बल किसे कहते हैं || बल कितने प्रकार के होते हैं ? बल का मात्रक |
बल (Force) किसे कहते हैं।
यदि आप कोई दरवाजा खोलना चाहते हैं तो उसे खोलने के लिए आपको उस पर बल लगाना पड़ता है। बल में वृद्धि करने पर वह तेजी से गति करता है। यदि आप दरवाजे को खुलने से रोकना चाहते हैं तब भी आपको उस पर बल आरोपित करना पड़ता है। और यदि आप दरवाजे की गति की दिशा को परिवर्तन करना चाहते हैं तब भी आप उस पर बल आरोपित करते हैं। किसी वस्तु पर आरोपित बल (Force) वह धक्का या खिंचाव है जो उस वस्तु को ऊर्जा देकर उसकी गति में परिवर्तन कर सकता है।
बलों का मापन (Measurement of Forces)
माना कि आप किसी दरवाजे को धकेल रहे हैं तथा दरवाजे की दूसरी तरफ खड़ा आपका मित्र भी उसे धकेल रहा है। दरवाजा किस ओर गति करेगा? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए आपको बल की माप ज्ञात होनी चाहिए। दरवाजा अधिक बल की दिशा में गति करेगा। परंतु यदि बल समान हो तो दरवाजा बिल्कुल गति नहीं करेगा। वैज्ञानिक बलों के ऐसे वर्णन; जैसे – 'बड़ा', 'छोटा' आदि को विश्वसनीय नहीं मानते बल्कि वे वनों का मापन अंकों तथा मात्रकों में करते हैं। बल का मीट्रिक मात्रक न्यूटन (N) है। ध्यान रखिए कि बल किसी वस्तु की गति को प्रभावित करता है। इसलिए न्यूटन बल का मापन खिंचाव अथवा धकेल द्वारा एक दिए गए द्रव्यमान की वस्तु में गति परिवर्तन के पदों में करता है।
1 न्यूटन बल वह है जो 1 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु की चाल में 1 मीटर प्रति सेकंड का परिवर्तन करता है। इसलिए
अतः बल =वस्तु का द्रव्यमान ×वस्तु की चाल में परिवर्तन
माना आप 5 किग्रा k1 पिंड को इस प्रकार धकेलना चाहते हैं कि उसकी चाल 1 सेकंड में 0 से 5 मीटर/सेकंड हो जाए तो आपको 5 × 5 = 25 न्यूटन बल लगाने की आवश्यकता होगी।
बल वस्तु के द्रव्यमान तथा उसकी गति में परिवर्तन के गुणनफल के बराबर होता है।
वैज्ञानिक बल को मापने के लिए कमानीदार तुला का प्रयोग करते हैं।
बलों का संयोजन (Combination of Force)
माना आप किसी पिंड को धकेलने का प्रयास कर रहे हैं। पिंड को गति प्रदान करने के लिए आपको उस पर बल लगाना होगा। यदि आपका बल पर्याप्त नहीं है तो आप किसी मित्र की सहायता से उसकी गति में परिवर्तन कर सकते हैं। अर्थात आप उसे आएंगे खींच सकते हैं या उसे पीछे धकेल सकते हैं। प्रत्येक स्थिति मैं ये दोनों बल एक ही दिशा में कार्य करेंगे। इस प्रकार यह दोनों बल जुड़ जाएंगे। पिंड पर लगने वाला कुल बल अलग-अलग बलों का योग होगा।
यदि आपका मित्र पिंड को विपरीत दिशा में धकेल ता है तो बलों का संयोजन भिन्न प्रकार से होगा। यदि बल समान होंगे तो एक-दूसरे को निरस्त कर देंगे तथा पिंड नहीं हिलेगा। यदि एक बल दूसरे से अधिक हो तो पेंट किस प्रकार गति करेगा? पिंड अधिक बल की दिशा में गति करेगा तथा पिंड पर लगने वाला कुल बल दोनों बलों का अंतर होगा। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी बल के पूर्ण वर्णन के लिए एक आंकिक मान, एक मात्रक तथा दिशा का ज्ञान होना आवश्यक है।
बल के प्रकार (Types of Force)
बल अनेक प्रकार के होते हैं। उनमें से कुछ बलों का वर्णन नीचे किया गया है —
बल किसे कहते हैं || बल कितने प्रकार के होते हैं ? बल का मात्रक |
