दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं? कारण निवारण और किरण आरेख | Dur Drishti dosh Kise Kahate Hain
मित्रों स्वागत है! आपका एक और नई पोस्ट में इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं, इस रोग में कौन से लेंस का उपयोग किया जाता है, कारण एवं निवारण और किरण आरेख तो दूर दृष्टि दोष से संबंधित आपके सभी सवालों के उत्तर इस पोस्ट में है तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ना है और इस पोस्ट को अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।
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दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं? यह किन कारणों से होता है? इस दोष के निवारण के लिए किस प्रकार का लेस प्रयुक्त किया जाता है? किरण आरेख द्वारा समझाइए
दूर दृष्टि दोष - इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती। यह दोष निम्नलिखित दो कारणों में से किसी एक कारण से हो सकता है-
(i) नेत्र लेंस की वक्रता कम हो जाए, जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।
(ii) नेत्र लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोलक का व्यास कम हो जाए।
इस दृष्टि दोष वाले व्यक्ति का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर के स्थान पर अधिक दूरी पर हो जाता है। इस कारण 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना f पर न बनकर रेटिना के पीछे A पर बनता है।
दूर दृष्टि दोष का निवारण - इस दोष के निवारण के लिए ऐसे अभिसारी (उत्तल) लेंस की आवश्यकता होगी, जो 25 सेमी दूर-बिंदु S पर रखी वस्तु (किताब) से आने वाली किरणों को इतना अभिसरित कर देगी किरणें दूषित आंख के निकट-बिंदु N से आती हुई नेत्र लेंस पर आपतित हों तथा प्रतिबिंब रेटिना R पर बने। इस प्रकार S पर रखी वस्तु भी आंख को स्पष्ट दिखाई देगी।
दृष्टि दोष तथा उनका निवारण (Defect of Vision and their Rectification)
नेत्र में दृष्टि संबंधी दो मुख्य दोष हो सकते हैं जिनका निवारण चश्मा लगाकर किया जा सकता है। यह दोष हैं: निकट दृष्टि दोष तथा दीर्घ दृष्टि दोष।
इस पोस्ट में हम आपको निकट दृष्टि दोष के बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे।
दीर्घ-दृष्टि या दूर दृष्टि दोष (hypermetropia or long-sightedness)- इस दोष में नेत्र को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु पास की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देतीं अर्थात् नेत्र का निकट बिंदु 25 सेमी से अधिक दूर हो जाता है। अतः जिस मनुष्य के नेत्र में यह दोष होता है उसे पढ़ते समय पुस्तक 25 सेमी से अधिक दूर रखनी पड़ती है।
दोष के कारण - इस दोष के दो कारण हो सकते हैं-
(i) नेत्र लेंस की वक्रता कम हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।
(ii) नेत्र लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए अर्थात नेत्र के गोले का व्यास कम हो जाए।
निवारण - इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है जिससे कि दोषित नेत्र से 25 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु से चली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के निकट बिंदु N से आती हुई प्रतीत हों। तब ये किरणें नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना पर मिल जाती हैं। अतः नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
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