वायु तथा जल प्रदूषण क्या है || vayu tatha jal pradushan kya hai
वायु तथा जल प्रदूषण क्या है || vayu tatha jal pradushan kya hai |
प्रस्तावना (Introduction)- देश में जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, परंतु बढ़ती जनसंख्या को निवास करने के लिए पेड़ों को काटकर नई-नई कालोनियों बनाई जा रही हैं जिससे ऑक्सीजन की कमी, वर्षा की कमी तथा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। चारों ओर गंदगी का वातावरण होता जा रहा है। शुद्ध वायु तथा शुद्ध जल का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त है। शुद्ध भोजन मिलने में असुविधा हो रही है। पृथ्वी का जीवन चक्र भी शिथिल होता जा रहा है। प्रकृति द्वारा सुविधाएं कम होना, मनुष्य के जीवन को हानि देता है जिसके कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है। प्रकृति प्रदूषण का प्रभाव जल पर भी पड़ रहा है। शुद्ध जल, अशुद्ध जल में परिवर्तित हो रहा है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
जल प्रदूषण (Water Pollution)- मनुष्य को यदि कुछ समय के लिए भोजन ना मिले तो जीवित रह सकता है, परंतु यदि उसे पानी ना मिले तो मनुष्य का जीवित रहना दुर्लभ है। जल का प्रयोग हर कार्य होता है। जल में भी विटामिन पाए जाते हैं। मनुष्य द्वारा गंगा के पवित्र जल में मल-मूत्र करना, कपड़े धोना, मृत मनुष्य तथा जीव जंतुओं को जल में प्रभावित करना आदि से जल प्रदूषित होता है। प्रदूषित जल को पीने से मनुष्य को ज्वर, पीलिया, दस्त आदि रोग हो जाते हैं। प्रदूषित जल को पीना अपनी जान देना है। नदियों तथा गंगा के द्वारा पानी हमारे घरों में आता है परंतु उस जल को फिल्टर द्वारा या उबालकर पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। जब जल में शासित मल, विषैले रसायन आदि हानिकारक पदार्थ मिल जाते हैं तो वह प्रदूषित हो जाता है। जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थ को जल प्रदूषण कहते हैं।
जल कैसे प्रदूषित होता है? (How is water polluted)? गंगा और यमुना भारत की सबसे पवित्र नदियां मानी जाती हैं। इनका उद्भव क्रमशः गंगोत्री तथा यमुनोत्री से हुआ है। इनका स्वच्छ जल बहता हुआ आता है, उसमें धूल-मिट्टी के कण गिरते रहते हैं। देश की अधिकांश जनसंख्या उत्तरी केंद्रीय तथा पूर्वी भागों में निवास करती है, कीर्ति या मनुष्य को निवास तथा दैनिक आवश्यकताओं तथा कृषि की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उत्तरी भाग तथा पूर्वी भाग सबसे अधिक संपन्न हैं। प्रदूषण स्तर निरंतर कम होने के स्थान पर बढ़ता जा रहा है। नदियां हमारे शहरों के बस्तियों वाले भाग से होकर जाती हैं, शायरी बस्ती के लोग घरों का कूड़ा-करकट इन नदियों में डाल देते हैं जिससे शुद्ध पानी अशुद्ध हो जाता है। कई स्थानों पर प्रदूषण इतना अधिक है कि इसके जल में जल-जीव जीवित नहीं रह पाते, वहां यह नदी निर्जीव हो गई है।
बढ़ती हुई जनसंख्या तथा औघोगीकरण ने पहले से ही इस महाशक्तिशाली नदी को हानि पहुंचाई है। वे इस नदी में कूड़ा-करकट, फूल, पूजा सामग्री तथा जैव अनिम्नीकरणीय की थैलियां फेंकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में इस नदी का शाब्दिक प्रदूषित फैलाव है। इस नदी में लोग स्नान करते हैं, कपड़े धोते हैं तथा मल-मूत्र त्यागते हैं। कानपुर में नदी में जल की मात्रा अपेक्षाकृत काम है तथा नदी का प्रवाह भी पति धीमा है। इसके साथ ही कानपुर में 500 से अधिक औघोगिक इकाइयां हैं। इनमें उर्वरक, अपमार्जक, चर्म तथा पेट भी सम्मिलित हैं। यह सभी औघोगिक इकाइयां विषाक्त रासायनिक अपशिष्टों क्या नदी में विसर्जन करती हैं। कानपुर शहर एक औघोगिक क्षेत्र है। यहां पर चमड़े के जूते, चप्पल आदि का काम बहुत बड़ी संख्या में होता है। यहां के लोग बेकार चमड़ा तथा जानवरों का आंतरिक भाग नदी में फेंक देते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है। कागज़ के कारखाने, रिफाइंड तेल आदि में रासायनिक पदार्थ जो अपशिष्ट हो जाते हैं उनको गंगा में फेंकते हैं, इन रसायनों में आर्सेनिक लवण तथा फ्लुओराइड होते हैं जिससे पानी प्रदूषित होता है।
