गुरु के महत्व पर निबंध : Guru ke Mahatva Per Nibandh Hindi Mein

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गुरु के महत्व पर निबंध : Guru ke Mahatva Per Nibandh Hindi Mein

गुरु के महत्व पर निबंध || Guru ke Mahatva Per Nibandh Hindi Mein

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गुरु के महत्व पर निबंध - 


गुरु का महत्व वर्तमान समय ही नहीं बल्कि पुराने समय से ही सर्वोपरि रहा है। गुरु को हमेशा भगवान का दर्जा दिया जाता है। हमें अपने माता-पिता के बाद जो कुछ भी सिखाया जाता है। वह सब गुरु की ही देन होती है। गुरु ही हमें सच्चाई और अच्छाई के मार्ग को बताते हैं, और सही राह पर लाते हैं। गुरु शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है गू और रू।


यदि इसके शाब्दिक अर्थ को देखें तो गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ उजाला होता है। अर्थात् गुरु शिष्यों के जीवन में अंधकार को दूर कर देते हैं और उनके जीवन को उजाले से भर देते हैं। गुरु अपने सभी शिष्यों के अंधकार रुपी जीवन को प्रकाश की ओर ले जाते हैं और उन्हें सच का मार्ग दिखाते हैं।


हर एक व्यक्ति के जीवन में गुरु की एक अहम भूमिका होती है और हर एक व्यक्ति गुरु के प्रति अपने आस्था और विश्वास के साथ अपने अपने सम्मान को प्रकट करते हैं। गुरु का मुख्य उद्देश्य अपने विद्यार्थियों को सफलता के मार्ग पर ले जाना होता है और उन्हें अच्छा ज्ञान के सागर से अवगत कराना होता है। गुरु अपने सभी विद्यार्थियों को हर एक तरह से अलग-अलग विषयों से संबंधित जानकारियां प्रदान करते हैं, जो उनके जीवन को हर एक पड़ाव पर सुरक्षित करती है। गुरु हमेशा अपने शिष्यों को अनुशासित विनम्र और बड़ों का सम्मान करना सिखाते हैं।


प्रस्तावना (Introduction) -


गुरु का महत्व उनके शिष्यों को भली-भांति पता होता। अगर गुरु नहीं तो शिष्य भी नहीं अर्थात् गुरु के बिना शिष्य का कोई अस्तित्व नहीं होता है। प्राचीन काल से गुरु और उनका आशीर्वाद भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्राचीन समय में गुरु अपनी शिक्षा गुरुकुल में दिया करते थे। गुरु से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात शिष्य उनके पैर स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेते थे। गुरु का स्थान माता-पिता से अधिक होता है। गुरु के बगैर शिष्यों का वजूद नहीं होता है।


जिंदगी के सही मार्ग का दर्शन छात्रों को उनके गुरुजी करवाते हैं। जीवन में छात्र सही गलत का फर्क गुरुजी के शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं। शिष्यों के जिंदगी में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा होता है। गुरु जो भी फैसला लेते हैं उनके शिष्य उनका अनुकरण करते हैं। गुरु शिष्यों के मार्गदर्शक हैं और शिष्यों की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं।


गुरु शब्द की उत्पत्ति (Origin of the world Guru) -


दोस्तों गुरु शब्द की उत्पत्ति दूसरों को मिलाकर की गई है, जो कि गु और रु है। गु शब्द का अर्थ अंधकार होता है और रु शब्द का अर्थ रोशनी होता है, अर्थात गुरु शब्द का अर्थ ही अंधकार से निकालकर ज्ञान के तरफ लेकर जाना होता है। जिंदगी में मनुष्य को अंधकार रूपी परेशानियों से गुरु ज्ञान के उस प्रकाश की ओर ले कर जाते हैं जो शिष्यों के लिए बहुत ही अहम होता है।


हम सभी लोगों के पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं, परंतु यह हमें संस्कारित शिक्षा प्रदान करते हैं और दुनिया से लड़ने और दुनिया को समझने की शिक्षा हमें हमारे विद्यालय में शिक्षक प्रदान करते हैं।


गुरु की इज्जत करना है शिष्य का परम धर्म (Respecting the Guru is the supreme religion of the Disciple) -


गुरु का सम्मान शिष्यों को सदैव करना चाहिए। समाज में कुछ बुरे मनसा वाले लोग रहते हैं, वह अपने गुरु का सम्मान और आदर नहीं करते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में कभी भी उन्नति नहीं कर पाते हैं। गुरु का अपमान यानी शिक्षा का अपमान करना होता है। इसलिए बच्चों को बचपन से ही गुरु की इज्जत करना बड़े लोग यानी माता-पिता सिखाते हैं।


