'परिश्रम सफलता की कुंजी है' पर निबंध || Parishram Safalta ki kunji hai Per Nibandh
प्रस्तावना -
'सफलता एक ऐसा वाहन है जो कठिन परिश्रम नाम के चक्र और आत्मविश्वास नामक ईंधन पर चलता है' डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि - मानव जीवन में परिश्रम का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। परिश्रम के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है, यदि मनुष्य कोई कार्य कठोर परिश्रम एवं दृढ़ इच्छा से करता है, तो उसे उस काम में सफलता जरूर मिलती है। संसार में किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम के बिना संभव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती। वह अपना कार्य स्वयं करने में माहिर होते हैं। जो परिश्रमी नहीं है वह बार-बार केवल अपनी समस्या दूर करने के उपाय ढूंढते हैं। पर समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, क्योंकि वह इसे दूर करने के लिए कार्य नहीं करते ऐसे लोग जीवन में कभी सफल नहीं होते।
स्वावलम्बन जीवन के लिए परमावश्यक है। यह प्रतिभावान मनुष्य का लक्षण है। उन्नति का मूल है - बड़प्पन का साधन है और सुखमय जीवन का स्रोत है। स्वावलम्बन का अर्थ अपना सहारा या अपने ऊपर निर्भर होना है। स्वावलम्बी व्यक्ति या राष्ट्र ही स्वतन्त्र रह सकता है। जो देश या व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों का मुँह ताकते हैं। वे स्वतन्त्र नहीं रह सकते। यहीं शारीरिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का साधन है। अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है - "God Helps Those Who Help Themselves." अर्थात् ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है। जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं। प्रसिद्ध कहावत 'बिना मरे स्वर्ग किसने देखा' यह भी सही अर्थों में स्वावलम्बन की ही शिक्षा देती है।
परिश्रम का महत्व -
परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी है। आज जितने भी बड़े बड़े उद्योगपति, राजनेता, अभिनेता हैं। वे सभी कठोर परिश्रम करके ही सफल हुए हैं। वे दिन-रात मेहनत एवं परिश्रम करते हैं और यह उनके परिश्रम का ही नतीजा है कि आज वह पूरे संसार में प्रसिद्ध है बड़ी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं।
हमें किसी भी काम को कठिन नहीं समझना चाहिए। यदि हममे परिश्रम करने की क्षमता है तो हम जटिल से जटिल काम सफलता से कर सकते हैं। परिश्रम के द्वारा मानव अपने में नए जीवन का संचार कर सकते हैं। अतः परिश्रम का महत्व अद्भुत तथा अनोखा है।
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है -
शायद यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध कहावत है लेकिन कई बार परिश्रम भाग्य की छाया में अपनी खूबी को खो देता है लेकिन यह बहुत कम ही होता है। भाग्य की इतनी क्षमता नहीं कि परिश्रम को हरा सके। जिस व्यक्ति ने कठोर परिश्रम किया होगा उसका भाग्य अपने आप ही बदल जाता है। इसलिए कई महापुरुषों ने यह बात कही है कि 'परिश्रम ही सफलता की कुंजी है'अगर आप जी तोड़ मेहनत करते हैं, तो आपको एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। अगर आप मेहनती नहीं करेंगे तो आपका भाग्य भी कुछ नहीं कर सकता।
परिश्रम से लाभ -
परिश्रम जीवन का एक ऐसा मूल मंत्र है जो मनुष्य को प्रगति की राह पर ले जाता है। वास्तविकता और कठोर परिश्रम के माध्यम से ही मनुष्य को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। सुनियोजित पैसम करके मनुष्य किसी भी उद्देश्य लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। परिश्रम का महत्व सिर्फ व्यक्तिगत विकास से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक, सांसारिक और राष्ट्र एवं जाति की उन्नति में भी योगदान देता है। परिश्रम छोटा बड़ा नहीं होता जैसे किसान का परीक्षण किसी वैज्ञानिक के परिश्रम से कम नहीं आंका जा सकता क्योंकि दोनों का परिश्रम अतुल्य है। दोनों देश और अपनी उन्नति में सहायक सिद्ध होते हैं। जो मनुष्य जीवन निर्माण में परिश्रम की भूमिका को भलीभांति समझते हैं वह दूसरों से अधिक सफल सिद्ध होते हैं। नगर, देश और दुनिया में लगातार होता विकास मनुष्य के अथक परिश्रम का प्रतीक है। जो मनुष्य परिश्रमी होते हैं वह दूसरे से कहीं आगे निकल जाते हैं वह अपने क्षेत्र में नाम कमा देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में ख्याति प्राप्त करते हैं। ऐसे मनुष्य चिंता मुक्त और हष्ट पुष्ट रहकर जीवन के सुखों का उपभोग करते हैं।