इसे रोकने के लिए सरकार ने अधिनियम बनाए हैं। 1985 ई० में इस नदी को बचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना आरंभ की गई जिसे गंगा कार्य परियोजना कहते हैं। इनके अनुसार उघोगों को अपने यहां उत्पन्न अपशिष्ट को जल में प्रवाहित करने से पूर्व उपचारित करना चाहिए, परंतु प्रायः इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है।
अशुद्ध जल से मृदा प्रभावित होती है जिसके कारण अम्लीयता तथा कृमियों की वृद्धि में परिवर्तन हो जाता है। ये सभी रसायन जल में धुलकर खेतों में, नदी, जलाशयों, नालों आदि में पहुंच जाते हैं। यह भूमि में रिसकर भी भौम जल को प्रदूषित करते हैं। यह उर्वरकों में उपस्थित नाइट्रेट एवं फाॅस्फेटों जैसे रसायनों की आधिक्य मात्राओं के कारण होता है। ये रसायन शैवालों को फलने-फूलने के लिए पोषक की भांति कार्य करते हैं। जब ये शैवाल मर जाते हैं तो जीवाणु जैसे घटकों के लिए भोजन का कार्य करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन के स्तर में कमी हो जाती है जिससे जलीय जीव मर जाते हैं। कभी-कभी अनूपचारित वाहित मल सीधे ही नदियों में प्रभावित कर दिया जाता है। इसमें अपमार्जक, खाघ, अपशिष्ट, सूक्ष्मजीव आदि होते हैं। वाहित मल द्वारा प्रदूषित जल में जीवाणु (वायरस), कवक तथा परजीवी हो सकते हैं जिनसे विभिन्न प्रकार के रोग; जैसे – बुखार, हैजा तथा पीलिया फैलते हैं।
स्तनधारियों के मल में उपस्थित जीवाणु जल की गुणवत्ता के सूचक हैं। यदि जल में ऐसे जीवाणु हैं तो इसका अर्थ है कि वह जल मलयुक्त पदार्थ द्वारा प्रदूषित हैं तथा यदि हम इस जल का खाने-पीने में प्रयोग करते हैं तो हमें विभिन्न संक्रमण हो सकते हैं।
क्या किया जा सकता है? (What what can be done)? औघोगिक इकाइयों के लिए बनाए नए नियमों की सख्ती से लागू किया जाना चाहिए जिससे प्रदूषित जल को सीधे ही नदियों तथा झीलों में नहीं बहाया जा सके। सभी औघोगिक क्षेत्रों में जल उपचार संयंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर हमें निष्ठापूर्वक जल की बचत करनी चाहिए और उसे बेकार नहीं करना चाहिए। जल का उचित उपयोग, पुनः उपयोग, पुनः चक्रण हमारा मूल-मंत्र होना चाहिए। दुलाई तथा अन्य घरेलू कार्य में प्रयुक्त जल का प्रयोग पौधों की सिंचाई में किया जा सकता है।
प्रदूषण अब कोई दूरस्थ घटना नहीं रह गयी है। यह हमारे दैनिक जीवन को प्रदूषित कर रहा है। जब तक सभी लोग अपने दायित्व की जिम्मेदारी नहीं समझेंगे तब तक जल प्रदूषण होता रहेगा, इसलिए किसी व्यक्ति को गंदगी नहीं फैलाने चाहिए।
पेय जल क्या होता है? जल को शुद्ध कैसे किया जा सकता है? (What is drinking water? How is water purified)? जो जल स्वच्छ प्रतीत होता है उसमें रोग वाहक सूक्ष्मजीव तथा खुले हुए अपद्रव्य हो सकते हैं। अतः पीने से पहले जल को शुद्ध करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, हम जल को उबालकर शुद्ध कर सकते हैं। पीने के लिए उपयुक्त जल को पेय जल कहते हैं। आपने देखा है कि किस प्रकार विभिन्न भौतिक तथा रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा जलाशयों में गिरने से पूर्व वाहित तथा रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा उपचार संयंत्रो में जल को शुद्ध किया जाता है। इसी प्रकार हमारी सरकार, नगर निगम अथवा नगर पालिकाएं घरों में जल की आपूर्ति करने से पूर्व जल का उपचार करके शुद्ध जल हमारे घरों की टंकियों में भेजते हैं। जल को सुरक्षित करने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं –
1. बहुत से घरों में निरापद जल को प्राप्त करने के लिए उबालकर ठंडा जल प्रयोग में लाया जाता है जिससे जल में उपस्थित जीवाणु मर जाते हैं।
2. जल को शुद्ध करने की सामान्य रासायनिक विधि क्लोरोनीकरण है। क्लोरीन की गोलियां डालकर अथवा विरंजक चूर्ण मिलाकर जल को शुद्ध किया जाता है। हमें क्लोरीन निश्चित मात्रा से अधिक नहीं डालना चाहिए।
3. जल उपद्रव्यों को दूर करने के लिए भौतिक विधियां प्रयोग में लाते हैं। घरों में फिल्टर, कैंडल होता है जिससे जल स्वच्छ किया जाता है।
वायु तथा जल से संबंधित प्रश्न –
1. जल प्रदूषण की परिभाषा क्या है?
