सुभाष चंद्र बोस जी का जीवन परिचय || Netaji Subhash Chandra Bose
सुभाष चंद्र बोस भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, वह युवाओं के करिश्माई प्रभावक थे और स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना और नेतृत्व करके 'नेताजी' की उपाधि प्राप्त की, हालांकि शुरुआत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गठबंधन किया गया था लेकिन विचारधारा में अंतर के कारण उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था, उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में नाजी नेतृत्व और जापान में शाही सेना से सहायता मांगी ताकि भारत से अंग्रेजों को उखाड़ फेंका जा सके, सन् 1945 में उनके अचानक लापता होने के बाद अस्तित्व की संभावनाओं के विषय में विभिन्न सिद्धांत के अलग-अलग मत प्रचलित हुए।
सुभाष चंद्र बोस का प्रारंभिक जीवन -
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक (उड़ीसा) में जानकीनाथ बोस और प्रभाती देवी के यहां हुआ था। सुभाष आठ भाइयों और छह बहनों के बीच नौवीं संतान थे। उनके पिता, जानकीनाथ बोस, कटक में एक संपन्न और सफल वकील थे और उन्हें ''राय बहादुर'' की उपाधि मिली। बाद में वह बंगाल विधान परिषद के सदस्य बने।
सुभाष चंद्र बोस एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने बी.ए. कोलकाता में प्रेसिडेंसी कॉलेज से दर्शनशास्त्र में किया था। वे स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से गहरे प्रभावित और एक छात्र के रूप में देशभक्ति के लिए जाने जाते थे, एक ऐसी घटना में जहां बोस ने अपने नस्लवादी टिप्पणी के लिए अपने प्रोफेसर (ई.एफ. ओटेन) की पिटाई की, उस घटना ने सरकार की नजर में विद्रोही भारतीय के रूप में कुख्यात किया। उनके पिता चाहते थे कि नेताजी एक सिविल सेवक बने और इसलिए उन्हें भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए इंग्लैंड भेजा, बॉस को अंग्रेजी में उच्चतम अंकों के साथ चौथे स्थान पर रखा गया था लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए उनका आग्रह तीव्र था और अप्रैल 1921 में, बॉस को प्रिंस ऑफ वेल्स की भारत यात्रा को चिह्नित करने के लिए समारोह के बहिष्कार के आयोजन के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था।
बर्लिन प्रवास के दौरान उनकी मुलाकात एमिली से हुई और वह एमिली शेंकल से प्यार कर बैठे जो ऑस्ट्रियाई मूल की थी। बोस और एमिली की शादी 1937 में एक गुप्त हिंदू समारोह में हुई थी और एमिली ने 1942 में एक बेटी अनीता को जन्म दिया अपनी बेटी का जन्म के कुछ समय बाद बॉस 1943 में जर्मनी से वापस भारत आ गए।
सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक जीवन (Political Life of Subhash Chandra Bose)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ाव -
प्रारंभ में सुभाष चंद्र बोस ने कोलकाता में कांग्रेश के सक्रिय सदस्य चितरंजन दास के नेतृत्व में काम किया। यह चित्तरंजन दास थे जिन्होंने मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर कांग्रेस छोड़ी और 1922 में स्वराज पार्टी की स्थापना की, बोस ने चित्तरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु माना, उन्होंने स्वयं समाचार पत्र 'स्वराज' शुरू किया, दास के समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' का संपादन किया और मेयर के रूप में दास के कार्यकाल में कोलकाता नगर निगम के सीईओ के रूप में काम किया।
सुभाष चंद्र बोस ने कोलकाता के छात्रों, युवाओं और मजदूरों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई भारत को एक स्वतंत्र, संघीय और गणतंत्र राष्ट्र के रूप में देखने के अपने उत्साहपूर्ण इंतजार में वह एक करिश्माई और फायरब्रांड युवा आइकन के रूप में उभरे संगठन के विकास में उनकी महान क्षमता के लिए उन्हें कांग्रेस के भीतर सराहा गया उन्होंने इस दौरान अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों के लिए जेल में कई बार जाना पड़ा।
कांग्रेस से विवाद -
