श्याम नारायण पांडे का जीवन परिचय || Shyam Narayan Pandey ka Jivan Parichay

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श्याम नारायण पांडे का जीवन परिचय || Shyam Narayan Pandey ka Jivan Parichay

श्याम नारायण पांडे का जीवन अंतर्दृष्टि || श्याम नारायण पांडे जीवन परिचय

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जीवन अंतर्दृष्टि (जीवन परिचय)


श्याम नारायण हिंदू (श्याम नारायण पांडे)


जानकारी जानकारी



        नाम

श्याम नारायण हिन्दू

        जन्म

1907 ई0

    जन्म-स्थान

दुमरांव गांव,(आजमगढ़) उत्तर प्रदेश

  माता का नाम

रानी जयवंत कुंवर

  पिता का नाम

महाराणा उदयसिंह 

        मृत्यु

1991 ई0

      मृत्यु-स्थान

डमरांव

    काव्य-कृतियां

'हल्दीघाटी', 'जौहर', 'तुमुल', 'रूपमात्र', 'आरती' और 'जय हनुमान' आदि।

  सामग्री में सुधार

वीर रस के सुविख्यात हिंदी कवि।

        कर्मभूमि

भारत

        कर्म क्षेत्र

काव्य रचना

  डिग्री

देव . पारितोषिक

        में

वीर रस के कवि

      भारतीय

भारत

  अन्य जानकारी

महाप्रबंधन जी का दूसरा महापर्व। कुल 21 चिंनागरागियों का प्रबंधन चित्तौर की पद्मिनी के कथा आधार बदल रहा है।

      अद्यतन

12:55 , 29 अक्टूबर 2017 को



जीवन परिचय -


श्याम नारायण का जन्म श्रावण कृष्ण पंचमी वर्ष 1907 ई. प्रारंभिक के बाद श्याम नारायण संस्कृत शिक्षा के लिए काशी (बनारस) काशी विद्यापीठ से वे लेखक की परीक्षा में लगे थे। स्वभाव से सात्विक, हृदय से विनोदी और आत्मा से निर्भीक स्वभाव वाले व्यक्ति जी के स्वस्थ-पुस्त्य में शौर्य, सतत्व और शक्ति का मिलन था। सत्य द्विवेदी युगीन, दृष्टिकोण और भाव-विस्तार मराडावादक।


लगभग दो दशकों से ऊपर वे हिंदी कवि-सम्मेलनों के मंच पर अत्यंत लोकप्रिय रहे। उन्होंने आधुनिक युग में वीर काव्य की परंपरा को खड़ी बोली के रूप में प्रतिष्ठित किया। पांडे जी का देहांत वर्ष 1991 में डुमरांव नामक ग्राम में हुआ था।


साहित्यिक परिचय  -


श्याम नारायण पांडे आधुनिक काव्य धारा के प्रमुख वीर कवियों में से एक थे। वीर काव्य को इन्होंने अपनी कविताओं का मुख्य विषय बनाया। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को अपने काव्य का आधार बनाकर इन्होंने पाठकों पर गहरी छाप छोड़ी है।


कृतियां (रचनाएं) -


श्याम नारायण पांडे ने चार उत्कृष्ट महाकाव्यों की रचना की थी, जिनमें से 'हल्दीघाटी (वर्ष 1937-39)' और 'जौहर (वर्ष 1939-44)' को अत्यधिक प्रसिद्धि मिली। 'हल्दीघाटी' में वीर राणा प्रताप के जीवन और  'जौहर' में चित्तौड़ की रानी पद्मिनी के आख्यान हैं। इनके अतिरिक्त पांडे जी की रचनाएं निम्नलिखित हैं-

तुमुल (वर्ष 1948), रूपांतर (वर्ष 1948), आरती (वर्ष 1945-46), 'जय हनुमान' (वर्ष 1956)।


तुमुल 'त्रेता के दो वीर' नामक खंडकाव्य का परिवर्धित संस्करण है, जबकि 'माधव' , 'रिमझिम' , 'आंसू के कण'  और 'गोरा वध' उनकी प्रारंभिक लघु कृतियां है।


भाषा शैली -

श्याम नारायण पांडे ने अपने काव्यों में खड़ी बोली का प्रयोग किया है। श्याम नारायण पांडे वीर रस के सुविख्यात हिंदी कवि थे। इनके काव्यों में वीर रस के साथ-साथ करुण रस का गंभीर स्थान है। पांडे जी ने काव्य में गीतात्मक शैली के साथ-साथ मुक्त छंद का प्रयोग किया है। भाषा में सरलता और सहजता इस स्तर पर है कि उनके संपूर्ण काव्य के पाठन में चित्रात्मक शैली के गुण दिखाई पड़ते हैं।


