विद्युत धारा किसे कहते हैं ? What is electric current in Hindi

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विद्युत धारा किसे कहते हैं ? What is electric current in Hindi

विद्युत धारा किसे कहते हैं ? What is electric current in Hindi

प्रस्तावना (Introduction)- दैनिक जीवन में विद्युत बहुत उपयोगी होती है। इसका उपयोग, पंखा, मोटर, विभिन्न प्रकार की मशीनों,, रेलगाड़ी आदि को चलाने के लिए किया जाता है।

विद्युत धारा किसे कहते हैं तथा इसका मात्रक क्या है,विद्युत की परिभाषा क्या है,विद्युत धारा कितने प्रकार की है,विद्युत धारा क्या है उदाहरण सहित समझाइए,विद्युत धारा कैसे उत्पन्न होती है,विद्युत धारा मापने वाले यंत्र को क्या कहते हैं,एंपियर से क्या मापा जाता है,मापने के यंत्र को क्या कहते हैं,विद्युत धारा का सूत्र,धाराएं किसे कहते हैं,
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विद्युत धारा किसे कहते हैं ?
किसी भी विद्युत परिपथ में किसी बिंदु से इकाई समय में गुजरने वाले आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं।

विद्युत धारा की परिभाषा
किसी चालक में एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवेश का प्रवाह होता है तो आवेश के प्रवाह दर को विद्युत धारा कहते हैं।

विद्युत धारा का सूत्र
माना किसी बिंदु से Q आवेश t समय में गुजरता है तो विद्युत परिपथ के किसी बिंदु से t समय में n इलेक्ट्रॉन गुजरते हैं तो t समय में ne आवेश उस बिंदु से गुजरेगा। अतः विद्युत धारा का सूत्र निम्नलिखित हैं-
  
   विद्युत धारा (I) = आवेश (Q) / समय (t)

विद्युत धारा को "I" के चिन्ह द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

विद्युत धारा का मात्रक क्या है ?
S.I. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक 'एंपियर' होता है।

विद्युत धारा का S.I. मात्रक - 

             एंपियर = कूलाम / सेकंड

विद्युत धारा के प्रकार - विद्युत धारा के दो प्रकार होते हैं-

1. प्रत्यावर्ती धारा (A.C)
2. दिष्टवर्ती धारा (D.C)

1.प्रत्यावर्ती धारा (A.C) - यदि किसी परिपथ में धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे प्रत्यावर्ती धारा Alternating Current कहते हैं।

2. दिष्टवर्ती धारा (D.C) - यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा Direct Current कहते हैं।

विद्युत आवेश (Electric Charges)- परमाणु छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने होते हैं जिन्हें प्रोटॉन, न्यूट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉन कहते हैं। प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन दोनों में एक मौलिक गुण होते हैं, जिसे विद्युत आवेश कहते हैं। हालांकि, आवेश का प्रकार दोनों कणों से समान नहीं होता है। प्रोटॉनों में धनात्मक आवेश होता है जिसे '+' चिन्ह से दर्शाया जाता है जबकि इलेक्ट्रॉनों में श्रणात्मक आवेश होता है जिसे '-' चिन्ह से दर्शाया जाता है। न्यूट्रॉन उदासीन होते हैं। न्यूट्रॉनों और कोई विद्युत आवेश नहीं होता है। विद्युत आवेश मात्रक कूलाॅम (Coulomb) होता है। जिसे C से व्यक्त करते हैं।

वोल्टेज इलेक्ट्रॉन ऊर्जा अथवा 'पुश' का माप है। धारा चालक द्वारा इलेक्ट्रॉन प्रवाह की दर की माप है।


विद्युत धारा (Electric Current)- यदि एक बार इलेक्ट्रॉनों को घूमने के लिए धकेल (Push) दिया जाता है तथा इनके पास निश्चित पथ तथा स्त्रोत हो तो वे लगातार गति करते हैं। अतः किसी तार में इलेक्ट्रॉनों की वह निश्चित संख्या जो एक नियत समय में किसी बिंदु से होकर गुजरती है विद्युत धारा कहलाती है। इलेक्ट्रॉनों के बहने की दर जितनी अधिक होगी विद्युत धारा का मान उतना ही अधिक होगा विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर होता है। विद्युत धारा को (i) से व्यक्त करते हैं अतः 1 एम्पियर विद्युत धारा की वह मात्रा है जो प्रति सेकंड किसी निश्चित बिंदु से होकर गुजरती है। विद्युत धारा को मापने के लिए अमीटर तथा गैल्वनोमीटर का प्रयोग किया जाता है।


