प्रदूषण की समस्या पर निबंध : Pradushan ki Samasya Per Nibandh

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प्रदूषण की समस्या पर निबंध : Pradushan ki Samasya Per Nibandh

प्रदूषण की समस्या पर निबंध : Pradushan ki Samasya Per Nibandh

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प्रदूषण की समस्या पर निबंध -

प्रकृति मूलत : शुद्ध पवित्र स्वास्थ्यवर्धक ही होती है। लेकिन यदि किन्हीं कारणों से जब दूषित होती जाती है, तो मानव के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए खतरे उत्पन्न करती है। प्रदूषण का अभिप्राय है- प्राकृतिक वातावरण और वायुमंडल का दोषपूर्ण होना। आधुनिक प्रदूषण के कई प्रकार हैं लेकिन वर्तमान में सबसे गंभीर समस्या वायु प्रदूषण है। जैसे-जैसे मशीनों की संख्या बढ़ती गई वैसे-वैसे वायुमंडल विषाक्त होता गया। किसी कवि ने ठीक ही कहा है-


जो कारखाने भूमि पर हैं, चिमनियाँ धुँआ उगल रहीं।


साँस लेना भी कठिन है, वायुमंडल दूषित कर रही।।


विभिन्न प्रकार की गाड़ियों से निकलने वाली कार्बन डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आदि जहरीली गैसें वायु में घुल रही हैं। ये जहरीली हवा मनुष्य ही नहीं भवनों के लिए भी घातक है। ताजमहल का पीला पड़ना, अजंता के चित्रों का बदरंग होना इसी का परिणाम है।


पहले खुले मैदानों में मल-मूत्र त्याग से भूमि को खाद मिलती थी किन्तु अब सीवरेज प्रणाली द्वारा इन सब को नदियों में छोड़ दिया जाता है। कारखानों का गंदा पानी भी नदियों को प्रदूषित कर रहा है।


वायु एवं जल की तरह थल प्रदूषण ने भी विकराल रूप धारण कर लिया है। बड़े-बड़े कारखानों एवं घरों, बाजारों से प्रतिदिन निकलने वाला लाखों टन कचरा, कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग, परमाणु कचरा विश्व के लिए एक भयंकर समस्या बनकर खड़ा है।


ध्वनि प्रदूषण भी कम खतरनाक नहीं है। इसके प्रभाव से सिरदर्द, बहरापन, मानसिक रोग जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं। वाहनों, कल कारखानों की ध्वनि, बारूद का फटना आदि ध्वनियाँ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। प्रदूषण किसी भी रूप में हो, हर रूप में इसके परिणाम भयंकर ही होते हैं। वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि यदि जल्दी ही बढ़ते हुए प्रदूषण पर लगाम नहीं लगाई गई तो लगभग सवा सौ वर्ष के बाद धरती पर जीवधारियों का रह पाना असंभव हो जायेगा। अतः समय रहते प्रदूषण से निपटने के उपायों पर अमल करना आवश्यक हो गया है।


"पर्यावरण शुद्ध हो इसका सभी प्रयास करेंगे।

तभी प्रकृति के कोसों का हम सब उपभोग करेंगे"


प्रस्तावना (Introduction) -


पर्यावरण प्रदूषण आज समस्त विश्व के लिए चुनौती बन रहा है। इस समस्या का अविलंब निराकरण होना परम आवश्यक है। आज आकाश विषाक्त हो गया है। धरती वायु तथा जल दूषित हो गए हैं। अपनी सुख-सुविधाओं की सनक में आज मानव प्राकृतिक संपदाओं का निरंतर दोहन करता जा रहा है। पेड़ काटे जा रहे हैं यही कारण है कि आज का इंसान स्वच्छ वायु में सांस लेने के लिए तरस गया है।


प्रदूषण की समस्या पर निबंध (Pradushan ki samasya per nibandh) -


प्रदूषण विश्व की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जो कम होने की बजाय प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। प्रदूषण की वजह से पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव जंतुओं को विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।