अगर हम दूसरे नजरिए से देखें तो जिंदगी में हम जो कुछ भी सीखते हैं वह सब गुरु के ही बदौलत होता है क्योंकि अगर गुरु नहीं तो ज्ञान नहीं और ज्ञान नहीं तो कुछ नहीं। ऐसे भागदौड़ भरी दुनिया में ज्ञान ही सब कुछ है जिसके पास ज्ञान वही विद्यमान है। क्योंकि आजकल की जो नौकरियां होती हैं उसमें केवल आपकी बुद्धि यानी कि ज्ञान का ही परिचय होता है।


गुरु से अधिक शक्तिशाली कोई नहीं (No one is more powerful than the Teacher) - 


दुनिया का सबसे मजबूत हिस्सा गुरु और उनकी शिक्षा होती है। गुरु के ज्ञान के बगैर शिष्यों का जीवन अधूरा है। बड़े-बड़े लोग भी अपने गुरुओं के समक्ष शीश झुकाकर उनका सम्मान करते हैं। गुरुओं के सत्कार में उनके शिष्य कोई भी कमी नहीं छोड़ते है। 


इसलिए कहा गया है कि बिन गुरु ज्ञान नहीं।

इसका अर्थ हुआ कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं है।


बिना गुरु के दुनिया का क्या होगा (What would happen to the word without a Guru) -


दोस्ती यारी गुरु नहीं होंगे, तो लोग शिक्षित नहीं हो पाएंगे और बिना शिक्षा के लोग अंधकार में भटकेगे। दोस्तों जैसे अंधेरा होने के बाद हम सभी लोग सामग्रियों को सिर्फ और सिर्फ टटोलते रहते हैं, ठीक उसी प्रकार बिना गुरु के जिंदगी में अधिकार छा जाएगा और हम ऐसे ही भटकते रहेंगे और दुनिया का कोई भी व्यक्ति काम नहीं आएगा।


यदि किसी भी शिष्य को उनके जीवन में गुरु नहीं मिला तो वह शिष्य अपने जीवन को दुखों से ही जिएगा और जीवन को सही रास्ते पर लाने के लिए गुरु की तलाश करते रहेंगे।


गुरु पूर्णिमा का महत्व (Importance of Guru Purnima) -


दोस्तों गुरु पूर्णिमा एक बहुत ही पावन दिवस है, क्योंकि आज के दिन गुरु को याद करके उनकी पूजा की जाती है। यह एक ऐसा दिन होता है जिस दिन सभी शिष्य अपने अपने गुरुओं को याद करते हैं और उनसे मिलकर अपने भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 


गुरु पूर्णिमा के दिन हर एक घर में गुरु नानक देव की पूजा की जाती है, क्योंकि गुरु नानक देव जी ने ही शिक्षा को उजागर किया था। इस दिन अपने भविष्य को बनाने के लिए कुछ लोग अपने गुरु से आशीर्वाद लेते हैं और साथ में उनको जो अच्छा लगता है दान कर्म का काम भी करते हैं जिससे वह पुण्य कमाते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion) - 


आज के इस निबंध को पढ़ने के बाद हम सभी लोगों को यह सीख मिलती है कि गुरु सभी मानव के लिए सर्वोपरि है, और हमें अपने गुरु की सेवा के लिए हमेशा कुछ न कुछ करना चाहिए। जहां तक हो सके। तथा आज हमने यह भी सीखा कि गुरु के बिना इस संसार में कुछ भी नहीं है। गुरु है तो सब कुछ है।


जीवन में गुरु का महत्व पर निबंध (Essay on importance of Guru in life) -


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हमारे जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। आज के आर्टिकल में हम गुरु के महत्व के बारे में पढेंगे।


हर व्यक्ति की सफलता के पीछे गुरु का हाथ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है गुरु को उजाले का दीप माना जाता है गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है गुरु के सहयोग से ही हर व्यक्ति सफल बनता है।


गुरु का होना अंधकार में देश के जैसे होते हैं। जो खुद जलकर दूसरों को उजागर करते हैं। माता के बाद दूसरा शिक्षक गुरु ही होते हैं गुरु से ली गई सच्चा संस्कार हमारी जीवन को आसान बना देती है।


गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो खुद एक स्थान पर रहकर दूसरों को अपनी मंजिल तक पहुंचाता है गुरु हमेशा सभी को अच्छा ज्ञान देता है। गुरु सच्चे पथ प्रदर्शक होता है। हमारे जीवन में गुरु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।


मनुष्य के लिए भगवान से भी बढ़कर गुरु को माना जाता है क्योंकि भगवान हमें जीवन प्रदान करता है। और गुरु हमें शिक्षा देकर इस जीवन को सही ढंग से जीना सिखाते हैं जो गुरु का मार्ग दर्शन करके चलता है। उसे जीवन में कभी ठोकरे नहीं खानी पड़ती हैं।


