गंगा प्रदूषण पर निबंध || Ganga Pradushan Per Nibandh Hindi Mein
गंगा प्रदूषण पर निबंध -
पुण्य सलिला गंगा के जल को सर्व पाप हारी सर्व रोग हारी अमृत तुल्य माना गया है। यही कारण है कि हिंदुओं के अनेक तीर्थ हरिद्वार,काशी, प्रयाग आदि। गंगा के तट पर स्थित है। आर्थिक दृष्टि से गंगा के उपकारों का भारत सदैव ऋणी रहेगा अनगिनत कल कारखाने गंगा तट पर स्थापित किए गए हैं तथा उत्तर प्रदेश, बिहार एवं बंगाल का विशाल क्षेत्र गंगा जल से सिंचित उर्वर कृषि क्षेत्र बना है। तथापि राष्ट्र का दुर्भाग्य है कि ज्यो ज्यो जनसंख्या बढ़ती जा रही है त्यों त्यों गंगा का जल विभिन्न रूपों में अधिकारिक प्रदूषित होता जा रहा है।
प्रस्तावना (Introduction) -
गंगा नदी हमारे भारत देश की शान है। यह नदी हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस नदी को गंगा मैया कहकर पुकारा जाता है और इसकी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गंगा नदी के जल को अत्यंत पवित्र माना गया है। गंगा का जल वर्षों तक बोतल और डिब्बों में बंद रहने के बाद भी खराब नहीं होता लेकिन भारत की मातृवत् पूज्या गंगा आज पर्याप्त सीमा तक प्रदूषित हो चुकी है। अनेक स्थानों पर तो इसका जल अब स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है, इसलिए आज गंगा नदी की शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
एक बड़े अखबार ने गंगा नदी पर एक चित्र प्रकाशित किया था जिसमें गंगा नदी एक गंदे नाले के रूप में स्थित हो गई दिखाई गई। यह दृश्य विचलित भी करता है तथा बहुत से सवाल भी खड़े करता है। वैज्ञानिक लगातार खतरे की चेतावनी देते आ रहे हैं। यह चेतावनी दो तरफा है एक पक्ष गंगा नदी के विरुद्ध हो जाने से संबंधित है वहीं दूसरा पक्ष गंगा नदी के प्रदूषित हो जाने से संबंधित हैं।
गंगा नदी का महत्व (Importance of River Ganga) -
गंगा नदी का अपने भारत देश में बहुत बड़ा महत्व है। जहां अपने देश के हिंदू धर्म के लोगों के लिए गंगा नदी बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि हिंदू धर्म में गंगा नदी को एक देवी के रूप में देखा जाता है। जहां हमारे देश के प्राचीन इतिहास में गंगा नदी का सबसे श्रेष्ठ और पवित्र माना जाता है।
गंगा नदी का जल अपने देश में एक पवित्र जल माना जाता है। जिसका हिंदू धर्म में कहीं सारे लोग पूजा विधि के समय उपयोग भी करते हैं। एक समय ऐसा था जब लोग गंगा नदी के दर्शन करने के लिए गंगा नदी के यहां आते थे और जाते वक्त गंगा नदी का पानी बोतल में भरकर घर पर लेकर जाते। उसके बाद लोग यह पानी कई सालों तक उसी बोतलों में रखते थे, फिर भी यह पानी कभी भी खराब नहीं होता था लेकिन आज के समय में गंगा नदी में होनेवाले जल प्रदूषण के कारण इस नदी का पवित्र पानी भी प्रदूषित हो गया है।
गंगा नदी की उपयोगिता (Utility of River Ganga) -
गंगा नदी का निर्मल प्रभाव हमारे देश के जीवन के लिए बहुत उपयोगी है -
1. गंगा लगभग 2071 किलोमीटर की लंबी यात्रा करते हुए भारत के विशाल भूभाग को सींचती है। यह देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों उत्तराखंड उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड पश्चिम बंगाल को हरा भरा बनाते हुए देश के लगभग 26% भूभाग को लाभ पहुंचाती है।
2. गंगा के निर्मल जल में अनेक जलीय जीव जंतु पाए जाते हैं जो पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
3. गंगा नदी के किनारे बसे कई प्रमुख शहरों को एवं उद्योगों को जल की आपूर्ति इस इसी के जल से होती है।
4. गंगा नदी पर बने बांधों और इससे निकाली गई अनेक बड़ी नहरों पर बिजलीघरों की स्थापना करके प्रचुर मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जाता है।
5. गंगा नदी के जल में 'बैक्टीरियोफेज' नामक विषाणु पाया जाता है। जो हानिकारक जीवाणुओं और सूक्ष्म जीवो को जीवित नहीं रहने देता है।
6. गंगा नदी के जल में पर्याप्त घुलनशील ऑक्सीजन होती है। जो जलीय जीवन के लिए अति आवश्यक है।
गंगा नदी के संरक्षण की आवश्यकता आखिर क्यों (Why Conservation of River Ganga) -
गंगा नदी जो महादेव की जटाओं से निकली मानी जाती है, ऐसी अतिपवित्र मां गंगा के संरक्षण की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ रही है? इसके पीछे केवल और केवल मानवीय कारण है। टिहरी बांध बनाकर गंगा के अविरल जल प्रभाव को अत्यंत धीमा कर दिया गया है। जल का प्रभाव कम हो जाने के कारण गंगाजल में अशुद्धियों की मात्रा बढ़ती जा रही है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण गंगा नदी के जल में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। गंगा किनारे बसे नगरों का गांव के मल मूत्र और गंदा पानी नालों के माध्यम से गंगा में डाल दिया गया है। इसके साथ ही उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थ जैसे - प्लास्टिक के सामान, पॉलिथीन, कूड़ा करकट आदि सब गंगा में ही प्रभावित हो रहे हैं, और इसके साथ ही शवों एवं पूजा सामग्री का विसर्जन, बड़ी मात्रा में किए जाने वाले मूर्ति विसर्जन से। कभी ना खराब होने वाला गंगाजल आज विषैला होता जा रहा है। अतः गंगा नदी के संरक्षण की अति आवश्यकता है।