1928 में कांग्रेस के गुवाहाटी सत्र के दौरान कांग्रेस के पुराने और नए सदस्यों के बीच मतभेद सामने आया युवा नेता "पूर्ण स्व-शासन और बिना किसी समझौते के" चाहते थे जबकि वरिष्ठ नेता "ब्रिटिश शासन के भीतर भारत के लिए प्रभुत्व स्थिति" के पक्ष में थे।
उदारवादी गांधी और आक्रमक सुभाष चंद्र बोस के बीच मतभेदों को बे-मतलब अनुपात के लिए प्रेरित किया और बोस ने 1939 में पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला किया उन्होंने उसी वर्ष फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया।
यद्यपि उन्होंने अपने समाचार (पत्र के माध्यम से प्रश्न-उत्तर की कला) में अक्सर अंग्रेजों के लिए अपनी नापसंदगी व्यक्त की लेकिन उन्होंने अपने जीवन के संरचित तरीके के लिए अपने प्रशंसा भी व्यक्त की उन्होंने ब्रिटिश लेबर पार्टी के नेताओं और राजनीतिक चिंतकों सहित क्लेमेंट एटली, हेरोल्ड लास्की, जे.बी.एस. हल्दोने, आर्थर ग्रीनवुड, जे.डी.एच. कोल और सर स्टेफोर्ड क्रिप्स और संभावनाओं पर चर्चा की एक स्वतंत्र भारत धारण कर सकता है।
प्रिंस ऑफ वेल्स बहिष्कार -
सन 1921 ईस्वी में प्रिंस ऑफ वेल्स कोलकाता आए। सुभाषचंद्र बोस ने उनका पूर्ण बहिष्कार करने में पहली बार अपनी संगठन शक्ति का परिचय दिया। कुछ समय बाद चितरंजन दास कोलकाता के मेयर बने सुभाषचंद्र बोस ने नगर निगम के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर की हैसियत से अपनी प्रशासनिक सख्ती और कार्यक्षमता का प्रशंसनीय परिचय दिया।
उन्हें अत्यधिक सफलता मिली और वे जनता में लोकप्रिय हुए। अंग्रेजी सरकार सुभाष चंद्र बोस की गतिविधियों से भयभीत होकर उन्हें गिरफ्तार कर मांडले जेल में नजरबंद कर दिया। उन पर आरोप लगाया गया कि वह बंगाल के आतंकवादियों से सक्रिय संपर्क में रखते हैं।
कुछ समय पश्चात जेल में उनका स्वास्थ्य गिरने लगा और सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया परंतु गिरे हुए स्वास्थ्य के बावजूद वे राजनीति में सक्रिय भाग लेने लगे। उनका सारा समय युवकों के संगठन और मजदूर संगठनों में लगने लगा।
इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना -
सन 1928 ईस्वी में जवाहरलाल नेहरू के पिताजी मोतीलाल नेहरू ने अपनी अध्यक्षता में गठित समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया उसमें भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस की मांग की गई थी। सुभाषचंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू ने उसका तीव्र विरोध किया और मांग की पूर्ण स्वतंत्रता के अतिरिक्त कुछ भी मान्य नहीं होगा।
इस लक्ष्य को स्वीकार कर आने के लिए सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू ने इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की। भारत के संविधान को पूर्ण स्वतंत्रता पर आधृत करने के लिए देशभर में आंदोलन छेड़ दिया। यद्यपि कोलकाता कांग्रेस में सुभाष चंद्र बोस को पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव स्वीकार कराने में सफलता नहीं मिली किंतु वे निराश नहीं हुए और अपने प्रयत्न में लगे रहे।
कांग्रेस का महाधिवेशन-
सन 1929 में कांग्रेस का महाधिवेशन लाहौर में हुआ। उस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे उसमें एक प्रस्ताव पास कर यह घोषणा की गई कि कांग्रेस का लक्ष्य पूर्ण स्वराज्य है और उसमें ब्रिटेन से संबंध विच्छेद भी सम्मिलित है।
इस प्रकार सुभाष चंद्र बोस का एक अभियान सफल हुआ फिर सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस युवक संगठन और मजदूर संगठन के काम में लग गए। उनके इस कार्य से कांग्रेस जनता और खेतों कारखानों में जूझ रहे मजदूरों में लोकप्रिय हुई। यह ऐसा कदम था जिससे कांग्रेस संघर्ष के मार्ग पर अग्रसर हुई।
सत्याग्रह (Satyagrah) -
गांधीजी ने सन 1930 ईस्वी में सत्याग्रह की घोषणा की। सुभाष चंद्र बोस पूरी शक्ति में उस में सम्मिलित हुए। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल में उनका स्वास्थ्य इतना खराब हो गया कि ब्रिटिश सरकार ने इन्हें स्वास्थ्य लाभ के लिए विदेश जाने की स्वीकृति दी।
