हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय और रचनाएं || Harivansh Rai bacchan ka jivan Parichay

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हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय और रचनाएं || Harivansh Rai bacchan ka jivan Parichay

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय और रचनाएं || Harivansh Rai bacchan ka jivan Parichay

हरिवंश राय बच्चन जी का जीवन परिचय यहां पर सबसे सरल भाषा में लिखा गया है। यह जीवन परिचय कक्षा 9वीं से लेकर कक्षा 12वीं तक के छात्र के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें कवि हरिवंश राय बच्चन जी के सभी पहलुओं के विषय में चर्चा की गई है, तो इसे कोई भी व्यक्ति आसानी से पढ़ सकता है।


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Table of Contents :-


जीवन परिचय

सूक्ष्म परिचय एक दृष्टि में

हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा

हरिवंश राय बच्चन के करियर की शुरुआत

साहित्यिक परिचय

कृतियां

हरिवंश राय बच्चन की उपलब्धियां

हरिवंश राय बच्चन का निधन

भाषा-शैली

काव्यगत विशेषताएं

हिंदी साहित्य में स्थान

हरिवंश राय बच्चन के पद (पथ की पहचान)

FAQ Questions 


हरिवंश राय ‘बच्चन’

(जीवनकाल : सन् 1907-2003 ई०)


जीवन परिचय :-


हरिवंश राय ‘बच्चन’ का जन्म 27 नवंबर, 1907 ई० को प्रयाग के एक सम्मानित कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्रताप नारायण था। इनके माता-पिता धार्मिक और श्रेष्ठ संस्कारों के धनी थे, अतः स्पष्ट रूप से बच्चन जी के व्यक्तित्व पर अपने माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव पड़ा। 


सूक्ष्म परिचय एक दृष्टि में :-


नाम

हरिवंश राय ‘बच्चन’

पिता का नाम

श्री प्रताप नारायण

जन्म 

27 नवंबर, 1907 ई०

जन्म-स्थान

प्रयाग

शिक्षा

अंग्रेजी साहित्य में पी-एच०डी

लेखन-विधा

काव्य 

भाषा-शैली

भाषा - सरल, मधुर, प्रवाहपूर्ण भाषा।

शैली - मुक्तक

प्रमुख रचनाएं

मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण आदि।

निधन 

18 जनवरी, 2003 ई ०

साहित्य में स्थान

मुक्तक शैली की रचनाओं के लिए हिंदी काव्य जगत में सर्वश्रेष्ठ स्थान।


इन्होंने काशी और प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1938 ई० में इन्होंने अंग्रेजी विषय में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 


बच्चन जी का सन् 1927 ई० में श्यामा देवी के साथ विवाह हुआ, परंतु यक्ष्मा से पीड़ित होने के कारण सन् 1936 ईस्वी में वे चल बसी। इससे बच्चन जी को दुःख और निराशा ने चारो ओर से घेर लिया‌। सन् 1942 ईस्वी में इन्होंने तेजी जी के साथ पुनर्विवाह किया, वे ही इनकी काव्य-प्रेरणा बनीं। सन् 1930 ई० से 1939 ई० तक का इनका जीवन बड़े संघर्षों के साथ बीता। सन् 1942 ईस्वी में प्रयाग विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में नियुक्त हुए। कुछ समय तक आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से भी जुड़े रहे। सन् 1955 ईस्वी में विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ होकर दिल्ली चले गए, वहीं से इन्होंने अवकाश ग्रहण किया। सन् 1966 ईस्वी में इन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। 


हरिवंश राय बच्चन की शिक्षा :-


इस महान साहित्यकार की शुरुआती शिक्षा अपने जिले के प्राथमिक स्कूल से हुई, उसके बाद कायस्थ पाठशाला से उर्दू की शिक्षा ली जो उनके खानदान की परंपरा भी थी। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. की पढ़ाई शुरू की। आगे चलकर अंग्रेजी साहित्य में विख्यात कवि की कविताओं पर शोध करते हुए कैंब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड में अपनी PhD की शिक्षा पूरी की।


इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की पढ़ाई:-


प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1929 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. किया। इसके तुरंत बाद उन्होंने एम.ए. में एडमिशन ले लिया। गांधी जी का असहयोग आंदोलन शुरू होने के कारण सन् 1930 में उन्होंने एम.ए. प्रथम पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी, जिसे उन्होंने सन् 1937-38 में पूरा किया। अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर रिसर्च करने के लिए वह कैंब्रिज भी गए।


हरिवंश राय बच्चन के करियर की शुरुआत:-


हरिवंश राय बच्चन ने सन् 1941-1952 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रवक्ता के रूप में काम किया। इसके साथ-साथ वह आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र से भी जुड़े रहे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने फिल्मों के लिए भी लिखने का काम किया। अमिताभ के द्वारा अभिनय किया गया एक मशहूर गीत रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसेउन्होंने ही लिखा जिसे खुद उनके बेटे अमिताभ बच्चन ने गाया। सन् 1955 में कैंब्रिज से लौटने के बाद उनको भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया। कहा जाता है कि श्यामा की मौत और तेजी से शादी, यही उनकी जिंदगी के दो महत्वपूर्ण अंश हैं, जिनको उन्होंने अपनी कविताओं में हमेशा जगह दी।