गंगा नदी के प्रदूषण की वजह (Reasons for Pollution of River Ganga) -
गंगा नदी को हम एक पवित्र नदी मानते हैं, लेकिन आज वही पवित्र गंगा नदी बढ़ते जल प्रदूषण के कारण अपवित्र हो गई है। जिसकी मुख्य और सबसे बड़ी वजह है हम इंसान। क्योंकि हम इंसानों के कारण ही आज गंगा नदी प्रदूषित हो गई है। जहां गंगा नदी के आसपास रहने वाले लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है, कि वहां के लोग हर तरह का कचरा इसी नदी में फेंक देते हैं। जिससे यह नदी अब पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है। जिसमें सार्वजनिक शौचालय का कचरा, अस्पतालों का कचरा, नदी के किनारे नहाना और कपड़े धोना, कारखानों का कचरा और शामिल है। कुछ बड़े बड़े उद्योग तो सीधे अपनी पाइप लाइन जोड़ देते हैं। जिससे उसका पूरा गंदा पानी इस नदी में जाता रहता है।
गंगा नदी एक धार्मिक और पवित्र नदी है इसको साफ करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें लगभग 5 से 6 करोड़ लोगों का जीवन निर्भर है।
गंगा नदी को स्वच्छ रखने व गंगा जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Measures to clean the River) -
सरकार को गंगा नदी के जल प्रभाव का अविरल संतुलन बनाए रखने हेतु प्रयास करने चाहिए, जिससे गंगा में मिलने वाली गंदगी एक स्थान पर रुक कर उसके जल को प्रदूषित ना करें।
• उद्योगों द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट पदार्थों के गंगा में गिराए जाने पर रोक लगानी चाहिए।
• नदी परियोजनाएं शुरू करते समय उनके द्वारा होने वाले पारिस्थितिकीय संतुलन संबंधी नुकसान की भरपाई व समाधान होना चाहिए।
• गंदे नालों को सीधे नदी में नहीं जोड़ना चाहिए, अपितु उपचार संयंत्रों के द्वारा संशोधन करके ही पानी को नदी में छोड़ना चाहिए।
• शहरों का गांव द्वारा निकले मल-मूत्र व घरेलू अपशिष्ट पदार्थों का उचित निस्तारण करना चाहिए।
• जैविक विधि से नदी को सर्च करना चाहिए।
गंगा की स्वच्छता हेतु सरकारी परियोजनाएं (Government Project for Cleaning Ganga) -
गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए सरकार द्वारा कई परियोजनाएं चलाई गई हैं, जो अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाई है। सन 1985 ईस्वी में सरकार द्वारा 'गंगा कार्य योजना' की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य गंगा को शीघ्र ही स्वस्थ और परिष्कृत बनाना था। 15 वर्षों में करोड़ों रुपए वह करके भी गंगा की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। 31 मार्च सन 2000 में इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया। इसके पश्चात राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण की परिचालन समिति द्वारा 'गंगा कार्य योजना 2' के अंतर्गत गंगा को स्वच्छ करने का अभियान चलाया गया। इस योजना का लक्ष्य गंगा में गिरने वाले 10 लाख लीटर मल जल को रोकना और उपचारित करना था। फिलहाल जुलाई 2014 ईस्वी को गंगा की सफाई के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 'नमामि गंगे' योजना स्वीकृत की गई। इस योजना के अंतर्गत गंगा को पूर्ण रूप से संरक्षित और स्वच्छ बनाने के उपाय करने का संकल्प लिया गया है।
इस योजना पर लगभग 20 हजार करोड रुपए की धनराशि व्यय की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार ने गंगा के किनारे स्थित 48 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश दे दिया गया है।
उपसंहार (Conclusion) -
आज केंद्र सरकार गंगा की सफाई के प्रति सजग, सक्रिय और दृढ़ प्रतिज्ञ है। फिर भी हम सभी देशवासियों को भी तन मन धन द्वारा इस अमूल्य राष्ट्रीय संपदा के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। बनारस के 'स्वच्छ गंगा अभियान' के संचालक प्रोफेसर वीरभद्र मिश्र के अनुसार - "गंगा दुनिया की एकमात्र नदी है जिस पर 40 करोड़ लोगों का अस्तित्व निर्भर है।" अतः ऐसी जीवनदायिनी अति पवित्र और वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी गंगा नदी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए हमें इसका संरक्षण करना चाहिए।
"चालिस करोड़ लोगों के जीवन का आधार,
मां कहलाती गंगा नदी करती सबका उद्धार।
आओ,संरक्षण को इसके हम सब आगे आए..
