रिपोर्ताज किसे कहते हैं? Reportaaj kise kahate Hain

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रिपोर्ताज किसे कहते हैं? Reportaaj kise kahate Hain

रिपोर्ताज किसे कहते हैं? Reportaaj kise kahate Hain [Nitya Study Point]

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रिपोर्ताज किसे कहते हैं? Reportaaj kise kahate Hain


रिपोतार्ज किसे कहते हैं? रिपोतार्ज का क्या अर्थ होता है रिपोतार्ज की क्या विशेषताएं होती हैं तो मित्रों आज की इस पोस्ट में हम लोग यही जानेंगे । आपको पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना है। तो मित्रो आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर रिपोतार्ज किसे कहते हैं। (What is repotarj in Hindi) जहां तक मुझे लगता है कि कई सारे लोगों को सही मायने में रिपोतार्ज का मतलब भी पता नहीं होगा।


अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं जो कि रिपोतार्ज के बारे में जानना चाहते हैं कि रिपोतार्ज क्या है?  रिपोतार्ज का क्या अर्थ होता है? तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी।


दोस्तों रिपोतार्ज शब्द से हम बचपन से ही वाकिफ होते हुए आ रहे हैं लेकिन अगर देखा जाए तो रिपोतार्ज किसे कहते हैं। यह बहुत कम लोगों को पता होगा तो आज मैंने सोचा कि मैं आपको इसी विषय पर जानकारी देती हूं। दोस्तों मैं nityastudypoint.com में आपका हार्दिक स्वागत करती हूं तो आइए अब हम रिपोतार्ज के बारे में जानते हैं।



रिपोतार्ज की परिभाषा


रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोतार्ज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोतार्ज की सार्थकता है। आंखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोतार्ज लिखा जा सकता है। कल्पना के आधार पर रिपोतार्ज नहीं लिखा जा सकता है।



रिपोतार्ज का अर्थ [Nitya Study Point]


जिस गद्द साहित्य में किसी घटना या घटनास्थल का आंखों देखा हाल जब साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रिपोतार्ज कहते हैं।



रिपोतार्ज के जनक


हिंदी में रिपोर्ताज का जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है। 'लक्ष्मीपुरा' जो कि रुपाभ पत्रिका के दिसंबर 1938 में प्रकाशित हुआ था, हिंदी प्रथम रिपोतार्ज माना जाता है।



रिपोर्ताज लेखक का जन्म कब से माना जाता है? [Nitya Study Point]


इसका विकास सन 1936 ईस्वी के बाद दितीय विश्व युद्ध के समय पाश्चात्य प्रभाव से हुआ। जीवन की सूचनाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए रिपोतार्ज का जन्म हुआ। रिपोतार्ज पत्रकारिता के क्षेत्र की विधा है। 'रिपोतार्ज' शब्द का उद्भव 'फ्रांसीसी' भाषा से माना जाता है।


रिपोतार्ज लेखकों के नाम


सर्वश्री प्रकाश चंद्र गुप्त, रांगेय राघव, प्रभाकर माचवे तथा अमृतराय आदि ने रोचक रिपोतार्ज लिखे हैं। पर हिंदी में साहित्यिक, श्रेष्ठ रिपोर्ताज लिखे जाने की पूरी संभावनाएं हैं।



रिपोतार्ज की विशेषताएं [Nitya Study Point]


➡️ रिपोतार्ज आंखों देखा वर्णन जैसा प्रतीत होता है।


➡️इसमें समसामयिक घटनाओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है।


➡️इसमें निजी सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण होता है।


➡️इसकी शैली विवरणात्मक तथा वर्णनात्मक होती है।


➡️यह पत्रकारिता के गुणों से संपन्न होता है।



प्रमुख रिपोतार्ज और उसके लेखक



          लेखक

        रिपोर्ताज

शिवदान सिंह चौहान

लक्ष्मीपुरा (1938), मौत के खिलाफ जिंदगी की लड़ाई

रांगेय राघव

तूफानों के बीच (1946), स्वराज भवन

प्रकाश चंद्र गुप्त

अल्मोड़ा का बाजार, बंगाल का अकाल

उपेंद्रनाथ अश्क

पहाड़ों में प्रेममय संगीत

भदंत आनंद कौसल्यायन

देश की मिट्टी बुलाती है

शमशेर बहादुर सिंह

प्लॉट का मोर्चा (1952)

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'

क्षण बोले कण मुस्काए (1953)

श्रीकांत वर्मा

अपोलो का रथ

शिवसागर मिश्र

वे लड़ेंगे हजारों साल (1966)

धर्मवीर भारती

युद्ध यात्रा (1972)

फणीश्वर नाथ 'रेणु'

नेपाली क्रांति (1978)

ऋण जल धन जल (1977)

श्रुत अश्रुत पूर्व (1984)

एकलव्य के नोट्स

विवेकी राय

जुलूस रुका है (1977)


बाढ़! बाढ़!! बाढ़!!!

भगवतशरण उपाध्याय

खून के छींटे

रामकुमार वर्मा

पेरिस के नोट्स

कमलेश्वर

क्रांति करते हुए आदमी को देखना

श्रीकांत वर्मा

मुक्ति फौज

यशपाल जैन

रूस में 46 दिन




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           Written by - Nitya Study Point






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