1. पेशीय बल (Muscular Force)
जब हम अपने हाथों के द्वारा किसी वस्तु को ऊपर उठाते हैं तो हम अपनी भुजाओं की मांसपेशियों के द्वारा बल आरोपित करते हैं। मांसपेशियों द्वारा आरोपित बल को ही पेशीय बल कहते हैं। प्रायः मानव तथा पशुओं के द्वारा कार्य करने में पेशीय बल (Muscular Force) आरोपित किया जाता है।
2. चुंबकीय बल (Magnetic Force)
किसी चुंबक द्वारा आरोपित बल चुंबकीय बल कहलाता है। लोहा, कोबाल्ट तथा निकिल चुंबकीय पदार्थ होते हैं। यदि हम लोहे की छोटी-छोटी वस्तुओं; जैसे –पिन के समीप एक चुंबक लाएं तो चुंबक इन्हें अपनी ओर खींचती है। दो चुंबकों के समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं तथा चुंबकों के विपरीत ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। कुछ खिलौने भी चुंबकीय बल के प्रभाव में कार्य करते हैं। चुंबक इन खिलौनों के अंदर छुपे रहते हैं।
3. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)
ब्रह्मांड में पदार्थ का प्रत्येक कण दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है। द्रव्यमानयुक्त वस्तुओं (पिंडों) द्वारा परस्पर आरोपित आकर्षण बल, गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है। उदाहरण के लिए, पत्थर का एक टुकड़ा पृथ्वी सहित दूसरी अन्य सभी वस्तुओं को आकर्षित करता है। बदले में पत्थर का टुकड़ा भी अन्य सभी वस्तुओं द्वारा आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव करता है। चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करना भी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही संभव है। ग्रह भी सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव करते हैं जो उन्हें उनकी कक्षाओं में ही बनाए रखता है। गुरुत्वाकर्षण बल तथा गुरुत्व बाल के बीच पर्याप्त अंतर होता है। गुरुत्वाकर्षण बल सार्वभौमिक होता है, परंतु गुरुत्व बल वह बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है।
पृथ्वी सभी वस्तुओं पर गुरुत्व बल आरोपित करती है। इसी गुरुत्व बल के कारण सेब वृक्ष से टूटकर पृथ्वी पर गिरता है। जब एक गोताखोर तरणताल (तालाब) में गोता लगाता है तो वह गुरुत्व बल के फलस्वरूप ही नीचे आता है।
4. स्थिर - वैद्युत बल (Electrostatic Force)
किसी स्थिर वैद्युत आवेश द्वारा आरोपित बल स्थिर – वैद्युत बल कहलाता है।
5. घर्षण बल (Frictional Force)
गतिमान वस्तुएं अपने आप विराम अवस्था में नहीं आती है। अतः वह अदृश्य बल, जिसके कारण एक गतिमान वस्तुएं विराम अवस्था में आ जाती हैं, घर्षण बल (Frictional Force) कहलाता है। घर्षण बल बह बल है जो किसी वस्तु की गति का विरोध करता है जिसके फलस्वरूप गतिमान वस्तु धीरे-धीरे विराम अवस्था में आ जाती है अर्थात रुक जाती है।
घर्षण बल तीन प्रकार का हो सकता है-
(i) स्थैतिक घर्षण (static friction) -
जब एक स्थिर पर स्थित किसी वस्तु को लगाकर गतिमान करने का प्रयास किया है, परंतु वस्तु गतिमान नहीं होती। इस दशा में बल के बराबर विपरीत दिशा में जो घर्षण है उसे स्थैतिक घर्षण कहते हैं।
(ii) सर्पी घर्षण (sliding friction)
किसी सतह पर जब कोई वस्तु गतिमान होती है तो सतह के समानान्तर व विपरीत दिशा में जो घर्षण कार्य करता है उसी सर्पी बल कहते हैं।