उनकी आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्धार से सोपान तक उनके बहुमूल्य लेखन रहे। हरिवंश राय बच्चन को सबसे बड़ी प्रसिद्धि मिली सन् 1935 में जब उनकी कविता मधुशाला छपी। इसके अलावा सन् 1966 में वह राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी चुने गए। हरिवंश राय बच्चन को सन् 1976 में पद्म भूषण के सम्मान से नवाजा गया।

 

साहित्यिक परिचय :-


हरिवंश राय ‘बच्चन’ हिंदी के उन प्रसिद्ध कवियों में से थे जिन्होंने अपने काव्य-कौशल से राष्ट्रभाषा के स्वरूप को भव्यता, सरलता, सहजता और मधुरता प्रदान की। इनका दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक, आशावादी और स्वस्थ था। बच्चन जी के गीतों में भावात्मकता, केंद्रीयता, संक्षिप्तता, संगीतात्मकता, सरलता, सहजता चित्रात्मकता और रसात्मकता जैसी विशेषताओं के दर्शन होते हैं। बच्चन जी हिंदी साहित्याकाश के उज्जवल नक्षत्र थे।


कृतियां :-


डॉ० हरिवंश राय ‘बच्चन’ की प्रथम काव्य कृति ‘तेरा हार’ सन् 1932 ईस्वी में प्रकाशित हुई। बच्चन जी की प्रमुख काव्य कृतियों के नाम इस प्रकार हैं - ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’, ‘मधुकलश’, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल-अंतर’, ‘हलाहल’, ‘सतरंगिनी’, ‘मिलन-यामिनी’, ‘प्रणय-पत्रिका’, ‘बंगाल का अकाल’, ‘खादी के फूल’, ‘बुद्ध का नाचघर’, ‘आरती और अंगारे’, ‘सूत की माला’ आदि।


हरिवंश राय बच्चन की उपलब्धियां :-


हिंदी साहित्य के महान कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ जी जिन्होंने हिंदी साहित्य को अमूल रचनाएं प्रदान की हैं। उनकी अद्भुत रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 

हरिवंश राय बच्चन को उनकी कृति दो चट्टानें के लिए 1968 में हिंदी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि उनकी अन्य रचनाओं के लिए उन्हें 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 

बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें उनकी आत्मकथा के लिए सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया, जबकि भारत सरकार द्वारा उन्हें हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान के लिए 1976 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


हरिवंश राय बच्चन का निधन :-


हरिवंश राय जी का 18 जनवरी 2003 में 95 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। अपने 95 वर्ष के इस जीवन में बच्चन जी ने पाठको एवं श्रोताओं को अपनी कृतियों के रूप में जो तोहफा दिया है वह सराहनीय है।


भाषा-शैली :-


भाषा - बच्चन जी ने सामान्य बोलचाल की भाषा को काव्य भाषा बनाया अर्थात् इनकी भाषा सरस-सरल खड़ी बोली है, जिसमें शब्दों का चयन भाव के अनुरूप किया गया है। विभिन्न भाषाओं के शब्दों को भी इन्होंने अपनाकर काव्य में प्रस्तुत किया।


शैली - बच्चन जी ने अपने काव्य में गीति शैली को अपनाया। इनकी इस शैली में गीत पद्धति की सभी विशेषताएं उपलब्ध होती हैं। बच्चन जी की शैली में प्रतीकात्मकता, लाक्षणिकता, संगीतात्मकता, चित्रात्मकता, बिम्बात्मकता आदि विशेषताओं के दर्शन होते हैं। इन्होंने अपने काव्य में छंदों का स्वाभाविक और सजीव प्रयोग किया। इन्होंने रचना करते समय छंद के लिए पूर्व योजना कभी नहीं की, जो छंद स्वाभाविक रूप से आ गए, उन्हें बिना किसी झिझक स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि उनके काव्य में बासीपन की बू नहीं आ पाई है। इन्होंने परंपरागत छंदों में रूपमाला, हरिगीतिका, फारसी आदि छंदों के साथ मुक्त छंदों को भी अपनाया।


काव्यगत विशेषताएं :-


उनका सारा जीवन साधना श्रम का जीवन रहा। बच्चन ने अपने सौंदर्योपासक हृदय के उल्लास आनंद और भावावेश को इस मुग्ध प्याली में उड़ेलने का प्रयत्न किया है। वह अपने अनुभवों को सहजतापूर्वक अभिव्यक्त करने को ही कवि कर्म मानते हैं। मानव हृदय मर्मज्ञ, रस सिद्ध गायक, भाव धनी कवि और युग प्रबद्ध संदेश वाहक, आत्मजयी, संकल्प बच्चन सदैव से सभी साथियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। इसीलिए उनको भावों की आकुलता, संगीत का माधुर्य पाठक की सहज समझ में आ जाता है।


