों के स्पर्श दर्शन तथा ज्ञान से अनुभव प्राप्त करते हैं वह किसी और साधन के द्वारा ना तो संभव है और ना उसकी कोई कल्पना की जा सकती है। इस प्रकार से देशाटन के द्वारा हम जहां जाते हैं जैसे स्थान को देखते समझते हैं और जिन से हमारा संपर्क संबंध बन जाता है उन्हें हम भूल नहीं पाते। यही नहीं हम इंसानों की प्रकृति दशा जलवायु स्थिति प्रभाव आदि के विषय में जो कुछ भी ज्ञान प्राप्त करते हैं वह हमारी आंखों के सामने आते हैं इनसे हम व्यावहारिक और व्यक्तिगत ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।



रोजगार का साधन 

आधुनिक समय में पर्यटन का एक और लाभ यह है कि यह रोजगार का अच्छा साधन बन चुका है। भारत में भी यह एक बड़े सेवा उद्योग का रूप ले चुका है। भारत में हर वर्ष 50 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं तथा 50 लाख से अधिक घरेलू पर्यटक भी पर्यटन करते हैं। पर्यटन के दृष्टिकोण से पहाड़ी क्षेत्र, समुद्री तट एवं जंगल काफी महत्वपूर्ण एवं आनंददायक होते हैं।


            समुद्री तट की सैर एवं सूर्य-स्नान (सन-बाथ) का अपना अलग ही आनंद है। जंगल के विविध प्राणियों को देखने का रोमांच ही अलग होता है। गर्मी के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों की सैर का आनंद दोगुना हो जाता है। भारत में प्रायः हर राज्य पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आंकड़े बताते हैं कि आगरा का ताजमहल देखने प्रतिवर्ष लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। देशाटन के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के स्थानों की क्रियाकलाप कला कौशल, रहन-सहन आदि का पूर्ण रूप से ज्ञान प्राप्त करके इन्हें हम अपने जीवन में अपेक्षित सुधार या विकास लाते हैं। देशाटन से सबसे बड़ा लाभ यह भी होता है कि हम विभिन्न प्रकार के स्थानों और प्रकृति के विषय की पहचान करके किसी आवश्यकता के समय हम बेपरवाह या अज्ञानी बने नहीं रह सकते हैं। इसलिए यही कहना है सच ही है कि देशाटन से हमें चेतना, सावधानी, चौकशी, समझदारी,सतर्कता, स्वालंबन आदि महान गुण प्राप्त होते हैं। इन्हें पाकर हम अपने जीवन का अत्यधिक क्रियाशील बनाने में समर्थ होते हैं।


भारत में पर्यटन को प्रोत्साहन


लोगों में पर्यटन के प्रति रुझान के कारण ही पर्यटन मंत्रालय ने भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2002 में 'अतुल्य भारत (इंक्रेडेबल इंडिया) अभियान' की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत 'अतुल्य भारत' संबंधी विज्ञापन जनसंचार के माध्यमों में प्रकाशित एवं प्रचारित किया जाता है। इसमें भारतीय पर्यटन की विशेषताओं का उल्लेख किया जाता है।


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          विश्व भर में इस प्रचार अभियान ने भारत को एक ऐसे पर्यटन स्थल के रूप में दर्शाया, जिससे कला प्रेमियों, संस्कृति प्रेमियों, फिल्म प्रेमियों और रोमांच की तलाश में निकले पर्यटकों की भारत के प्रति खासी दिलचस्पी हुई। दुनिया भर के पर्यटकों के समक्ष भारत को एक उत्कृष्ट पर्यटक स्थल के रूप में पेश करने वाले इस 'अतुल्य भारत विज्ञापन अभियान' को ब्रिटेन द्वारा सर्वाधिक सृजनात्मक मीडिया अभियान के रूप में सम्मानित किया गया है। देशाटन के और लाखों के साथ एक यह भी लाभ है कि देशाटन से हमें भरपूर मनोरंजन होता है। देशाटन के द्वारा हम अपने मन और हुनर को खिला देते हैं। जैसे उन्हें नवजीवन मिल गया हो। देशाटन के द्वारा कवि ऊंचे ऊंचे पर्वतों मैदानों और घाटियों में घूमते फिरते हम बाग-बाग हो उठते हैं, तो कभी समुद्र की तरंगों पर उछलते हुए आनंद से झूम उठते हैं।


कभी-कभी तो हम ऐतिहासिक स्थलों को देख देख कर अपने कोमल भावनाओं के कारण आंसू बहाने लगते हैं तो कभी-कभी म्यूजियम, अजायबघर, कला भवन, आकाश को छूने वाले भवनों, शायरों, रंग-बिरंगे, उद्यानों आदि को देख देख कर हम अपने तन मन की सुध ही खो बैठते हैं। देशाटन से जो लाभ प्राप्त होते हैं उनमें स्वास्थ्य लाभ भी एक बहुत बड़ा लाभ है यही देशाटन का सबसे बड़ा तोहफा है इससे हमारे स्वास्थ्य में बहुत वृद्धि होती है हमारा मन और मस्तिष्क सुंदर ढंग से काम करने लगता है।


