मुक्तियज्ञ खंडकाव्य का सारांश || Muktiyagya Khand Kavya ka Saransh

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मुक्तियज्ञ खंडकाव्य का सारांश || Muktiyagya Khand Kavya ka Saransh

मुक्तियज्ञ खंडकाव्य का सारांश || Muktiyagya Khand Kavya ka Saransh

मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य संबंधित जितने भी प्रश्न यूपी बोर्ड में पूछे जाते हैं। सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहीं पर मिलेंगे। सबसे सरल और आसान भाषा में आपको देखने मात्र से ही याद हो जाएंगे जैसे - सारांश (कथावस्तु), स्वाधीनता आंदोलन (स्वतंत्रता संग्राम) की घटना का वर्णन, नायक का चरित्र चित्रण, प्रमुख पात्र, महात्मा गांधी जी की चरित्र की विशेषता इत्यादि।

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प्रश्न - 'मुक्तियज्ञ' खंडकाव्य की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में (अपने शब्दों में) लिखिए।

अथवा

'मुक्तियज्ञ' खंडकाव्य की कथासार (सारांश) अपने शब्दों में लिखिए।

अथवा

'मुक्तियज्ञ' के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन (स्वतंत्रता संग्राम) की घटनाओं का वर्णन कीजिए।


उत्तर - 'मुक्तियज्ञ' सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखित 'लोकायतन' महाकाव्य का एक अंश है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कथा वर्णित है। काव्य की कथा संक्षेप में इस प्रकार है–


अंग्रेजों ने भारतीयों को और परेशान करने के लिए नमक कानून बनाया। अंग्रेजों ने इस काले कानून को तोड़ने के लिए गांधी जी ने दांडी यात्रा की। इस यात्रा में 24 दिन लगे। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने समुद्र तट पर नमक बनाया और कानून को तोड़ा।

यह आंदोलन सत्य और अहिंसा पर आधारित था किंतु अंग्रेजों ने कठोरता से सत्याग्रहियों का दमन किया। देश के अनेक नेता जेल में डाल दिए गए। लेकिन आंदोलन तेज ही होता गया। संपूर्ण देशवासी गांधीजी के पीछे चल पड़े। गांधीजी ने जेल में ही आमरण अनशन कर दिया।


गांधीजी ने सन् 1942 ईस्वी में 'अंग्रेजों, भारत छोड़ो' का नारा लगाया। सारे देश में क्रांति की आग धधक उठी। सभी बड़े नेताओं सहित गांधी जी को उसी रात्रि को बंदी बना लिया गया। अंग्रेजों का दमनचक्र चरम सीमा पर पहुंच गया। अत्याचारों से भारतीयों का आक्रोश और बढ़ गया। गांधी जी की धर्मपत्नी का जेल में ही स्वर्गवास हो गया। इस घटना से संपूर्ण देश में अंग्रेजों के विरुद्ध हिंसा भड़क उठी। फलत: 15 अगस्त 1947 ईस्वी को अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया। जाते-जाते वे भारत का विभाजन कर गए।


सारे देश में स्वतंत्रता के उत्सव मनाए जा रहे थे, परंतु उसी समय नौआखाली में सांप्रदायिक दंगा हो गया। इस घटना से गांधी जी बहुत दुखी हो गये। उन्होंने उपवास किया। 30 जनवरी सन् 1948 ईस्वी को दुष्ट नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर गांधीजी की हत्या कर दी थी।


इस प्रकार इस खंडकाव्य का आधार फलक बहुत विराट है। इसमें आधुनिक युग का इतिहास अंकित है। सारांश यह है कि 'मुक्तियज्ञ' गांधी युग के स्वर्ण-इतिहास का काव्यात्मक आलेख है।


प्रश्न - 'मुक्तियज्ञ' खंडकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

अथवा

'मुक्तियज्ञ' के आधार पर महात्मा गांधी की चरित्र की विशेषता पर प्रकाश डालिए।


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उत्तर - 'मुक्तियज्ञ' खंडकाव्य के नायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। इस नाटक के द्वारा गांधीजी के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएं दर्शाई गई हैं–


महान जननेता –

महात्मा गांधी भारतीय जनता के सच्चे नेता हैं। भारत के जन-मन पर उनका पूर्ण अधिकार है। इसी महान नेता के नेतृत्व में स्वतंत्रता का संग्राम लड़ा जाता है और अंग्रेजों को भारत से निकाल दिया जाता है। गांधीजी के विचार मानव जाति के लिए हितकारी हैं।

सत्य और अहिंसा के पुजारी –

गांधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी हैं। उन्होंने सत्य और अहिंसा का अभिनव प्रयोग किया और सिद्ध कर दिया कि बिना रक्तपात और अहिंसा के बल पर भी बड़े से बड़े शत्रु को पराजित किया जा सकता है।

साहसी एवं दृढ़व्रती –

महात्मा गांधी अपने संकल्प पर दृढ़ और अत्यंत साहसी थे। बड़ी से बड़ी कठिनाई का भी वे बड़े साहस से सामना करते थे। अंग्रेजी शासन के नमक कानून को तोड़ने में गांधीजी ने जिस अभूतपूर्व साहस का परिचय दिया, उससे अत्याचारी अंग्रेजों के भी छक्के छूट गए।

समद्रष्टा –

गांधीजी सबको समान दृष्टि से देखते थे। उनकी दृष्टि में ना कोई बड़ा था ना कोई छोटा। छुआछूत को वे समाज का कलंक समझते थे। उनकी दृष्टि में कोई अछूत नहीं था।

मानवीय गुणों से युक्त –

गांधीजी युगपुरुष, महान नेता थे। उनमें दया, करुणा, त्याग, इंद्रिय संयम, प्रेम आदि सभी मानवीय गुणों का अद्भुत संगम था। उन्हें मानव मात्र से प्रेम था। 'उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्' का आदर्श उनके जीवन में चरितार्थ होता था।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि गांधीजी समस्त मानवीय गुणों से युक्त एक महामानव थे। वे विश्व की समस्त मानव जाति के लिए गौरव की वस्तु थे। सत्य एवं अहिंसा उनके अद्वितीय अस्त्र थे।


People Also Asked -


1. मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य किसके द्वारा लिखा गया है?


उत्तर - मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखा गया है।


2. मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य के प्रमुख पात्र कौन है?


उत्तर - मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य के प्रमुख पात्र गांधीजी महान लोकनायक सत्य एवं अहिंसा के पुजारी निर्भीक दृढ़ प्रतिज्ञ प्रत्येक और साहसी पुरुष के रूप में हमारे सामने आते हैं।


3. मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य का अर्थ क्या है?


उत्तर - मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य का अर्थ - मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य देशभक्ति से परिपूर्ण गांधी युग के स्वर्णिम इतिहास का काव्यात्मक आलेख है। इसमें उस युग का वर्णन है जब भारत में चारों ओर हलचल मची हुई थी चारों ओर क्रांति की अग्नि धड़क रही थी कविवर पंत ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व के माध्यम से विभिन्न आदर्शों की स्थापना का सफल प्रयास किया है।


4. मुक्ति यज्ञ खंडकाव्य का नाम मुक्ति यज्ञ कैसे पड़ा?


उत्तर - देश की मुक्ति के लिए चलाए गए यज्ञ के कारण ही इस खंडकाव्य का नाम मुक्ति यज्ञ रखा गया जो पूर्णता सार्थक एवं उचित है ‌। 


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