गुरु शब्द को देखा जाए तो गुरु दो शब्द के मेल से बनता है। किसने पहला शब्द जिसका अर्थ होता है। अंधकार और दूसरा शब्द रूप जिसका अर्थ होता है उजियारा यानी गुरु के नाम से ही हम पहचान कर सकते हैं कि यह हमें अंधकार से उजियारे की ओर ले जाने का कार्य करते हैं गुरु हमें अंधकार रूपी इस जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान देते हैं।


गुरु हमें शिक्षा के साथ-साथ संस्कारवान तथा अनुशासित विद्यार्थी बनाते हैं। व्यक्ति को जीवन में कुछ करना है तो उसे हर चीज के बारे में महसूस कराना होगा यह कार्य सिर्फ गुरु ही कर सकते हैं।


जो अपने शिष्य को प्रेम भाव के साथ समझा कर उन्हें अपने जीवन और भविष्य के लिए क्या उचित है और क्या आपके भविष्य को बर्बादी की ओर ले जाता है गुरु अनुभवी होते हैं वे अपने अनुभव का प्रयोग कर अपने चीजों को ज्ञान देते हैं।


गुरु विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन तथा शिक्षा देकर गुणवान व्यक्ति बनाता है। जिस व्यक्ति ने गुरु की कही गई बातों पर हमला किया और उन्हें गौर से जाना और सुधार किया है पर आज के जमाने में सबसे महान व्यक्ति है हमारे जीवन में हर परिस्थिति में गुरु की शिक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण होती है।


उदाहरण के तौर पर हम देखे हैं तो गुरु वह व्यक्ति होता है। जो हमें ज्ञान के पथ पर लाकर खड़ा करते हैं एक रुप से गुरु हमारे ड्राइवर होते हैं जो हमें सब कुछ सिखा कर ज्ञान से परिपूर्ण बनाते हैं।


शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता बल्कि गुरु वह होता है जो हमें अपनी आवश्यकता के अनुसार हमें सिखाता है। जैसे कोई क्रिकेटर बनाना चाहता है तो उसे क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाता है तथा हमें क्रिकेट खेलना सिखाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है एक व्यक्ति के पास गुरु होता है तो वह व्यक्ति भाग्यशाली माना जाता है।


हमारे देश में गुरु को और भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। हमारे यहां गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। इसलिए कहते हैं "गुरुव देवो भव" हमारे देश में गुरु के सम्मान एवं महत्व को समझते हुए उनके चित्रकार को मनाते हुए।


हमारे देश में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है इस दिन लोग घरों में खुशियां मनाते हैं तथा अपने गुरुजनों को बुलाकर उनका मान सम्मान करते हैं। उन्हें भोजन कराते हैं। इस दिन विद्यार्थी गुरु की सेवा कर खुद को भाग्यशाली समझते हैं। और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।


हमारी जीवन का यही बड़प्पन है कि हम बड़ों का आदर करें फोटो के साथ प्रेम पूर्वक करें तथा अतिथि का सम्मान करें इस प्रकार के हमारे जीवन के महत्वपूर्ण संस्कार तथा हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने का ज्ञान हमें गुरुद्वारा ही मिलता है। गुरु हमेशा अपने शिष्य को खुद से भी बेहतर बनाना चाहता है।


विद्यार्थियों का मानना होता है कि शिक्षक हमारे लिए पूरे साल हमारी सहायता करते हैं हमारे भविष्य की चिंता करते हैं क्यों ना हम एक दिन गुरु पूर्णिमा के दिन ही गुरु का आदर करें तथा उनके साथ प्रेम भाव प्रकट करें।


गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान सदुपयोग कर सभी को अंधकार आरोपी अज्ञान से दूर करते हुए छवि को शिक्षित बनाना है। ज्ञान ही एकमात्र ऐसी वस्तु है जिसे बांटने से वह कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है इसलिए अपने ज्ञान को आगे से आगे शेयर करना चाहिए और सभी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना हमारा है।


प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक गुरु का हाथ जरूर होता है। इस संसार में माता और गुरु दो ही ऐसे व्यक्ति होते हैं। जिनका आशीर्वाद हमारे जीवन को सफल बना सकता है हमें गुरु को हर चमन नमन करना चाहिए हर शुभ कार्य में गुरु की आज्ञा लेनी चाहिए।


शिक्षक दिवस पर नारे, गुरु का महत्व (Teacher day Slogan) -

"वह व्यक्ति जो ज्ञान से जीवन आसान बनाएं।

वही हमारे लिए गुरु कह लाए।।"