प्रदूषण से न केवल जीव-जंतु प्रभावित हो रहे हैं बल्कि पृथ्वी पर होने वाली सभी प्रकार की घटनाएं प्रभावित हो रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत हास और हरित गृह प्रभाव जैसी बड़ी समस्याओं में भी प्रदूषण का ही योगदान है और यह प्रदूषण हमारे द्वारा ही निर्मित रासायनिक कारकों से उत्पन्न हो रहा है। प्रदूषण की इस समस्या को हल्के में ना लेकर इसके खिलाफ महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है नहीं तो भविष्य में समस्त प्राणियों के लिए बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकती है।


प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)


प्रदूषण को प्रदूषित पदार्थ या प्रदूषक के अनुसार अलग-अलग प्रकारों में बांटा जा सकता है। प्रदूषित होने वाले पदार्थों के अनुसार प्रदूषण को चार प्रकार से परिभाषित किया गया है-


1. जल प्रदूषण (Water Pollution) - मनुष्य अपने शरीर में जो कुछ सेवन करता है उसकी स्वच्छता बहुत ही महत्वपूर्ण है। जल मनुष्य और समस्त जीवो के लिए बहुत ही जरूरी है और जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज जल की स्वच्छता का स्तर बहुत कम होता जा रहा है। जिसका मुख्य कारण नदियों तालाबों और जलाशयों के पानी में कारखानों के द्वारा अपशिष्ट रासायनिक पदार्थों को विसर्जित करना है। ये पदार्थ बहुत ही हानिकारक हैं और मनुष्य के शरीर में गंभीर बीमारियां उत्पन्न करते हैं।


2. वायु प्रदूषण (Air Pollution) - वायु प्रदूषण की समस्या भी सबसे गंभीर विषय है। कारखानों से उत्पन्न धुएं से और वाहनों से उत्सर्जित होने वाले धुएं से वायु का प्रदूषण हो रहा है। हवा के अंदर बहुत ही हानिकारक और जहरीली गैसों का मिश्रण हो रहा है जो श्वसन के दौरान सीधी हमारे शरीर के अंदर जाती है और फेफड़ों को प्रभावित करती है।


3. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) - ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न और लाउडस्पीकर से उत्पन्न होने वाली ध्वनि से हो रहा है जिसके परिणाम स्वरूप लोगों को सुनने में कठिनाई और मानसिक असंतुलन जैसी बीमारियां उत्पन्न हो रही है। शादी विवाह और त्योहारों के उत्सव के आयोजन के दौरान लोग पटाखों का इस्तेमाल करते हैं। जो ध्वनि और वायु दोनों प्रकार के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।


4. भूमि प्रदूषण - मिट्टी की गुणवत्ता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। भूमि के ऊपर बहुत से जहरीले और हानिकारक पदार्थ विसर्जित किए जाते हैं जिनका अपघटन नहीं होता। ऐसे पदार्थ मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर रहे हैं। खेती में भी ज्यादा उपज के लिए किसान रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं जो मिट्टी की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।


प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव (Harmful Effects of Pollution) -


प्रदूषित पदार्थों का उपयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सभी को प्रभावित करता है। अत्यधिक प्रदूषित वायु लोगों को सांस में समस्या, आंखों में जलन, नाक की समस्या, गले में बीमारी, दिल का दौरा, अस्थमा, खांसी जैसे कई प्रभाव हो सकते हैं। वायु प्रदूषण वातावरण को भी कई प्रकार से प्रभावित कर सकता है।


जल में प्रदूषित पदार्थों के विसर्जन से जलीय जीवों की कई प्रजातियां पतन पर पहुंच चुकी हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से पूरी भोजन श्रंखला को प्रभावित कर रहा है।


पानी में रहने वाले छोटे जीव पारा, कैडमियम जैसे हानिकारक पदार्थों का सेवन करते हैं फिर मछलियां उन छोटे जीवो का सेवन करती है और अंत में मनुष्य उन मछलियों का सेवन करते हैं।


भूमि और मृदा प्रदूषण कई प्रकार के कैंसर, त्वचा रोग और अन्य प्रकार की घातक बीमारियां पैदा कर सकते हैं। मृदा प्रदूषण से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति खत्म होती है।


और इससे मृदा अपरदन जैसे प्रभाव होता है। ध्वनि प्रदूषण मानसिक असंतुलन, सिर-दर्द, चिड़चिड़ापन और सुनने की शक्ति में कमी जैसी बीमारियां उत्पन्न कर सकती हैं।