सुचालक तथा कुचालक (Conductors and Insulators)- वे पदार्थ जो विद्युत धारा को अपने में से होकर गुजरने देते हैं, सुचालक (Conductors) कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, धातुएं, अम्ल, जल, लवण, विलयन, मानव शरीर, वायु, चारकोल आदि। जो पदार्थ अपने में से विद्युत धारा को नहीं गुजरने देते हैं, वे कुचालक (Insulators) कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, लकड़ी, रबर, प्लास्टिक, कांच, माइका, चमड़ा, शुष्क वायु आदि।


जलः विद्युत धारा का सुचालक (Water : Conductor of Electric Current)- मनुष्य के शरीर में विभिन्न रसायन होते हैं तथा यह विद्युत का सुचालक होता है। आपके शरीर में से गुजरने वाली विद्युत धारा से आप को झटका लगता है। ऐसा झटका आपके रक्त की कोशिकाओं तथा आपकी मांसपेशियों को नष्ट कर सकता है जिससे मृत्यु तक हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार विद्युत धारा आसुत अथवा शुद्ध जल में से प्रभावित नहीं होती है। इसका तात्पर्य यह है कि जल, जो विद्युत का सुचालक होता है, में कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जो शुद्ध जल को विद्युत के सुचालक में परिवर्तित कर देते हैं।


विद्युत अपघटन (Electrolysis)- जल विद्युत धारा संवाही विलयन से प्रभावित की जाति, तो यह विलयन को अपघटित कर देती है। वह विलयन जो विद्युत का संचालन करता है, विद्युत अपघटक कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसमें एक विद्युत अपघटक विद्युत द्वारा अपघटित हो जाता है, विद्युत अपघटन कहलाता है।

हम विद्युत अपघटन की प्रक्रिया को समझने के लिए एक प्रयोग करते हैं।


लोहे की दो प्लेटें लें। प्लेटों के सिरों को तांबे के तारों से जोड़ें तथा उन्हें एक बैटरी से जोड़ दे। लोहे की प्लेटों को इलेक्ट्रोड कहा जाता है। बैटरी के सकारात्मक टर्मिनल से जुड़ा इलेक्ट्रोड सकारात्मक चार्ज होता है व एनोड कहलाता है तथा बैटरी के नकारात्मक टर्मिनल से जुड़ा इलेक्ट्रांड नकारात्मक चार्ज होता है व कैथोल कहलाता है। एक बीकर में कुछ जल लें और उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। अब इस विलयन में इलेक्ट्रोड विसर्जित करें। जब बैटरी का स्विच ऑन होता है, तो बल्ब जल जाता है। इससे यह पता चलता है कि विद्युत धारा इस विलयन में प्रवाह हो गई है तथा विद्युत परिपथ पूरा हो गया है। विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण विलयन अपघटित हो जाता है।


विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect of Electric Current)- किसी चालक विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएं होती हैं। इसके फलस्वरुप इलेक्ट्रोडों पर गैस के बुलबुले बन सकते हैं। इलेक्ट्रोडों पर धातु के विक्षेप देखे जा सकते हैं। विलयनों के रंग में परिवर्तन हो सकते हैं। रासायनिक अभिक्रिया उपयोग किए जाने वाले विलयन तथा इलेक्ट्रोडों पर निर्भर करती है। यह विद्युत धारा के कुछ रासायनिक प्रभाव है।


विद्युत लेपन (Electroplating)- जब हम किसी नई साइकिल को देखते हैं, तो साइकिल का रिंग तथा पाइए चमकदार होते हैं, दुर्घटनावश इनमें खरोच पड़ जाए, तो चमकदार परत उतर जाती है और उसके नीचे की सतह इतनी चमकदार नहीं होती। कुछ बनावटी आभूषण सोने की तरह चमकदार होते हैं; क्योंकि इन पर सोने की परत या अन्य धातु की परत होती है, जिससे यह चमकदार होती है।

इसी प्रकार जब कॉपर सल्फेट विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो कॉपर सल्फेट, कॉपर तथा सल्फेट में वियोजित हो जाता है। स्वतंत्र कॉपर (तांबा) बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित इलेक्ट्रोड की ओर आकर्षित होता है तथा उस पर निक्षेपित हो जाता है; लेकिन विलयन में कॉपर के क्षय की पूर्ति कैसे होती है?