गुरु की महिमा अपरंपार, गुरु ही लगाएंगे नैया पार।

गुरु जग में करता उजाला, गुरु से ही शुरु होता सफल जीवन।


गुरु वही जो शिखर पर ले जाए

गुरु बिन घोर अंधेरा और, गुरु ज्ञान बिना जग 

सूना सूना।


गुरु ऋण से उऋण होने जैसा कुछ सोच नहीं पाता हूं।

आखिर में यही ख्याल गुरु बनकर ही रुक पाता हूं।


गुरु सरीका नहीं कोई भाई , पढ़ ले इनसे मेरे भाई कभी कभी सोचा करता हूं।


गुरु है ज्ञान है सार, अरे बच्चे के जीवन का आधार।"


शिष्य को जो देते ज्ञान, इसी ज्ञान से शिष्य बनता महान।"


"ज्ञान बांटने का काम जो करते शिक्षक, की जगह है भरते"।


गुरु के राह दिखाते हैं चला खुद को ही पड़ता है।


गुमनामी के अंधेरे में था पहचान बना दिया, दुनिया के गम से मुझे अनजान बना दिया उनकी ऐसी कृपा हुई गुरु ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।


• आपसे ही सीखा, आप से ही जाना, आपको ही बस हमने गुरु हे माना सीखा है सब कुछ बस आपसे हमने, शिक्षा का मतलब बस आपसे ही जाना।


• जीवन का पथ जहां से शुरू होता है वह रहा दिखाने वाला गुरु ही होता है।


• गुरु का महत्व कभी होगा ना कम भले कर ले कितनी भी उन्नति हम।


FAQ'S (Frequently Asked Questions)


प्रश्न 1. एक विद्यार्थी के जीवन में गुरु का क्या महत्व होता है?


उत्तर- दोस्तों गुरु हमारा सब कुछ होता है। अगर आप अपने गुरु को सच्चे दिल से मानते हो तो आपको किसी और को मानने की जरूरत है ही नहीं क्योंकि गुरु ही ईश्वर है। गुरु ही माता-पिता है। गुरु ही सब कुछ है। आज जो भी रिश्ते हैं। सब कुछ गुरु के रिश्ते के आगे पीछे हैं, क्योंकि गुरु ही हमें इन रिश्तों को निभाने के काबिल बनाता है इसलिए गुरु के बिना कुछ भी नहीं।


प्रश्न 2. गुरु क्यों महत्वपूर्ण है?


उत्तर - ना केवल आपके गुरु आपको आध्यात्मिक यात्रा में मदद करेगे, बल्कि आपके गृहस्थ जीवन में भी आपका मार्गदर्शन भी करेगे। वह आपको यह तय करने के लिए अंतर्ज्ञान शक्ति देंगे। जो कि आपके जीवन के लिए अच्छा होगा। गुरु ना केवल भविष्य बनाते हैं बल्कि समाज के प्रति हो रहे कार्य के विषय में भी बताते हैं इसलिए गुरु हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 3. जीवन में गुरु कौन होता है?


उत्तर - गुरु वह है, जो अपने मार्गदर्शन की शिक्षा के अनुसार आध्यात्मिक पथ पर चलकर विश्व मन और विश्व बुद्धि से ज्ञान प्राप्त कर चुके हैं। आध्यात्मिक मार्ग दर्शक अथवा गुरु किसे कह सकते हैं और उनके लक्षण कौन से हैं।


प्रश्न 4. हम गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं इसका महत्व बताते हुए निबंध लिखें?


उत्तर - पहला हैं हिंदू धर्म,गुरु पूर्णिमा को भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अपने साथ अनुयायियों अथात् सप्तऋषियों को योग का ज्ञान दिया, और इस तरह एक गुरु बन गए। दूसरा है बौद्ध धर्म यह त्योहार बुद्ध को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने धर्म की स्थापना की आधार नींव रखी।


प्रश्न 5. गुरु की क्या विशेषता है?


उत्तर - केवल एक गुरु, जो ईश्वर को जानता है, दूसरों को सही ढंग से ईश्वर के प्रति शिक्षा दे सकता है। व्यक्ति को अपनी दिव्यता को पुनः पाने के लिए एक ऐसा ही सद्गुरु चाहिए। जो निष्ठापूर्वक सद्गुरु का अनुसरण करता है वह उसके समान हो जाता है, क्योंकि गुरु अपने शिष्य को अपने ही स्तर तक उठाने में सहायता करते हैं।


प्रश्न 6. जीवन का पहला गुरु कौन है?


उत्तर - जीवन का पहला गुरु हमारे माता और पिता होते हैं।


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