(iii) लोटनिक घर्षण बल (rolling friction)
जब कोई गोलाकार वस्तु किसी सतह पर लुढ़कती है तो दोनों सतहों के बीच व गति की विपरीत दिशा में लगने वाले घर्षण बल को लोटनिक घर्षण कहते हैं।
बल के प्रभाव (Effect of Force)
किसी वस्तु पर आरोपित बल उस पर निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न कर सकता है –
1. विरामावस्था अथवा गति अवस्था में परिवर्तन कर सकता है (Change in the state of rest or motion)
बल किसी वस्तु को गतिमान कर सकता है तथा गतिशील वस्तु को रोक सकता है। फुटबॉल पैर की ठोकर द्वारा आरोपित बल के प्रभाव में गति करती है। हम विपरीत दिशा में बल आरोपित करके इस गतिमान फुटबॉल को भी रोक सकते हैं।
2. चाल में परिवर्तन कर सकता है (Change in speed)
बल किसी गतिमान वस्तु की गति को बढ़ाने अथवा कम करने में सक्षम होता है। यदि किसी साइकिल सवार को एक लड़का साइकिल की गति की दिशा में पीछे से धक्का लगाता है तब इसकी गति बढ़ जाती है, परंतु यदि लड़का साइकिल को पीछे की ओर खींचता है तो साइकिल सवार की गति कम हो जाती है।
3. गति की दिशा परिवर्तित कर सकता है (Change Direction)
बल गतिमान वस्तु की गति दिशा में परिवर्तन कर सकता है। क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज अपनी ओर आती हुई गेंद को बल्ले से मारकर उसकी दिशा में परिवर्तन कर देता है।
4. आकृति/आकार में परिवर्तन कर सकता है (Change in Shape)
बल किसी वस्तु के आकार/आकृति को परिवर्तित कर सकता है। जब किसी अदृढ़ (मुलायम) वस्तु; जैसे –टूथपेस्ट की ट्यूब, टमाटर, स्प्रिंग, लोहे की छड़ आदि पर बल आरोपित किया जाता है तो यह बल उस वस्तु के आकार अथवा आकृति में विकृति उत्पन्न कर देता है अर्थात परिवर्तन कर देता है।
नाभिकीय बल (Nuclear Force)
परमाणु के नाभिकों के संयोजन (composition) या वियोजन या क्षय (Decay) के लिए जिम्मेदार बलों को नाभिकीय बल कहते हैं। संयोजन व वियोजन के ही आधार पर इन्हें दो रूपों में बांटा जा सकता है।
(i) प्रबल बल (Strong Force)
नाभिक में प्रोटोनों व न्यूट्रानों को बांधे रखने के लिए जिम्मेदार बल को प्रबल बल कहते हैं।
यह दो प्रोटोनों दो न्यूटानों या प्रोटान व न्यूट्रॉन के मध्य लगता है। जिसका परास (Range) बहुत कम (1015m of (order) वह प्रबलता बहुत अधिक होती है।
उदाहरण स्वरूप यदि दो प्रोटॉन एक फर्मी (1015m) की दूरी पर हो तो उनके बीच कार्यकारी प्रबल बल जो कि आकर्षण प्रवृत्ति का होता है, दोनों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षी स्थिर वैद्युत बल का 10 गुना होता है। यही कारण है कि प्रोटॉन में रहने वाले कणों के बीच लगने वाला प्रबल बल दूरी बढ़ने पर बहुत तेजी से घटता है। यदि दोनों के बीच दूरी 15 फर्मी हो जाए तो यह मत नगण्य हो जाता है। माना जाता है कि प्रबल बल दो क्वार्कों की पारस्परिक क्रिया द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये बल प्रकृति (nature) में सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं।
(ii) दुर्बल बल (weak force) :-
रेडियो एक्टिव प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले B- कणों या इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन तब होता है जब नाभिक का कोई न्यूट्रॉन व प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन व एंटीन्यूट्रिनो के रूप में परिवर्तित होता है।