ना करें अपने कृत्यों के द्वारा गंगाजल बेकार !"
गंगा प्रदूषण पर 10 लाइन निबंध (10 lines Essay on Ganga Pollution) -
1. गंगा नदी भारत की सबसे प्रमुख नदी है।
2. गंगा नदी गंगोत्री हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर विलीन होती है।
3. गंगा नदी भारत के 4 राज्यों से होकर गुजरती है।
4. यह राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल है।
5. भारत के इस भाग को गंगा का मैदान कहते हैं। गंगा नदी को मां का दर्जा प्राप्त है।
6. गंगा में पेयजल तथा सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है।
7. भिन्न-भिन्न कारणों से आज गंगा का जल प्रदूषित होता जा रहा है।
8. गंगा को प्रदूषित करने में अहम योगदान मनुष्य का है क्योंकि मनुष्य ने ही गंगा पर बांध बनाकर इसके प्रभाव को रोका है।
9. इसके साथ-साथ इसमें अधिक मात्रा में कचरा फेंका जाता है।
10. गंगा नदी को स्वच्छ बनाने में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे नामक एक योजना चलाई है।
गंगा नदी पर स्लोगन (Slogans) -
• गंगा नदी कल्याण है करती, दुखियों का यह दुख है हरती।
• मां गंगा जहां भी जाए, उसका आशीर्वाद हर जगह आए,
• सिर्फ नदी नहीं यह गंगा है, दुखों को दूर करने की दवा है।
• गंगा नदी जहां भी जाए, कड़कड़ को खुशहाल बनाएं।
• नदी है असली सोना, इसे नहीं अब आपको खोना।
• नदियों की रक्षा देश की सुरक्षा..
• स्वच्छ रहेगा देश तभी जब होगी स्वच्छ नदियां..
• भविष्य को सुरक्षित बनाओ चलो नदियों को बचाओ…
• अब हमने यह जाना है नदियों को बचाना है…
• नदी का ना करो अपमान यह तो है हम सब का मान…
• नदिया है तो पानी है, पानी है तो जीवन है
…।
• पवित्रता इसकी पहचान है, कुंभ की शान है..
प्रश्न 1. गंगा जल प्रदूषण क्या है?
उत्तर - गंगा में प्रदूषण का एक बड़ा कारण जीवन शैली की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। गंगा में केवल वाराणसी में 33 हजार से अधिक शवों के दाह के बाद 700 टन से अधिक राख और अधिक अधजले शव या कंकाल बहा दिए जाते हैं। गंगापुर शुरू में ही टिहरी तथा अन्य स्थानों पर बांध और बैरेज बना दिए गए। इससे गंगा के जल प्रवाह में भारी कमी आई है।
प्रश्न 2. गंगा पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर - यदि गंगा ना होती तो हमारे देश का एक महत्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता है। इसलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र व महत्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। भारत के प्राचीन ग्रंथों जैसे - वेद, पुराण, महाभारत इत्यादि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है।
प्रश्न 3. प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर - प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो विज्ञान की कोख में से जन्मा है। और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है। प्रदूषण का अर्थ होता है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। ना शुद्ध वायु मिलना, ना शुद्ध जल मिलना, ना शुद्ध खाद्य मिलना, ना शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण के प्रकार के होते हैं जैसे - जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि।
प्रश्न 4. गंगा नदी कैसे प्रदूषित हो रही है?
उत्तर - कई लोगों की जीविका इस पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी अब यह नदी काफी ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है। हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि गंगा में जो प्रदूषण बढ़ा है। उसकी मुख्य वजह औद्योगिक कचरा और धार्मिक गतिविधियां रही है। ऐसे में अब उस प्रदूषण को कम करने में नमामि गंगे प्रोजेक्ट की अहम भूमिका हो सकती है।
प्रश्न 5. गंगा नदी को प्रदूषित करने वाले कौन कौन से कारक हैं?
उत्तर - गंगा में प्रदूषण का एक प्रमुख कारण इसके तट पर निवास करने वाले लोगों द्वारा नहाने, कपड़े धोने, सार्वजनिक शौच की तरह उपयोग करने की वजह है। अनगिनत टेनरीज, रसायन संयंत्र, कपड़ा मिलों डिस्टलरी, बूचड़खाना और अस्पतालों का अपशिष्ट गंगा के प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रहा है।
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