दूसरे इलेक्ट्रोड से जो तांबे की प्लेट से बना है, समान मात्रा कॉपर विलयन में धुल जाता है। इस प्रकार विलयन से जो कॉपर काम हुआ, वह विलयन में पुनः स्थापित हो जाता है और यह प्रक्रिया चलती रहती है। इसका अर्थ हुआ कि विद्युत लेपन प्रक्रिया में एक इलेक्ट्रोड से कॉपर दूसरे इलेक्ट्रोड को स्थानांतरित होता जाता है।

विद्युत द्वारा किसी पदार्थ पर किसी वांछित धातु की परत निक्षेपित की प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं। यह विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव का एक सर्वाधिक सामान्य उपयोग है।

आजकल पुरानी वस्तुओं पर पॉलिश की जाती है। यह गुण सामान्य वस्तु पर अच्छा प्रभाव डालता है। विलेपित की जाने वाली वस्तुएं कार के कुछ भाग, मोटर-साइकिल के भाग, स्नान ग्रह की टोंटी, गैस, बर्नर, साइकिल का हैंडिल, पहियों का रिम आदि पर क्रोमियम का लेपन किया जाता है, जिससे वह वस्तु पुनः चमकदार हो जाती है।

खाघ-पदार्थों के भंडारण कक्ष में टिन के डिब्बों में लोहे के ऊपर टिन का विद्युत लेपन किया जाता है। टिन लोहे से काम क्रियाशील होता है। इस प्रकार खाघ-पदार्थ लोहे के संपर्क में नहीं आते हैं और खराब होने से बच जाते हैं।

पुलों तथा स्वचालित वाहनों को प्रबल बनाने के लिए लोहे का उपयोग किया जाता है। तथापि लोहे में संक्षारित होने तथा जंग लगने की प्रवृति होती है। अतः इसे संक्षारण तथा जंग लगने से बचाने के लिए लोहे पर जिंक की परत निक्षेपित कर दी जाती है, जिससे वह पुरानी वस्तु नई वस्तु में परिवर्तित हो जाती। विद्युत लेपन आज के समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आजकल मेले तथा तमाशे में विद्युत लेपन सामग्री कम दामों पर उपलब्ध हो जाती हैं। यह विद्युत धारा के विद्युत लेपन प्रभाव कहलाते हैं।


विद्युत धारा से संबंधित कुछ प्रश्न –


 1. विद्युत धारा किसे कहते हैं इसका मात्रक क्या है?

उत्तर- विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (Electric Current) कहते हैं। मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एंपियर है। एक कूलांम प्रति सेकंड की दर से प्रभावित विद्युत आवेश को एक एंपियर धारा कहेंगे।

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2. विद्युत धारा कितने प्रकार है?

उत्तर- Solution : दो प्रकार की - (i) ऐ सी (प्रत्यावर्ती धारा) (ii) डी सी (दिष्ट धारा)।


3. विद्युत धारा क्या है?

उत्तर- विद्युत धारा :- किसी काटक्षेत्र से प्रति एकांक समय में गुजरने वाला नेट आवेश विद्युत धारा कहलाती है।


4. विद्युत धारा ज्ञात करने का सूत्र क्या है?

उत्तर- 1 एक एंपियर विद्युत धारा की परिभाषा विद्युत धारा किसे कहते हैं, यदि किसी परिपथ में एक सेकंड में एक कुलाम आवेश का प्रवाह हो तो प्रभावित विद्युत धारा का मान एक एंपियर होगा। तब अतः 1sec में 6.25×1018 इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है तो विद्युत धारा का मान एक एंपियर होगा।


5. विद्युत धारा मापने वाले यंत्र को क्या कहते हैं?

उत्तर- अमीटर :- धारा मापने के यंत्र को "अमीटर" कहते हैं। इसमें बना पैमाना, एंपियर में दर्शाया जाता है।


6. विद्युत धारा की इकाई क्या है?

उत्तर- विद्युत मात्रा या विद्युत धारा की इकाई S.I. पद्धति में एंपियर होती है। ओम, विद्युत प्रतिरोध का मात्रक होता है। बोल्ट, विद्युत विभव का मापक तथा कूलाॅम विद्युत आवेश का मात्रक होता है।


7. विद्युत धारा की गति कितनी होती है?

उत्तर- विद्युत धारा की चाल, प्रकाश की चाल के तुल्य अर्थात् 3×108 मीटर्स प्रति सेकेंड होती है।


8. घर में विद्युत धारा कितने वोल्ट की होती है?

उत्तर- भारत में घरों में आने वाली बिजली 230 वोल्ट 50 Hz AC होती है।


9. विद्युत धारा और परिपथ क्या है?

उत्तर- किसी चालक तार के सिरों बैटरी जोड़ने पर चालक तार में मुक्त इलेक्ट्राॅन गति करते हैं। (आवेश का प्रवाह होता है।) एक एंपियर धारा से तात्प्रर्य है – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ परिच्छेद से प्रति सेकंड 6.25×10`18 इलेक्ट्रॉन गुजरते हैं।


10. विद्युत धारा उत्पन्न करने की विधि को क्या कहते हैं?

उत्तर- विद्युत जनित्र (Electric Generator) : एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करती है।


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