वायु तथा जल प्रदूषण क्या है || vayu tatha jal pradushan kya hai |
उत्तर- जल प्रदूषण, से अभिप्राय जल निकायों जैसे कि, झीलों, नदियों, समुद्रों और भूजल के जल के प्रदूषित होने से है। जल प्रदूषण, इन जल निकायों के पादपों और जीवो को प्रभावित करता है और सर्वदा यह प्रभाव न सिर्फ इन जीवों या पादपों के लिए अपितु संपूर्ण जैविक तंत्र के लिए विनाशकारी होता है।
2. वायु प्रदूषण का अर्थ क्या है?
उत्तर- वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण अधिनियम 1981 की धारा-2 के अनुसार वायु प्रदूषण का अर्थ है- "वायुमंडल में किसी वायु प्रदूषक की उपस्थिति, जो ठोस तरल या गैसीय हो और जिसकी वायुमंडल में इतनी सांद्रता हो कि वह मानव के लिए या किन्हीं अन्य जीवित प्राणियों के लिए तथा वनस्पतियों के लिए या किसी संपदा के लिए यह पर्यावरण के।
3. वायु प्रदूषण क्या है वायु प्रदूषण के कारण बताइए?
उत्तर- धुआं – घरेलू ईंधन को जलाने से उत्पन्न धुआं तथा कारखानों की चिमनियों और ताप बिजली घरों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण फैलाता है। इस धुएं में बिना जले कार्बन के कण, विषैली गैसें तथा हाइड्रोकार्बन डाइऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसें होती हैं जो वायु प्रदूषण का कारण है।
4. जल प्रदूषण क्या है इसके कारण और प्रभाव?
उत्तर- जल में प्रदूषण बढ़ता है तो प्रदूषक पदार्थों में फास्फोरस आदि कुछ ऐसे पोषक पदार्थ होते हैं, जिनकी उपस्थिति के कारण पादप सुपोषण (Eutrophication) बढ़ता है और पादपों तथा कुछ सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि हो जाती है, परिणामस्वरूप BOD बढ़ जाती है और जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण मछली जैसे अन्य जलचर मर जाते हैं।
5. जल प्रदूषण क्या है जल प्रदूषण के प्रकार?
इस प्रकार जल प्रदूषण दो प्रकार के होते हैं -
उत्तर- 1. भौतिक जल प्रदूषण - भौतिक जल प्रदूषण से जल की गन्ध, स्वाद एवं उष्मीय गुणों में परिवर्तन हो जाता है।
2. रासायनिक जल प्रदूषण - रासायनिक जल प्रदूषण, जल में विभिन्न उघोगों एवं अन्य स्त्रोतों से मिलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण होता है।
6. वायु प्रदूषण के प्रभाव क्या है?
उत्तर- प्रदूषित वायु से श्वास संबंधी रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, बिलिनोसिस, गले का दर्द, निमोनिया, फेफड़ों का कैंसर आदि हो जाते हैं। श्वास रोगों के अतिरिक्त वायु में सल्फर-डाइ-ऑक्साइड और नाइट्रोजन-डाइ-ऑक्साइड की अधिकता से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह आदि हो जाते हैं।
7. प्रदूषण क्या है और उसके प्रकार?
उत्तर- पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, यह 4 तरह के प्रदूषण के प्रकार होते हैं।
8. वायु प्रदूषण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव-जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।
9. वायु प्रदूषण क्या है इसके कारण एवं रोकने के उपाय लिखिए?
उत्तर- हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली उत्पन्न करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है और इस से निकलने वाला धुआं हमारे वातावरण के लिए बेहद खतरनाक होता है। इस तरह के प्रदूषण से बचने के लिए आपको सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे आपके पैसे भी बचेंगे और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा।
10. जल प्रदूषण क्या है इसके स्त्रोत तथा निवारण लिखिए?
उत्तर- शहरी इलाकों में नदियों, तालाबों, नहरों, कुओं और झीलों के पानी का इस्तेमाल घरेलू और औघोगिक आवश्यकताओं के लिए होता है। हमारे घरेलू इस्तेमाल का 80% पानी खराब हो जाता है। ज्यादातर मामलों में पानी का ट्रीटमेंट अच्छे से नहीं होता और इस तरह जमीन की सतह पर बहने वाले ताजे पानी को प्रदूषित करता है।
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