प्रदूषण की समस्या क्या है? -


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दोस्तों अगर हम प्रदूषण की समस्या के बारे में बात करें तो प्रदूषण विश्व की सबसे गंभीर समस्या है। हम आपकी जानकारी के लिए भारत में भी वायु‌ प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। आज भारत और कई अलग-अलग देशों में वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण बहुत ही उच्च स्तर पर है। आपको तो मालूम ही होगा कि भारत में बड़ी-बड़ी सड़कों का निर्माण करने की कारण से हमारे देश में मौजूद वृक्षों को नियमित रूप से काटा जा रहा है।


और सड़कों पर प्रति दिन और रात को भागते हुए गाड़ियां और वाहन जहरीली गैस यानी कि धुआं छोड़ती हैं। यह जहरीली गैस हमारे वायुमंडल में मौजूद गैस के साथ मिलकर के प्रदूषित कर देता है। यह वायु में जलवाष्प के साथ मिलकर वायु को भयंकर यानी की खतरनाक रूप से प्रदूषित करता है।


रोज हम इसी वायुमंडल में मौजूद हवा में सांस लेते हैं और जीते हैं। और यह जहरीली वायु प्रदूषण से हमारे शरीर को अलग-अलग तरह से काफी नुकसान पहुंचता है। बड़े-बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, गया, पटना और कोलकाता में भारी मात्रा में जल और वायु प्रदूषण के नतीजे मिल रहे हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहर प्रदूषण के मामले में सबसे ऊपर हैं।


प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके -


हाला की विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -


पटाखों का इस्तेमाल बंद करें - जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्यौहार मनाते हैं, तो पटाखों को ना कहें। यह ध्वनि,मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।


वाहनों का प्रयोग सीमित करें - वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।


अपने आसपास साफ-सफाई रखें - एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कूड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।


रिसाइकल और पुनः उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकंपोज करना होगा या इसे रिसाइकिलिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसाइकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक ना केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।


पेड़ लगाएं - कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड आदि हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। क्योंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।


प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसे हमें जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सके। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे को रोकने के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।


FAQ'S (Frequently Asked Questions) -


प्रश्न - प्रदूषण क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर - प्रदूषण का अर्थ है कि हमारे वातावरण में दूषित करने वाले तत्वों की अधिकता होना, जो कि मानव जीवन के लिए हानिकारक हो। इसके पांच प्रकार है-वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण और रेडियोधर्मी प्रदूषण।


प्रश्न - वायु प्रदूषण क्या है?इसके प्रमुख कारण क्या है?

उत्तर - जब वायु में मौजूद विभिन्न गैसों की संतुलित मात्रा से अधिक हो जाती है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। गैसों के असंतुलन से ना सिर्फ मानव जीवन पर फर्क पड़ता है बल्कि पर्यावरण में अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी ये हानिकारक होता है। इसके प्रमुख कारणों में कारखानों से निकलने वाले धुएं, सड़कों पर चलने वाले गाड़ियों का धुंआ आदि।


प्रश्न - प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर - विश्व की सबसे गंभीर समस्या है "प्रदूषण"। भारत में भी वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। आज भारत और कई देशों में वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण सर चढ़कर बोल रहा है। भारत में बड़ी बड़ी सड़कों का निर्माण करने की वजह से वृक्षों को नियमित रूप से काटा जा रहा है।


प्रश्न - प्रदूषण की समस्या क्या है?

उत्तर - प्रदूषण का अर्थ होता है कि पर्यावरण में विषैले हानिकारक और जीवन के लिए खतरा माने जाने वाले तत्वों की अधिकता हो जाती है तो उसे ही प्रदूषण कहते हैं। अन्य शब्दों में समझें तो जब प्रकृति के संतुलन में दोष उत्पन्न हो जाए तब हम इसे प्रदूषण कह सकते हैं।


प्रश्न - प्रदूषण के कारण क्या है?

उत्तर - जीवाश्म ईंधन,कोयला,लकड़ी,खनिज तेल, पेट्रोल, कल-कारखानों तथा वाहनों का धुंआ वायु प्रदूषण पैदा करते हैं। इनके कारण वायुमंडल में जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सीसा इत्यादि की मात्रा बढ़ रही है। इससे भूमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है।


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