आलस्य से जीवन का अभिशाप -
परिश्रम का अभिप्राय ऐसे परिश्रम से है जिससे निर्माण हो, रचना हो, जिस परिश्रम से निर्माण नहीं होता, उसका कुछ अर्थ नहीं। जो व्यक्ति आलस्य का जीवन बिताते हैं। वे कभी उन्नति नहीं कर सकते। वह हमेशा समाज के एक छोटे से भाग में सीमित है जाते हैं और कुछ समय पश्चात उनका वजूद ही खत्म हो जाता है। ऐसे व्यक्ति केवल अपने आप को जीवित रखने के लिए जन्म लेते हैं ना तो वे कार्य करना चाहते हैं। और ना ही परिश्रम करना चाहते हैं। यद्यपि आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा और खतरनाक शत्रु है इसको काबू में रखना ही हमारे लिए फायदेमंद है।
आलस्य ने ना जाने कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी हैं। आलस्य जीवन का अभिशाप है। हमारा देश सदियों तक पराधीन रहा। जब हमारे देश के लोगों के अंदर आलस्य की समाप्ति हुई तब हम लोगों को पता चला कि हम लोग तो अंग्रेजों के गुलाम हैं। तब लड़ाई शुरू हुई और हम आजाद हो पाए। इसका आधारभूत कारण भारतीय जीवन में व्याप्त आलस्य एवं हीन भावना थी।
स्वावलम्बन की शिक्षा -
स्वावलम्बन का गुण वैसे तो किसी भी आयु में हो सकता है, परन्तु बालकों में यह शीघ्र उत्पन्न किया जा सकता है। उन्हें ऐसी परिस्थिति में डालकर जहाँ कोई सहारा देने वाला न हो, स्वावलम्बन का पाठ सिखाया जा सकता है। आजकल स्वावलम्बन की विशेष आवश्यकता है। प्रकृति से भी हमें स्वावलम्बन की शिक्षा मिलती है। पशु-पक्षियों के बच्चे जैसे हो चलने-फिरने लगते हैं, वे अपना रास्ता स्वयं खोज लेते हैं और अपना घर स्वयं बनाते हैं। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम बात-बात में सरकार का मुँह ताकते हैं और आवश्यकता की पूर्ति न होने पर हम उसे दोषी तो ठहराते हैं, पर अपनी उन्नति के लिए स्वयं कुछ नहीं करते। किसी विचारक ने ठीक ही कहा है कि "पतन से भी महत्त्वपूर्ण पतन यह है कि किसी को स्वयं पर ही भरोसा न हो।"
स्वावलम्बन के लाभ -
स्वावलम्बन का गुण प्रत्येक परिस्थिति में लाभकारी होता है। स्वावलम्बी व्यक्ति आत्मविश्वास के कारण उन्नति कर सकता है। उसमें स्वयं काम करने एवं सोचने-विचारने की सामथ्यं होती है। वह किसी भी काम को करने के लिए किसी के सहारे की प्रतीक्षा नहीं करता। वह अकेला ही कार्य करने के लिए आगे बढ़ता है। उसे अपना काम करने में सच्चा आनन्द मिलता है। जिस प्रकार बैसाखी के सहारे चलने वाले व्यक्ति की बैसाखी छीन ली जाए तो उसका चलना बन्द हो जाता है उसी प्रकार जो व्यक्ति दूसरों के सहारे की आशा करता है, उसका मार्ग निश्चित ही अवरुद्ध होता है।
नेपोलियन बोनापार्ट के कथनानुसार, 'असम्भव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में होता है।' विघ्न-बाधाएँ स्वावलम्बियों के मार्ग को अवरुद्ध नहीं कर पातीं। महापुरुषों ने स्वावलम्बन के कारण ही उन्नति की है। स्वावलम्बी की सभी प्रशंसा करते हैं। उसे यश और गौरव की प्राप्ति होती है।
परिश्रम और भाग्य में अंतर -
सफलता हमेशा लंबी अवधि में कड़ी मेहनत का परिणाम है। सफलता धीरे-धीरे होती है, और केवल सही निर्णयों और छोटी जीत की एक श्रृंखला के बाद ही है। इसके विपरीत, भाग्य को आम तौर पर एक बार की घटना या संयोग माना जाता है। बहुत से भाग्यशाली लोग अपने भाग्य का सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं और उनका जीवन दुखी हो जाता है क्योंकि वे लगातार अपने वास्तविक काम की उपेक्षा करते हैं।
अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए और अपने प्रियजनों के साथ अपने जीवन का आनंद लेने के लिए आपको अपना काम रुचि के साथ करना चाहिए जो आपको अधिक से अधिक प्रेरित करता है। कभी-कभी हमें कुछ काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जो हमें पसंद नहीं है लेकिन इसे एक कार्य के रूप में आज़माएं और धीरे-धीरे इसके लिए अपने जुनून को विकसित करें तो आपकी मेहनत और भाग्य निश्चित रूप से आपको उड़ने वाले रंग प्राप्त करने में मदद करेगे। आप भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं, आप परीक्षा देने से पहले अपने माता-पिता या भगवान को याद करते हैं या आप किसी से मिलने जाते हैं और सकारात्मक उत्तर चाहते हैं तो आप कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपनी किस्मत में भी विश्वास करते हैं।
यदि आप अपने बिस्तर से उठकर अपना काम करते हैं जो आपको और अधिक उत्साह से भर देता है तो आप सही दिशा में हैं क्योंकि आपकी किस्मत आपकी कड़ी मेहनत के लिए निर्माण खंड बन जाएगी।