इलेक्ट्रॉनों व एंटीन्यूट्रिनो के बीच होने वाली पारस्परिक अभिक्रिया, दुर्बल बलों के कारण ही होती है। इन्हें दुर्बल या क्षीण बल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका मान बहुत कम होता है। ऐसा माना जाता है कि ये बल W- बोसॉन नामक कण के आदान-प्रदान द्वारा उत्पन्न होते हैं। इन बलों को क्षीण बल भले ही कहा जाता है, परंतु इनका परिमाण गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 1025 गुना होता है। साथ ही इनका कार्यकारी परास (active range) बहुत कम होता है जो कि प्रोटोन व न्यूट्रॉन के आकार से भी कम होता है।
संपर्क तथा असंपर्क बल (Contact and Non-Contact Forces)
1. संपर्क बल (Contact Forces)
वे बल जो वस्तु पर तब कार्य करते हैं जब बल का स्त्रोत वस्तु के वास्तविक संपर्क में होता है, संपर्क
बल कहलाते हैं। संपर्क बलों के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं –
(i) गोंद की ट्यूब से गोंद निकालने के लिए लगाया गया बल।
(ii) इंजन द्वारा डिब्बों को खींचने के लिए लगाया गया बल।
(iii) घोड़े द्वारा गाड़ी पर लगाया गया बल।
(iv) दीवार में कील गांड ने के लिए हथौड़े से लगाया गया बल।
सामान्य रूप से पेशीय बल, यांत्रिक बल तथा घर्षण बल संपर्क बल होते हैं।
2. असंपर्क बल (non-Contact Forces)
ऐसे बल जो अपने स्त्रोत की वस्तु के संपर्क में न होने पर वस्तु पर कार्य करते हैं, असंपर्क बल कहलाते हैं। असंपर्क बलों के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं –
(i) दो तार जिनमें एक ही दिशा में विद्युत धारा बह रही है, एक-दूसरे को चुंबकीय बल के कारण आकर्षित करते हैं।
(ii) एक आवेशित वस्तु किसी अनावेशित वस्तु या आवेशित वस्तु को विद्युत बल के कारण आकर्षित करती है।
(iii) एक चुंबक पास में रखी हुई लोहे की कील को चुंबकीय बल के कारण आकर्षित करती है।
(iv) किसी घर की छत से छोड़ी गई गेंद गुरुत्व बल के कारण नीचे गिरती है।
सामान्यतः चुंबकीय बल, विद्युत बल तथा गुरुत्वीय बल असंपर्क बल होते हैं।
बल से संबंधित प्रश्न -
1. बल क्या है? तथा इसकी क्या परिभाषा है।
उत्तर- बल, द्रव्यमान के साथ वस्तु का एक परस्पर क्रिया है, जो वस्तु के वेग को बदलने का कारण बनता है। इसे किसी विशेष वस्तु को धकेलने या खींचने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। बल, एक सदिश राशि है जिसका अर्थ है कि इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।
2. बल कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- बल तीन प्रकार के होते हैं-
चुंबकीय बल
स्थिर वैद्युत बल
गुरुत्वाकर्षण बल
3. बल का मात्रक क्या होता है।
उत्तर- बल का SI मात्रक न्यूटन होता है।
4. बल किसे कहते हैं? बल लगाने की आवश्यकता क्यों होती है।
उत्तर- बल वह वाह्य भौतिक कारण है जो किसी वस्तु की स्थिरता अथवा चाल की दशाओं को बदलने का प्रयास करता है अथवा बदल देता है। सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि बल एक खिंचाव या धक्का है। इसके अतिरिक्त बल किसी वस्तु के आकार अथवा आयतन में भी परिवर्तन कर सकता है।
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