हरिवंश राय बच्चन का राजनीति में स्थान :-


सन् 1955 में हरिवंश राय बच्चन जी दिल्ली गए और उन्हें विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया गया।

हरिवंश राय बच्चन जी को सन् 1966 में इनका नाम राज्यसभा के लिए लिया गया।


हिंदी साहित्य में स्थान :-


बच्चन जी हिंदी साहित्य के अमर साधक थे। इनकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की सामान्य एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति दिखाई देती है। सरलता, संगीतात्मकता और मार्मिकता इनके काव्य की विशेषताएं हैं। बच्चन जी हिंदी के विशिष्ट लोकप्रिय कवि थे।


पथ की पहचान :-


पूर्व चलने के, बटोही, 

बाट की पहचान कर ले।


पुस्तकों में है नहीं 

छापी गई इसकी कहानी, 

हाल इसका ज्ञात होता 

है ना औरों की जवानी। 

                  अनगिनत राही गए इस 

                  राहा से, उनका पता क्या, 

                  पर गए कुछ लोग इस पर 

                 छोड़ पैरों की निशानी। 

यह निशानी मूक होकर 

भी बहुत कुछ बोलती है, 

खोल इसका अर्थ, पंथी, 

पंथ का अनुमान कर ले।

                 पूर्व चलने के, बटोही,

                 बाट की पहचान कर ले।

यह बुरा है या कि अच्छा,

व्यर्थ दिन इस पर बिताना, 

अब असंभव, छोड़ यह पथ

दूसरे पर पग बढ़ाना।

              तू इसे अच्छा समझ,

              यात्रा सरल इससे बनेगी,

              सोच मत केवल तुझे ही 

              यह पड़ा मन में बिठाना।

हर सफल पंथी, यही

विश्वास ले इस पर बढ़ा है,

तू इसी पर आज अपने 

चित्त का अवधान कर ले।

                 पूर्व चलने के, बटोही, 

                 बाट की पहचान कर ले।


FAQ Questions :-


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय कैसे लिखें?

उत्तर - बच्चन साहब का जन्म 27 नवंबर 1907 को गांव बाबू पट्टी, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव एवं उनकी माता का नाम सरस्वती देवी था। बचपन में उनके माता-पिता उन्हें बच्चन नाम से पुकारते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा होता है।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचना कौन सी है?

उत्तर - बचपन के साथ क्षणभर, मधुशाला, सोपं मैकबेथ, नए पुराने झरोखे, प्रवास की डायरी, क्या भूलूं क्या याद करूं, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, बच्चन रचनावली के 9 खंड आदि।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन की आखिरी रचना कौन सी है?

उत्तर - हरिवंश राय बच्चन जी ने 1984 में अपनी आखिरी कविता लिखी थी। जिसका शीर्षक था- 1 नवंबर 1984- जो इंदिरा गांधी जी की हत्या पर आधारित थी।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर - आत्म अनुभूति को ही काव्य का आधार बनाने वाले हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की रानीगंज तहसील के बाबू पट्टी गांव में प्रताप नारायण श्रीवास्तव एवं सरस्वती देवी के यहां हुआ था। हरिवंश राय श्रीवास्तव को बचपन में उनके घर वाले ‘बच्चन’ उपनाम से बुलाते थे।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन को कौन सा पुरस्कार मिला था?

उत्तर - पहला सरस्वती सम्मान हिंदी के साहित्यकार डॉ० हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार खंड़ो की आत्मकथा के लिए दिया गया था।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन का साहित्य में क्या स्थान है?

उत्तर - हालावाद के प्रवर्तक कवि हरिवंश राय बच्चन शुष्क एवं नीरस विषयों को भी सरस ढंग से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त थे। वे छायावादोत्तर युग के प्रख्यात कवि हैं। हरिवंश राय बच्चन जैसे महान और उच्च कोटि की विचारधारा वाले कवि सदियों में जन्म लेते हैं।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन क्यों प्रसिद्ध हैं?

उत्तर - हरिवंश राय बच्चन हिंदी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फ़िल्म उद्योग के अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं।


प्रश्न - हरिवंश राय बच्चन की काव्य की मुख्य विशेषताएं क्या है?

उत्तर - विषय और शैली की दृष्टि से स्वाभाविकता बच्चन की कविताओं की विशेषता है। उनकी कविताओं में रूमानियत और कसक है। वहीं गेयता, सरलता, सरसता के कारण इनके काव्य संग्रहों को काफी पसंद किया गया। बच्चन ने सन् 1935 से 1940 के बीच व्यापक निराशा के दौर में मध्यम वर्ग के विक्षुब्ध और वेदना ग्रस्त मन को वाणी दी।


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