हीरा और ग्रेफाइट में अंतर || Hira aur Graphite Mein antar
हीरा क्या होता है ?
हीरा एक रत्न है जो पूरी तरह पारदर्शी होता है इसे रसायन विज्ञान के अनुसार सबसे शुद्ध कार्बन माना गया है। हीरे के सभी कार्बन परमाणु एक दूसरे से चार अलग कार्बन परमाणु द्वारा बंधे होते हैं। कार्बन परमाणु के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों इलेक्ट्रॉन सह संयोजी बंध में अपनी भागीदारी प्रस्तुत करते हैं और इसमें एक भी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र नहीं हो सकता है। इसलिए हीरे को ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक भी कहा जाता है। इसे सभी प्राकृतिक पदार्थों में सबसे कठोर पदार्थ माना गया है। इसका उपयोग आभूषण बनाने में भी किया जाता है। हीरा केवल पारदर्शी हो यह जरूरी नहीं कभी-कभी कुछ अशुद्धियों के कारण इनका रंग नीला, लाल, हरा आदि भी होता है जिसमें हरे रंग का हीरा मिलना काफी कठिन होता है।
ग्रेफाइट भी कार्बन का ही एक रूप है जो दिखने में काले, भूरे रंग की अधातु के रूप में पाया जाता है। यह ज्यादातर साइबेरिया, अमेरिका के कैलिफोर्निया, कोरिया न्यूजीलैंड तथा इटली जैसे देशों में पाया जाता है। ये ऊष्मा और विद्युत का सुचालक होता है और इसमें अलग ही तरह की चमक दिखाई देती है। यदि इसके आपेक्षिक घनत्व की बात की जाए तो वो 2.25 है और 7000 डिग्री सेल्सियस पर जलता है उसके बाद ये कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है।
हीरा और ग्रेफाइट में अंतर -
हीरा और ग्रेफाइट कार्बन के दो अपरूप है। हीरा और ग्रेफाइट धातु सह संयोजी बंध द्वारा बंधे हुए क्रिस्टल होते हैं। किंतु इनके गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। ग्रेफाइट और हीरे के गुणों में अंतर हम इस प्रकार दिखा सकते हैं।
उपस्थिति (The Presence) - हीरा कार्बन का सर्वाधिक विशुद्ध रूप होता है। यह प्रकृति में स्वतंत्र रूप में पाया जाता है। इसे बनाया नहीं जा सकता जबकि ग्रेफाइट प्राकृतिक रूप में पाया जाता है तथा इसे कृत्रिम ढंग से भी बनाया जा सकता है।
रंग रूप (Appearance) - हीरा एक पारदर्शी पदार्थ होता है जिसका अपवर्तनांक उच्च होता है। उचित तरीके से कटे हुए तथा पॉलिश किए हुए हीरे में बहुत ही अधिक चमक होती है। और यह अष्टफलकीय क्रिस्टल के रूप में उपस्थित रहता है। अपवर्तनांक मान 2.45 होता है जबकि ग्रेफाइट एक अपारदर्शी काला पदार्थ होता है जो कागज को काला कर देता है। इसे काला जस्ता के नाम से भी जाना जाता है।
कठोरता (Hardness) - जितने भी प्राकृतिक पदार्थ ज्ञात हैं उन सभी प्राकृतिक पदार्थों में हीरा सबसे कठोरतम पदार्थ होता है। हीरे को काटने के लिए भी हीरे का ही प्रयोग किया जाता है। जिस प्रकार लोहा लोहे को काटता है उसी प्रकार हीरा हीरे को काटता है। जबकि ग्रेफाइट मुलायम तथा स्पर्श में चिकना व फिसलनयुक्त नियुक्त होता है।
घनत्व (The Density)- हीरे का घनत्व अधिक होता है। सामान्य तापमान पर इसका घनत्व 3.5 ग्राम प्रति मिलीलीटर होता है। जबकि ग्रेफाइट का घनत्व मध्यम होता है जो कि 2.3 ग्राम प्रति मिलीलीटर है।
ऊष्मा तथा विद्युत का चालक (Conductor of Heat and Electricity) - हीरा विद्युत तथा ऊष्मा का कुचालक होता है अर्थात हीरे में से विद्युत तरंग तथा ऊष्मा का स्थानांतरण नहीं हो सकता है। जबकि ग्रेफाइट ऊष्मा तथा विद्युत दोनों का सुचालक होता है इसमें से विद्युत तरंग तथा ऊष्मा सरलता से स्थानांतरित हो सकती है।
विलेयता (Solubility) - हीरा तथा ग्रेफाइट दोनों ही सामान्य विलायकों में अविलेय रहते हैं।
वायु का प्रभाव (Wind Effect) - सामान्य तापमान पर हीरा वायु से प्रभावित रहता है लेकिन 900 डिग्री सेंटीग्रेड पर जब हीरे को गर्म किया जाता है तब यह कार्बन डाइऑक्साइड देता है जबकि ग्रेफाइट वायु में 700 से 800 डिग्री सेल्सियस पर जल कर कार्बन डाइऑक्साइड देता है।
क्रिस्टल का आकार (Crystal Size) - हीरा अष्टफलकीय क्रिस्टल के आकार का होता है। जिसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से समचतुष्फलक आकार में सहसंयोजन बंध से घिरे रहते हैं। जो हीरे को आयामी आकृति प्रदान करते हैं। जबकि ग्रेफाइट षट्फलकीय क्रिस्टल के आकार का होता है। जिसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजी बंध द्वारा आबंधित रहते हैं।
निम्नलिखित बिंदुओं से यह पता चलता है कि हीरा तथा ग्रेफाइट में कई अंतर है जो इन्हें अलग बनाते हैं।
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