विदेश में उन्होंने भारत और यूरोप के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध दृढ़ करने के लिए अनेक देशों में विचार केंद्र स्थापित किए। कांग्रेस ने इसके पूर्व इस प्रकार के कार्य की ओर ध्यान नहीं दिया था। सुभाष चंद्र बोस पहले व्यक्ति थे जिसने द्रुत गति से परिवर्तित हो रहे और परस्पर आश्रित हो रहे संसार में प्रचार के लिए पहल की।
आजाद हिंद फौज का निर्माण -
सिंगापुर में उनकी भेंट रासबिहारी बोस से हुई। रासबिहारी बोस दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संचालन कर रहे थे। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को नेतृत्व सौंपा। सुभाष चंद्र बोस ने भूतपूर्व भारतीय सैनिकों को संगठित कर आजाद हिंद फौज का निर्माण किया।
इसके साथ ही उन्होंने अस्थाई भारत सरकार की स्थापना की जिसे आजाद हिंद सरकार नाम दिया गया। सुभाष चंद्र बोस सेना और सरकार दोनों के अध्यक्ष बने उन्होंने जापान से संपर्क कर अपनी सेना के लिए आवश्यक युद्ध के अस्त्रों की व्यवस्था की पूरी तैयारी के साथ आजाद हिंद सेना ने अपना विजय अभियान शुरू किया।
दिसंबर सन 1943 में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने ब्रिटिश सेना को हराकर अंडमान और निकोबार दीप समूह को स्वतंत्र करा लिया। इन द्वीपों को नया नाम देकर क्रमशः शहीद और स्वराज द्वीप घोषित किया गया। जनवरी सन 1944 ईस्वी में आजाद हिंद फौज का मुख्य कार्यालय सिंगापुर से रंगून लाया गया। चलो दिल्ली का नारा गुंजित करते हुए। आजाद हिंद सेना निरंतर मातृभूमि की ओर बढ़ती रही और वर्मा की सीमा पार कर 18 मार्च सन 1944 को उसने भारत की धरती पर पैर रखा।
सैनिकों में अपनी मातृभूमि का दर्शन करने पर असीम प्रसन्नता हुई उन्होंने प्रेम से अपने भारत की मिट्टी को चुमा। आजाद हिंद फौज के कठिन प्रयास से ब्रिटिश सैनिकों में भगदड़ मच गई सुभाष चंद्र बोस की बहादुर सेना कोहिमा और इंफाल की ओर बढ़ी। जय हिंद और नेता जी जिंदाबाद के गगनभेदी नारों के साथ स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया गया। आजाद हिंद सेना के अभियान से आशा हो चली थी कि कुछ ही दिनों में वह सेना भारत को स्वतंत्र कराने में समर्थ हो जाएगी। परंतु उसी समय अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर अणु बम का प्रयास कर प्रलय का दृश्य उपस्थित कर दिया। जापान ने हताश होकर हथियार डाल दिया। आजाद हिंद फौज को भी पीछे हटना पड़ा।
18 अगस्त सन 1945 को फारमोसा के ताइपेह नामक स्थान में वायुयान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का समाचार मिला। लेकिन देश की जनता ने इस समाचार पर विश्वास नहीं किया स्वतंत्र भारत की सरकार ने उस दुर्घटना की सत्यता की जांच के लिए आयोग नियुक्त किया। परंतु उसके प्रतिवेदन पर भी जनता ने विश्वास नहीं किया। एक बार तो कुछ उत्साही लोगों ने घोषणा कर दी कि नेताजी अमुक दिन कानपुर में प्रकट होंगे। लाखों की भीड़ इकट्ठी हुई किंतु नेता जी नहीं आए। पुनः बिहार के एक साधु को नेताजी कहा गया और लोग उस साधु के दर्शन करने जाने लगे भीड़ से परेशान होकर वह साधु कहीं लापता हो गये।
नेताजी का इंग्लैंड जाना -
नेताजी इंग्लैंड गए कहां पर ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष युवा राजनीति मुखिया लोगों से मिले। उन्होंने भारत की आजादी और उसके भविष्य के बारे में बातचीत की। बेटे शो को उन्होंने बहुत हद तक भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु (Subhash Chandra Bose Death) -
1945 में जापान जाते समय नेताजी का विमान ताइवान में क्रैश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमेटी भी बैठाई हैं, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है। मई 1956 में शाहनवाज कमेटी नेताजी की मौत की गुत्थी सुलझा ने जापान गई, लेकिन ताइवान ने कोई खास राजनीति रिश्ता ना होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की। 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला, कि 'नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और उनकी अस्थियां जो रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं, वह निकली नहीं है, लेकिन इस बात को भारत सरकार ने खारिज कर दिया आज भी इस बात पर जांच हुआ विवाद चल रहा है।
सुभाष चंद्र बोस जयंती (Subhash Chandra Bos Jayanti) -