देशाटन से पूर्व की जाने वाली तैयारियां



देशाटन से पूर्व हमें उस स्थान के मौसम, खानपान, रहने की व्यवस्था आदि के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए, जिस स्थान पर हमें जाना है। इसके लिए पुस्तक को इंटरनेट या किसी व्यक्ति विशेष द्वारा भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हमें उस स्थान के दार्शनिक ऐतिहासिक स्मारकों, भाषा आदि का भी विशेष ज्ञान होना चाहिए। वहां की जलवायु का ज्ञान प्राप्त करके उसी के अनुसार वस्त्रों तथा भोजन आदि की भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे वहां पहुंचकर किसी प्रकार की असुविधा ना हो। इसके अतिरिक्त देशाटन से पूरे अपने साथ अपने सगे संबंधियों के फोन नंबर तथा जरूरी दवाइयां इत्यादि ले जाना भी जरूरी है। देशाटन करने वाले व्यक्ति जीवन में निरंतर आगे बढ़ता ही आता है। वह विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों और परेशानियों पर विजय प्राप्त कर रहा होता है। देशाटन से हमें लाभ ही लाभ है इसलिए हमें यथासंभव और यथाशक्ति के साथ अवश्य देशाटन करना चाहिए।



देशाटन से लाभ


देशाटन हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है चाहे वह बालक, युवा अथवा वृद्ध है। देशाटन से आनंद के साथ साथ अनुभव व ज्ञान प्राप्त होता है। देशाटन करने से मनुष्य को विभिन्न स्थानों को देखने व समझने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। देशाटन से मनोरंजन तथा स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आंतरिक जिज्ञासा अथवा वृत्तिया भी शांत होते हैं। एक स्थान पर रहते रहते जब इंसान का नीरसता महसूस करने लगता है। तब उसके हृदय में नई नई वस्तुओं को देखने तथा नए स्थानों पर जाकर नए नए लोगों से मिलने की इच्छा जागृत होती है।


पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति मैदानी नगरों में तथा मैदानी इलाकों में रहने वाला मानव मनोरम पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता को निहारने निकल पड़ता है। शासक वर्ग को  देशाटन से अधिक लाभ होते हैं। जब विभिन्न देशों की शासन व्यवस्था देखते हैं तब उनमें बहुत कुछ सीखते हैं और अपने देश में उसे ज्ञान द्वारा उपयोगी कार्य करते हैं। देशाटन द्वारा बहे अपने मित्रों की संख्या में वृद्धि करते हैं। दूसरे देशों से मित्रता करते हैं। अपनी नीति को अधिक सफल बनाने का कार्य करते हैं। उन्हें विभिन्न राष्ट्रों की रणनीति तथा युद्ध अस्त्रों का ज्ञान प्राप्त होता है। इस प्रकार से राष्ट्र नायकों का देशाटन का महत्वपूर्ण नहीं होता। यही कारण है कि देश विदेश के राजनीतिक देशाटन कहते हैं। महान नेताओं के देशाटन से अन्य देशों के साथ मैत्री का सूत्र बनता है।



देशाटन से कृषि मे लाभ


कृषकों के लिए भी देशाटन आवश्यक है। वह भी देशाटन के ज्ञान से अपनी कृषि में सुधार करके अपनी स्थिति सुधारने का प्रश्न कर सकते हैं। उनके इस सुधार कार्य में उनका देशाटन जनित ज्ञान उपयोगी सिद्ध होता है। इसी प्रकार धर्म प्रचारक देशाटन द्वारा अपने धर्म का प्रचार करते हैं तथा उनका कार्य जनकल्याण के लिए होता है इस प्रकार समाज के हर वर्ग के लिए देशाटन लाभकारी है। देशाटन से कृषि मजदूर अपने व्यापार में वृद्धि करके अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं और उसे पूरे विश्व में फैला सकते हैं। देशाटन करने के लिए सबसे पहले आपको एकाग्रता मानसिकता के रूप में स्वस्थ होना चाहिए।




उपसंहार 


वास्तव में, भारत मनमोहक दृश्यों, ऐतिहासिक महत्व के स्थानों तथा शानदार शहरों, सुनहरे तटों, धुंध वाले पर्वतों, रंग-बिरंगे लोगों, समृद्ध संस्कृति और त्योहारों का देश है। यह विदेशी यात्रियों के लिए लोकप्रिय गंतव्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अपनी पहचान बना रहा है।


          भारत की यात्रा पर्यटकों के लिए असाधारण होती है, क्योंकि आश्चर्यों से भरे इस देश में दक्षिण के सुंदर समुद्री तट, उत्तर में प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष, विशाल पर्वत, लंबी घाटियां, हरे-भरे मैदान एवं उष्णकटिबंधीय वर्षावन आदि दिलकश नजारे लोगों का मन मोहते हैं, इसलिए कहा जाता है कि यदि आप विश्वभ्रमण कर चुके हैं, तो आपने अब तक केवल आधी दुनिया ही देखी है और यदि आपने भारतीय उपमहाद्वीप का भ्रमण कर लिया है, तो आपने पूरी दुनिया देख ली है। अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और परंपरागत आध्यात्मिकता के कारण भारत प्राचीन काल से ही विश्व भर के उत्साही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।


