भाई दूज पर निबंध || Bhai Dooj per Nibandh Hindi mein
परिचय -
"भाई दूज" यह नाम ही इस खास दिन के बारे में बहुत कुछ बताता है, जो कि असल में भाइयों के लिए कुछ खास महत्व रखता है। दरअसल यह एक ऐसा दिन होता है जब बहनें अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं और उनके लंबे जीवन और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती हैं। यह काफी हद तक रक्षाबंधन पर्व के समान है। और यह आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीने में मनाया जाता है। यह भारत में हर वर्ष मनाया जाता है।
भाई दूज मनाने के लिए सही दिन -
सभी त्योहारों के अपने ऐतिहासिक लाभ होते हैं और भाई दूज भी एक विशेष दिन पर ही मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। हर वर्ष, हम शुभ मुहूर्त के आधार पर इस दिन को मनाते हैं। किसी भी अवसर को मनाने के लिए सही मुहूर्त का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह एक विशेष समारोह के लिए एक सटीक समय देता है।
भाई दूज कैसे मनाते हैं? -
भाई दूज का पर्व दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन विवाहिता बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती हैं, और गोबर से भाईदूज परिवार का निर्माण कर उसका पूजन अर्चन कर भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराती हैं। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई दूज से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह ये पर्व मनाया जाता है।
भाई दूज की पूजा विधि -
भाई दूज के दिन ऐपन का बड़ा महत्व है, जो बहन स्वयं अपने हाथों से मिट्टी या कागज का मूर्तिरूपी संकेतक तैयार करती है, सुबह जल्दी उठने के पश्चात नहा-धोकर ऐपन जिनमें अधिकतर लोग सात बहनें और उनके एक भाई के संकेत के रूप में आकृतियां तैयार करती हैं।
पास में रखी लकड़ी की डंडी जिन्हें मूसल कहा जाता है। इससे बिच्छू व कीटों पर प्रहार करती हैं। प्रतीक के रूप में इस परंपरा के द्वारा बहन अपने भाई के जीवन में आने वाले सभी समस्याओं को समाप्त कर भाई की दीर्घायु और जिंदगी में उन्नति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।
भाई दूज को राष्ट्र के विभिन्न भागों में कैसे मनाया जाता है? -
भारत के अलावा, यह नेपाल में भी मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसके अलग-अलग नाम है लेकिन इन सभी का महत्व हर स्थान पर समान है। उनमें से कुछ का उल्लेख मैंने यहां पर नीचे किया भी है-
नेपाल में भाई दूज -
इसे नेपाल में "भाई टीका" का नाम दिया गया है। इस अवसर पर, बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई भी कुछ उपहार लाते हैं और इस अवसर का जश्न मनाते हैं। नेपाल में दशहरा के बाद इस त्यौहार को सबसे बड़े त्योहारों में से एक के रूप में मनाया जाता है।
बंगाल में भाई दूज -
यह पश्चिम बंगाल में काली पूजा (दिवाली) के 2 दिन बाद हर साल मनाया जाता है। यह राज्य विभिन्न प्रकार के मीठे तथा अन्य व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। जो इस मौके को और भी खास बनाता है। बहनें अपने भाइयों के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करती हैं और इस खास मौके का आनंद लेती हैं। वे अपने माथे पर तिलक भी लगाती हैं और इस अवसर को मनाती हैं। इसे बंगाल में "भाई फोंटा" के नाम से जाना जाता है।
आंध्र प्रदेश में भाई दूज -
आंध्र प्रदेश में, भाई दूज को "भगिनी हस्त भोजनाम" के नाम से जाना जाता है और यह कार्तिक मास के दूसरे दिन बनाया जाता है जो दीपावली का दूसरा दिन होता है। इसे यम द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है और यह उसी आस्था के साथ मनाया जाता है जिस तरह से इसे उत्तर भारत में मनाते हैं।
महाराष्ट्र में भाई दूज -
महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है और इसे वहां 'भाऊ बीज' के नाम से जाना जाता है। हर साल इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए कुछ अनुष्ठान करती हैं और उनके लिए प्रार्थना करती हैं।
इसी तरह, पूरे राष्ट्र में अलग-अलग नामों से इस त्यौहार को मनाया जाता है जैसे- भाऊ बीज, भतरू द्वितीया, भाई दूज आदि।
भाई दूज की यम और यमुना की कहानी-
इस अवसर को मनाने के पीछे एक प्रसिद्ध कहानी है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य के 2 बच्चे यम और यमुना थे और दोनों जुड़वां थे लेकिन जल्द ही उनकी मां देवी संग्या ने उन्हें अपने पिता की तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने अपने बच्चों के लिए अपनी परछाई छोड़ रखी थी। जिसका नाम उन्होंने छाया रखा। छाया ने भी एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम शनी था लेकिन उसके पिता उसे पसंद नहीं करते थे।