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है। सुभाष चंद्र बोस जी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में रोचक तथ्य -
• वर्ष 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी हिटलर के पास गए और भारत को आजाद करने का प्रस्ताव उनके सामने रखा, परंतु भारत को आजाद करने के लिए हिटलर का कोई दिलचस्पी नहीं थी और उसने नेताजी को कोई भी स्पष्ट वचन नहीं दिया था।
• सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधीजी से अंग्रेजों को किया हुआ वादा तोड़ने के लिए भी कहा था, परंतु वे अपने उद्देश्य में नाकाम रहे।
• नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, परंतु उन्होंने देश की आजादी को देखते हुए अपने इस आरामदायक नौकरी को भी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया।
• नेताजी को जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य ने काफी ज्यादा विचलित कर दिया और फिर भारत को आजादी संग्राम में खुद को जोड़ने से रोक ना सके।
• वर्ष 1943 में बर्लिन में नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंट्रल से सकुशल स्थापना की।
• वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने ₹10 के सिक्के से लेकर एक लाख के नोट जारी किए थे और एक लाख के नोट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की तस्वीर भी छापी गई थी।
• नेता जी ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था।
• सुभाष चंद्र बोस जी को 1921 से लेकर 1941 के बीच में 11 बार देश के अलग-अलग कैदखाना में कैद किया गया था।
• नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में दो बार अध्यक्ष के लिए चुना गया था।
• नेता सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु आज तक रहस्यमई बनी है और इस पर से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठा सका है और यहां तक कि भारत सरकार भी इस विषय पर कोई भी चर्चा नहीं करना चाहती है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 10 वाक्य -
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक क्षेत्र में 23 जनवरी 1897 को हुआ।
2. अपनी माता प्रभावती के 14 बच्चों में नेताजी 9वीं संतान थे।
3. नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस कटक के एक मशहूर सरकारी वकील थे।
4. नेताजी बीए की परीक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी से पास की।
5. सन 1920 में नेताजी प्रशासनिक परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त करके उत्तीर्ण हुए।
6. स्वामी विवेकानंद व अन्य से प्रभावित नेताजी 1921 में नौकरी से इस्तीफा दे दिए।
7. नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी नायकों में से एक थे।
8. भगत सिंह को फांसी होने के बाद इनका गांधी जी से राजनीतिक मतभेद शुरू हो गया।
9. लगभग 40000 भारतीयों के साथ नेताजी ने 1943 में आजाद हिंद फौज बनाई।
10. एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को ताइवान में इनकी मृत्यु हो गई।
Peoples Also Asked -
1. चंद्र बोस का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था?
उत्तर - नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हिंदुओं का कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था।
2. नेता जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर - नेता जी का जन्म 3 जनवरी 1897 को हुआ था।
3. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के माता का नाम क्या था?
उत्तर - नेताजी सुभाष चंद्र बोस की माता का नाम प्रभावती देवी था।
4. फारवर्ड ब्लाक के संस्थापक कौन हैं?
उत्तर - सुभाष चंद्र बोस
यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है इसका उद्देश्य सामान्य जानकारी प्राप्त कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या Blog से कोई संबंध नहीं है यदि संबंध पाया गया तो यह एक संयोग समझा जाएगा ।
इन्हें भी पढ़ें 👉👉
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय
राहुल सांकृत्यायन जी का जीवन परिचय
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय
Post a Comment