         पर्यटन को एक उद्योग का दर्जा दिए जाने के बाद भारत में इस क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में भी भारत की साख बढ़ी है। इस तरह पर्यटन के दृष्टिकोण से भारत वास्तव में दुनिया में अतुल्य है। आने वाले कुछ वर्षों में भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में नि:संदेह और भी वृद्धि होगी। भारतवर्ष और विशेषकर हिंदू समाज एक ऐसा समाज है जिसमें जीवन के लिए उपयोगी सभी बातों को धार्मिक दृष्टिकोण प्रदान किया गया है। भारतीय ऋषियों और मनीषियों ने धर्म को जीवन के विभिन्न अंगों से संबंधित कर दिया है। प्रयागराज, हरिद्वार, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, उज्जैन का धाम  काशी और गंगा सागर आदि सभी तीर्थों में पर्वों पर मेले का आयोजन किया गया है। लोग यहां आकर मन के अनुकूल फल प्राप्त करते हैं।


कोई धर्म भावना की प्राप्ति करता है, तो कोई अर्थ कमाता है। कोई आनंद प्राप्त करता है तो कोई मोक्ष साधना में लीन रहता है। भारतीय पद्धति में देशाटन अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी फलों का दाता है। परमेश्वर की सौंदर्य दृष्टि में अनेक विचित्र रूप है और उसका ज्ञान देशाटन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। देशाटन जीवन का धर्म है इसके बिना जीवन की सर्वागीण उन्नति संभव नहीं है।


देशाटन का समास विग्रह कीजिए।

देशाटन में तत्पुरुष समास का उत्तर पद का अंतिम पद प्रधान होता है। ऐसे समाज में प्राया प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष होते हैं। नित्य पार्टी के विशेष से होने के कारण समाज में इस की प्रधानता होती है।


देशाटन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

देशाटन हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है चाहे वह बालक, युवा अथवा वृद्ध है। देशाटन से आनंद के साथ साथ अनुभव व ज्ञान प्राप्त होता है। देशाटन करने से मनुष्य को विभिन्न स्थानों को देखने व समझने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। देशाटन से मनोरंजन तथा स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आंतरिक जिज्ञासा अथवा वृत्तिया भी शांत होते हैं। एक स्थान पर रहते रहते जब इंसान का नीरसता महसूस करने लगता है। तब उसके हृदय में नई नई वस्तुओं को देखने तथा नए स्थानों पर जाकर नए नए लोगों से मिलने की इच्छा जागृत होती है। पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति मैदानी नगरों में तथा मैदानी इलाकों में रहने वाला मानव मनोरम पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता को निहारने निकल पड़ता है।


खेती के लिए देशाटन क्यों जरूरी है?

कृषकों के लिए भी देशाटन आवश्यक है। वह भी देशाटन के ज्ञान से अपनी कृषि में सुधार करके अपनी स्थिति सुधारने का प्रश्न कर सकते हैं। उनके इस सुधार कार्य में उनका देशाटन जनित ज्ञान उपयोगी सिद्ध होता है। इसी प्रकार धर्म प्रचारक देशाटन द्वारा अपने धर्म का प्रचार करते हैं तथा उनका कार्य जनकल्याण के लिए होता है इस प्रकार समाज के हर वर्ग के लिए देशाटन लाभकारी है। देशाटन से कृषि मजदूर अपने व्यापार में वृद्धि करके अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं और उसे पूरे विश्व में फैला सकते हैं। देशाटन करने के लिए सबसे पहले आपको एकाग्रता मानसिकता के रूप में स्वस्थ होना चाहिए।


देशाटन से जाने से पहले कौन कौन सी तैयारी करनी चाहिए?

देशाटन से पूर्व हमें उस स्थान के मौसम, खानपान, रहने की व्यवस्था आदि के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए, जिस स्थान पर हमें जाना है। इसके लिए पुस्तक को इंटरनेट या किसी व्यक्ति विशेष द्वारा भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हमें उस स्थान के दार्शनिक ऐतिहासिक स्मारकों, भाषा आदि का भी विशेष ज्ञान होना चाहिए। वहां की जलवायु का ज्ञान प्राप्त करके उसी के अनुसार वस्त्रों तथा भोजन आदि की भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे वहां पहुंचकर किसी प्रकार की असुविधा ना हो। इसके अतिरिक्त देशाटन से पूरे अपने साथ अपने सगे संबंधियों के फोन नंबर तथा जरूरी दवाइयां इत्यादि ले जाना भी जरूरी है। देशाटन करने वाले व्यक्ति जीवन में निरंतर आगे बढ़ता ही आता है। वह विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों और परेशानियों पर विजय प्राप्त कर रहा होता है। देशाटन से हमें लाभ ही लाभ है इसलिए हमें यथासंभव और यथाशक्ति के साथ अवश्य देशाटन करना चाहिए।



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