आप कह सकते हैं कि किस्मत एक पंच है और इसके पीछे कड़ी मेहनत है। इसलिए, मुझे लगता है कि कड़ी मेहनत महत्वपूर्ण है यदि आप अपनी भलाई के बारे में जानते हैं और आप वास्तव में जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं।
स्वावलम्बी की विशेषताएँ -
स्वावलम्बी व्यक्ति स्वतन्त्र होता है। उसका अपने पर अधिकार होता है। वह बड़े-बड़े धनिकों तथा शक्तिवानों की भी परवाह नहीं करता । तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास ने 'सन्तन को कहा सीकरी सो काम' कहकर अकबर का निमन्त्रण ठुकरा दिया था। स्वावलम्बी व्यक्ति सबके साथ विनम्रता का व्यवहार करके अपने काम में संलग्न रहता है। उस पर चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों न आ जाए, किसी भी बाधा के सामने वह हार नहीं मानता तथा हमेशा अपने कार्य में सफल होता है। स्वावलम्बी सरलता का व्यवहार करता है, किसी के साथ छल-कपट नहीं करता। उसमें त्याग, तपस्या और सेवाभाव होता है, लालच नहीं होता। वह स्वाभिमान की रक्षा के लिए बड़े-से-बड़े वैभव को तिनके के समान त्याग देता है। उसमें असीम उत्साह और आत्मविश्वास होता है।
स्वावलम्बियों के उदाहरण -
संसार के सभी महापुरुष स्वावलम्बन के कारण ही महान् बने हैं। छत्रपति शिवाजी ने थोड़े-से मराठों को एकत्र कर हिन्दुओं की निराशा से रक्षा की थी। एक लकड़हारे का लड़का अब्राहम लिंकन स्वावलम्बन से ही अमेरिका का राष्ट्रपति बना था। बेंजामिन फ्रेंकलिन ने स्वावलम्बन का पाठ पढ़ा और विज्ञान के क्षेत्र में नाम कमाया। माइकल फैराडे प्रारम्भ में जिल्दसाजी का कार्य किया करते थे, पर स्वावलम्बन के बल पर ही वे संसार के महान् वैज्ञानिक बने। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर दीन ब्राह्मण की सन्तान थे, किन्तु भारत में उन्होंने जो यश अर्जित किया, उसका रहस्य स्वावलम्बन ही है। कवीन्द्र रवीन्द्र ने नदी के तट पर मात्र दस विद्यार्थियों को बैठाकर ही शान्ति निकेतन की स्थापना की थी। गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में स्वावलम्बन के बल पर गोरे शासकों के अत्याचारों का दमन किया था। उन्होंने आत्मबल के द्वारा ही भारत को परतन्त्रता के पाश से मुक्त कराया था। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज' का संगठन करके अंग्रेजों के छक्के छुड़ाये थे।
कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है -
'अधिक से अधिक आवश्यक प्रयास करना' बहुत से बड़े-बड़े लोगों ने सफलता का रास्ता बताया है। किसी भी काम को ईमानदारी से पूरा करना चाहिए।
इस संसार में कोई भी प्राणी काम किए बिना नहीं रह सकता। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करते हैं। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है। सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। देखा जाए तो परिश्रम को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात् वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।
इतिहास भी इस बात का गवाह है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है। इसके लिए कोई भी सीमा नहीं है।
उपसंहार -
कहते हैं भाग्य का सहारा भाई लोग लेते हैं, जो कर्महीन है। जो कर्म नहीं करना चाहते हैं, वह अपनी किस्मत का सहारा ही ले सकते हैं। अतः हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए। तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊंचाईयों पर ले जाना चाहिए।
परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, इमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने और अपने परिवार, राष्ट्रीय और जाति की तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग दे सकता है। अतः मनुष्य को परिश्रम करने की प्रवृत्ति विद्यार्थी जीवन में ग्रहण करनी चाहिए।
परिश्रम का महत्व पर निबंध (100 शब्द) -
जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।
श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।
परिश्रम का महत्व पर निबंध (300 शब्द) -
भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।
परिश्रम का महत्व : देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।
इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।
उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।
FAQ'S (Frequently Asked Questions) -
प्रश्न - परिश्रम ही सफलता की कुंजी है क्यों?
