जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? || Jivashm Indhan Kise Kahate Hain

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जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? || Jivashm Indhan Kise Kahate Hain

जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? || Jivashm Indhan Kise Kahate Hain

मित्रों स्वागत है! आपका एक और नई पोस्ट में इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं?, जीवाश्म ईंधन के प्रयोग, हानिकारक परिणाम एवं इसको कैसे बनाया जाता है। तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना है और इस पोस्ट को अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।

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जीवाश्म क्या है? 

मृत जीव जंतुओं तथा वृक्षों की वे सर रचनाएं जिन्हें प्रकृति द्वारा हजारों वर्षों तक सुरक्षित रखा गया हो, जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं।


ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड नामक स्थान पर डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये डायनासोर 15 से  21 मीटर लंबाई का रहा होगा।


जीवाश्म ईंधन - कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हमें पृथ्वी के भीतर से प्राप्त होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सभी जीवाश्म ईंधन हैं क्योंकि ये सभी पदार्थ जीवों (वनस्पति एवं जंतु) के अवशेषों से बने हैं।


पेट्रोलियम से प्राप्त विभिन्न ईंधन जैसे एल.पी.जी., पेट्रोल तथा केरोसिन (मिट्टी का तेल) भी जीवाश्म ईंधन की श्रेणी में आते हैं।


करोड़ों वर्ष पूर्व प्राकृतिक आपदाओं के कारण पृथ्वी पर उपस्थित वनस्पति एवं जीव जंतु पृथ्वी की गहराई में दब गए। धीरे-धीरे उन पर मिट्टी एवं रेत की परतें जमती गई। पृथ्वी के भीतर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति, उच्च ताप एवं दाब के कारण कालांतर में जीव अवशेष कोयले में परिवर्तित हो गए।


पेट्रोलियम भी समुद्री जीव अवशेषों के समुद्र तल में दब जाने के कारण अनेक प्राकृतिक क्रियाओं के फल स्वरुप कालांतर में उत्पन्न हुआ माना जाता है।


करोड़ों वर्षों में बने कोयले एवं पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अमूल्य भंडार हैं, जिनका मानव द्वारा निरंतर उपयोग हो रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या, नए-नए उद्योग लगने तथा हमारी जीवन शैली में बदलाव के कारण इन ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कोयले के खनन के कारण जल एवं वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पेट्रोलियम शोधन के कारखाने वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं, साथ ही इन ईंधनों के उपयोग से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को अत्यधिक प्रदूषित कर रहा है जिससे अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।


आज का मानव, आदिमानव की तुलना में 100 गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग करता है। ऐसा अनुमान है कि यदि ऊर्जा खपत की दर में इसी प्रकार बढ़ोतरी होती गई तो जीवाश्म ईंधनों के ये भंडार लगभग 21वीं शताब्दी के मध्य तक समाप्त हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में क्या होगा? सभी उद्योग एवं कारखाने बंद हो जाएंगे। सभी कार्य बिना मशीनों की सहायता से अर्थात् पेशियों द्वारा करने होंगे, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। क्या हम वर्तमान समय में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस तथा बिजली के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं? यदि नहीं तो ऊर्जा संकट के से निपटने के लिए आवश्यक है कि-


1. ऊर्जा के अपव्यय को रोका जाए अर्थात् आवश्यकता के अनुसार ही कम से कम मात्रा में ऊर्जा का उपयोग किया जाए।


2. ऊर्जा के नवीन एवं वैकल्पिक स्रोतों को खोजा जाए, जिनसे लंबे समय तक असीमित मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है


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