हिंदी साहित्य में स्थान -


श्याम नारायण पांडे जी हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक हैं। इन्होंने इतिहास को आधार बनाकर महाकाव्यों की रचना की, जोकि हिंदी साहित्य में सराहनीय प्रयास रहा। द्विवेदी युग के इस रचनाकार को वीरग्रंथात्मक काव्य सृजन के लिए हिंदी साहित्य में अद्वितीय स्थान दिया जाता है।


रचना संग्रह -


1. हल्दीघाटी

2. जोहार

3. तुमुल

4. रूपांतर

5. आरती

6. जय पराजय

7. गौरा वध

8. परशुराम

9. जय हनुमान

10. शिवाजी (महाकाव्य)


काव्य शाला द्वारा प्रकाशित रचनाएं -

1. जौहर - मंगलाचरन

2. जौहर - परिचय

3. जौहर - योद्धा

5. जौहर - उन्माद

6. जौहर - आखेट 

7. जौहर - दरबार

8. जौहर - स्वप्न

9. चेतक की वीरता  (शीघ्र प्रकाशित होगी)

10. राणा प्रताप की तलवार ( शीघ्र प्रकाशित होगी)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -


1. श्याम नारायण पांडे की रचनाओं की विषय वस्तु क्या है?


उत्तर - कृतियां श्याम नारायण पांडे जी ने चार उत्कृष्ट महाकाव्य रचे , जिनमें हल्दीघाटी काव्य सर्वाधिक लोकप्रिय और जौहर काव्य विशेष करते हुए। उनका लिखा हुआ महाकाव्य जौहर भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यह महाकाव्य चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर लिखा था


2. श्याम नारायण पांडे का जन्म कब हुआ था?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे का जन्म श्रावण कृष्ण पंचमी को वर्ष 1907 ई० में डुमरांव गांव, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश में हुआ था।


3. जय हनुमान किसकी रचना है?

उत्तर - जय हनुमान हमारी प्रिय कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है।


4. श्याम नारायण पांडे की मृत्यु कब हुई?

उत्तर - पांडे जी का देहांत वर्ष 1991 में डुमरांव नामक ग्राम में हुआ था।


5. जौंहर किसकी रचना है?

उत्तर - हिंदी के ओजस्वी कवि श्याम नारायण पांडे ने अपनी प्रसिद्ध महाकाव्य जोहर चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर ही लिखा था। राजस्थान की जगह परंपरा पर आधारित उनका यह महाकाव्य हिंदी जगत में काफी चर्चित रहा है।


6. जौहर प्रथा का अंत कब हुआ?

उत्तर - इसके मुताबिक चितौड़ के प्रसंग में पहला जौहर वर्ष 1303 में, दूसरा 1535 में और, तीसरा 1563 में हुआ । सतीत्व की रक्षा करने की अंतिम विकल्प के रूप में स्त्रियां किसी कुंड में अथवा चिता सजा कर खुद को आग के हवाले कर देती थी। स्त्रियों का आत्मदाह जौहर कहलाता है, जबकि पुरुष ऐसा करें तो उसे शाक कहा जाता है।


7. श्याम नारायण पांडे कहां के रहने वाले थे?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में डुमराव गांव में रहते थे।


8. श्याम नारायण पांडे की माता का नाम क्या था?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे की माता का नाम रानी जयवंत कुंवर था।


9. श्याम नारायण पांडे की पिता का नाम क्या था?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे के पिता का नाम महाराजा उदय सिंह था। इनके पिता राजे राजस्थान के कुंभलगढ़ के महाराज थे।


10. श्याम नारायण पांडे की भाषा शैली क्या थी?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे ने अपने काव्यों में खड़ी बोली का प्रयोग किया है। श्याम नारायण पांडे वीर रस के सुविख्यात हिंदी कवि थे। इनके काव्यों में वीर रस के साथ-साथ करुण रस का गंभीर स्थान है। पांडे जी ने काव्य में गीतात्मक शैली के साथ-साथ मुक्त छंद का प्रयोग किया है। भाषा में सरलता और सहजता इस स्तर पर है कि उनके संपूर्ण काव्य के पाठन में चित्रात्मक शैली के गुण दिखाई पड़ते हैं।


11. श्याम नारायण पांडे का साहित्य में स्थान बताइए?

उत्तर - श्याम नारायण पांडे जी हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक हैं। इन्होंने इतिहास को आधार बनाकर महाकाव्यों की रचना की, जोकि हिंदी साहित्य में सराहनीय प्रयास रहा। द्विवेदी युग के इस रचनाकार को वीरग्रंथात्मक काव्य सृजन के लिए हिंदी साहित्य में अद्वितीय स्थान दिया जाता है।


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