उत्तर - अर्थात् परिश्रम से ही सारे कार्य सफल होते हैं, केवल मन में इच्छा करने मात्र से नहीं। सफलता पाने लिए मनुष्य को परिश्रम करना बहुत आवश्यक है। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं, वे एक-न-एक दिन जीवन में सफलता अवश्य अर्जित करते हैं। मनुष्य ने परिश्रम के बल पर इस धरती को स्वर्ग समान सुंदर बनाया है।
प्रश्न - जीवन में परिश्रम क्यों महत्वपूर्ण है।
उत्तर - परिश्रम न केवल आपको प्रसन्न करता है बल्कि यह भी इंगित करता है कि आप एक विश्वसनीय व्यक्ति हैं जो अवसर आने पर आपको एक अच्छी स्थिति में रखता है। एक अच्छा करियर या करियर बनाने या करियर के विकास की लालसा के लिए सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है और प्रतिबद्ध रहने के लिए आपको मेहनती होना चाहिए।
प्रश्न - परिश्रम के गुण क्या है?
उत्तर - एक मेहनती व्यक्ति वह है जो कुछ करने में लगातार और मेहनती प्रयास दिखाता है। इस तरह, परिश्रम को कड़ी मेहनत और धैर्य दोनों के संयोजन के रूप में माना जा सकता है क्योंकि लगातार बने रहने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है।
प्रश्न - परिश्रम का फल क्या है?
उत्तर - मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है। परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है।
प्रश्न - मेहनत और परिश्रम में क्या अंतर है?
उत्तर - श्रम में मुख्यतः शारीरिक श्रम (मेहनत) ही होता है। दूसरा शब्द है परिश्रम। यद्यपि श्रम की कीमत इसमें भी शामिल है लेकिन श्रम करने का तरीका बदल जाता है शारीरिक मेहनत की बजाय मानसिक मेहनत बढ़ जाती है। मजदूरी या पारिश्रमिक के स्थान पर वेतन, मानदेय, तनख्वाह, शुल्क आदि शब्द उपयोग में आने लग जाते हैं।
प्रश्न - परिश्रम करने वाला व्यक्ति कौन होता है।
उत्तर - परिश्रमी व्यक्ति विश्वास के साथ मार्ग की बाधाओं को हटाता है। अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तथा सफल होता है, परंतु आलसी व्यक्ति काम से जी चुराता है, इसलिए असफल होकर दीन-हीन बना रहता है। आलसी का विलोम शब्द विश्राम, परिश्रमी होता है।
प्रश्न - मेहनती व्यक्ति कैसा होता है।
उत्तर - परिश्रमी लोग सुव्यवस्थित और कुशल होते हैं। वे कार्यों को पूरा करने के लिए अलग से समय निर्धारित करते हैं क्योंकि वे आगे की योजना बनाते हैं और सक्रिय होते हैं। साथ ही, वे हर उस चीज़ पर नज़र रखते हैं जो उन्हें करने की ज़रूरत होती है। उनकी योजना उन्हें समय की बर्बादी से बचने में मदद करती है क्योंकि वे सही समय पर सही क्रम में सही काम करते हैं।
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