परिणामस्वरूप, छाया ने दोनों जुड़वां बच्चों को अपने घर से दूर फेंक दिया। दोनों जुदा हो गए और धीरे-धीरे काफी समय बीतने के बाद एक रोज यमुना ने अपने भाई को मिलने के लिए बुलाया, क्योंकि वह वास्तव में पिछले काफी समय से यम से मिलना चाहती थी। जब यम, यानी मृत्यु के देवता, उनसे मिलने पहुंचे तब उन्होंने उनका खुशी से स्वागत किया। वह अपने बहन आतिथ्य से वास्तव में काफी खुश हुए; यमुना ने उनके माथे पर तिलक लगाया और उनके लिए स्वादिष्ट भोजन भी पकाया। यम ने खुशी महसूस की और अपनी बहन यमुना से पूछा कि क्या वह कुछ चाहती है? तब यमुना ने उस दिन को आशीर्वाद देना चाहा ताकि सभी बहनें अपने भाइयों के साथ समय बिता सकें। और इस दिन जो बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएंगी, मृत्यु के देवता उन्हें परेशान नहीं करेंगे। यम इस पर सहमत हुए और कहा ठीक है; परिणाम स्वरूप हर वर्ष इस दिन बहनें अपने भाइयों के साथ इस अवसर को मनाने में कभी नहीं चूंकती हैं।
मान्यता -
भाई दूज को लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेम पूर्वक भोजन कराने से परस्पर प्रेम तो बढ़ता ही है साथ ही भाई की उम्र भी लंबी होती है। चूंकि इस दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज से वचन लिया था, उसके अनुसार भाई दूज बनाने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है, और भाई की उम्र व बहन के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष -
हम सभी को अपने रोजाना की दिनचर्या को बदलने के लिए एक बहाना चाहिए और हमारे त्योहार हमें वैध बहाने प्रदान करते हैं। इसलिए, हमें निश्चित रूप से त्यौहार मनाना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह विभिन्न तरीकों से मददगार होता है।
पहला, यह आपको अपनी दिनचर्या से छुट्टी देता है, साथ ही यह आपको उस खास दिन के ऐतिहासिक महत्व को जानने और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को बचाने में मदद करता है।
भाई दूज पर 10 लाइन —
1. भाई दूज पर्व दीपावली के बाद मनाया जाता है।
2. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
3. इस दिन सभी बहने अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
4. रक्षाबंधन के बाद भाई दूज ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के अपार प्रेम को दर्शाता है।
5. भाई बहनों के बीच के प्रेम को मजबूत करने के लिए भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
6. इस दिन विवाहित बहनें अपने भाइयों को अपने घर बुलाती हैं और उनकी खूब आदर सत्कार करती हैं।
7. दीपावली का त्यौहार भाई दूज अर्थात् यम द्वितीया के साथ ही समाप्त हो जाता है।
8. यमराज ने अपनी बहन यमुना को यह वादा किया था कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से तिलक लगवाएंगे और अपनी बहन के घर जाकर भोजन प्राप्त करेंगे और उन्हें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होगी।
9. भाई दूज अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
10. बदले में भाई भी अपनी बहनों को बहुत सारा उपहार देते हैं।
People Also Asked -
प्रश्न- दूज क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- मान्यता है कि श्री कृष्णा ने नरकासुर का वध करने के पश्चात अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने अपने भाई से मिलकर उनका तिलक कर आरती पूजन किया और उस पुष्पहारों से उनका आदर-सत्कार के साथ स्वागत किया तब से ही हर वर्ष इसी तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
प्रश्न- भाई बहन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- ये दोनों ही शब्द मिलकर एक भाई बहन का प्रतीक होते हैं। यहां यह प्रतीक केवल खून के रिश्ते को ही नहीं समझाता बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है। यह त्यौहार खुशी प्रदान करने वाला होता है। वहीं ये भाइयों को याद दिलाता है कि उन्हें अपनी बहनों की हमेशा रक्षा करनी है। रक्षाबंधन भाई बहन का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न- भैया दूज का मतलब क्या होता है?
उत्तर- भ्रातृ द्वितीय (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के 2 दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
प्रश्न- भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर- आज के दिन जो बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करेगी, उस भाई को यमराज लंबी उम्र प्रदान करेंगे और वो भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा करेगा। यमुना की बात सुनकर यमराज ने तथास्तु बोल दिया। इसके बाद से ही हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा।
प्रश्न- क्या भाई दूज धार्मिक है?
उत्तर- भाई दूज का उत्सव रक्षाबंधन के समान ही होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए लंबे और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करती हैं, और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाई दूज कृष्ण की बहन सुभद्रा के अपने भाई के प्रति प्रेम पूर्ण भाव की स्मृति में मनाया जाता है।
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