जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Jansankhya Vriddhi Per Nibandh | Essay on Population in Hindi
प्रस्तावना (Introduction) -
जनसंख्या वृद्धि की समस्या भारत के सामने विकराल रूप धारण करती जा रही है। जिसके कारण रेलवे के टिकटघर की खिड़की हो अथवा बस स्टैंड का टिकटघर, राशन की दुकानों अथवा नाई की दुकान, विद्यालय में प्रवेश हेतु बच्चों के आवेदन पत्र हो अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार की पंक्ति, सर्वत्र 'एक बुलाया सत्तर आए' की कहावत चरितार्थ होती है। इन सब का एकमात्र कारण है जनसंख्या की अतिशय वृद्धि होना। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां पर सबसे अधिक जनसंख्या निवास करती है। इससे पहले चीन इस पायदान पर था लेकिन अब इस पर भारत आ चुका है।
जनसंख्या के अनियंत्रित व्यक्ति के साथ दो समस्याएं मुख्य रूप से जुड़ी हुई हैं -
सीमित भूमि तथा सीमित आर्थिक संसाधन।
जनसंख्या वृद्धि के कारण (Due to Population Growth) -
भारत में जनसंख्या विस्फोट के अनेक कारण हैं जिनमें से यहां कुछ का उल्लेख किया जा रहा है। इनमें प्रमुख कारण है - बाल विवाह, बहु विवाह, मनोरंजन के साधनों का अभाव, दरिद्रता, गर्म जलवायु, अशिक्षा,संतति निरोध के विषय में जागरूकता का अभाव, परिवार नियोजन के नवीनतम संसाधनों से अनभिज्ञता तथा पुत्र प्राप्ति बलवती इच्छाएं आदि। हमारी अशिक्षा और अंधविश्वास जनसंख्या वृद्धि में प्रतिवर्ष एक ऑस्ट्रेलिया जोड़ देते हैं। कहने का अर्थ यह है कि जितनी ऑस्ट्रेलिया में जनसंख्या है ऊतनी जनसंख्या भारत में प्रत्येक वर्ष बढ़ जाती है।
प्राचीन भारत में आश्रम व्यवस्था द्वारा मनुष्य के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन को नियंत्रित कर व्यवस्थित किया गया था। 100 वर्ष की संभावित आयु का केवल चौथाई भाग (25 वर्ष) गृहस्थाश्रम के लिए था। व्यक्ति का शेष जीवन शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों के विकास तथा समाज सेवा में ही बीतता था। गृहस्थ जीवन में भी संयम पर बल दिया जाता था। इस प्रकार प्राचीन भारत का जीवन मुख्य था आध्यात्मिक और सामाजिक था। जिसमें व्यक्तिगत सुख भोग की गुंजाइश कम थी। आध्यात्मिक वातावरण की चतुर्दिक प्राप्ति के कारण लोगों की स्वाभाविक प्रवृत्ति ब्रह्मचर्य, संयम और सारे जीवन की ओर थी। फिर उस समय विशाल भूभाग में जंगल पहले हुए थे, नगर कम थे। अधिकांश लोग ग्रामों में ऋषियों के आश्रम में रहते थे। आज परिस्थिति उल्टी है। आश्रम व्यवस्था के नष्ट हो जाने के कारण लोग युवावस्था से लेकर मृत्यु पर्यन्त गृहस्थ ही बने रहते हैं, जिससे संतानोत्पत्ति से निरंतर वृद्धि हुई है। दूसरे हिंदू धर्म में पुत्र प्राप्ति को मोक्ष या मुक्ति में सहायक माना गया है। इसलिए पुत्र ना होने पर संतानोत्पत्ति का क्रम जारी रहता है तथा अनेक पुत्रियों का जन्म हो जाता है।
ग्रामों मे कृषि योग्य भूमि सीमित है। सरकार द्वारा भारी उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने से हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग चौपट हो गए हैं। जिससें गांवों का आर्थिक ढांचा लड़खड़ा गया है और ग्रामीण युवक नगरों की ओर भाग रहे हैं, जो कृत्रिम पाश्चात्य जीवन पद्धति का प्रचार कर वासनाओं को उभारता है। इसके अतिरिक्त बाल विवाह, गर्म जलवायु, रूढ़िवादिता चिकित्सा सुविधाओं के कारण मृत्यु दर में कमी आदि भी जनसंख्या वृद्धि की समस्या को विस्फोटक बनाने में सहायक सिद्ध हुई है।
जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियां (Disadvantage of Population Growth) -
जहां जनसंख्या बढ़ेगी वहां यह निश्चित है कि महंगाई बढ़ेगी तथा अनेक दरिद्रता विषयक व्याधियाँ पैदा हो जाएंगी। भूमि सीमित है, यदि जनसंख्या अधिक बढ़ गई तो खाद्यान्न संकट पैदा होगा, लोग भूखें मरने लगेंगे, कृषि भूमि की कमी, मारपीट, छीना झपटी, चोरी डकैतियां बढ़ेंगी। जीवन स्तर में बुरी तरह से गिरावट आएगी। अधिकांश जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, रोटी, कपड़ा और मकान की सही व्यवस्थाएं नहीं हो सकेंगी। हमारे देश के लिए तो जनसंख्या वृद्धि अभिशाप बन चुकी है। इसलिए तो भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जनसंख्या विस्फोट विषयक हानियों को दृष्टिगत रखते हुए कहा था - "जनसंख्या के तीव्र गति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना बहुत कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है जिसे बाढ़ का पानी बराबर बाहर ले जा रहा है।"
विनोवा भावे जी ने कहा था, "जो बच्चा एक मुंह लेकर पैदा होता है, वह दो हाथ लेकर आता है।" आशय यह है कि दो हाथों से पुरुषार्थ करके व्यक्ति अपना एक मुंह तो भर ही सकता है। पर यह बात देश के औद्योगिक विकास से जुड़ी है। यदि देश की अर्थव्यवस्था बहुत सुनियोजित हो तो वहां रोजगार के अवसरों की कमी नहीं रहती। अब बड़ी मशीनों और उनसे भी अधिक शक्तिशाली कंप्यूटरों के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए और अधिकाधिक होते जा रहे हैं। आजीविका की समस्या के अतिरिक्त जनसंख्या वृद्धि के साथ एक ऐसी समस्या भी जुड़ी हुई है जिसका समाधान किसी के पास नहीं और वह है भूमि सीमितता की समस्या। भारत का क्षेत्रफल विश्व विभाग का कुल 2.4% ही है, जबकि यहां की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या की लगभग 17% है; अतः कृषि के लिए भूमि का अभाव हो गया है। इसके परिणामस्वरूप भारत की सुख समृद्धि में योगदान देने वाले अमूल्य जंगलों को काट कर लोग उससे प्राप्त भूमि पर खेती करते जा रहे हैं, जिससे अमूल्य वन संपदा का विनाश, दुर्लभ वनस्पतियों का अभाव, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या, वर्षा पर कुप्रभाव एवं अमूल्य जंगली जानवरों के वंश विनाश का भय उत्पन्न हो गया है।
जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण से लाभ (Benefits of Population Growth Control) -
जनसंख्या वृद्धि से जो हानियां हैं, वही जनसंख्या के नियंत्रण करने पर लाभों में परिवर्तित हो जाएंगी। सभी मनुष्य सुखी एवं व्यवस्थित रहेंगे, परिवारिक व्यय नियंत्रित होगा, सीमित परिवारिक आय के साधनों से ही सीमित परिवार की प्रगति होगी। छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। शिक्षा, यातायात, भोजन, वस्त्र एवं मकान सभी को सुलभ होंगे। अस्पतालों की समुचित व्यवस्था हो सकेगी। जनसंख्या नियंत्रित होने पर सुख, शांति, समृद्धि एवं शालीनता का विकास होगा। मानवता के सकारात्मक गुण - ब्रह्मचर्य, दया, क्षमा, करुणा, सेवा, मैत्री तथा वृद्धजन सम्मान आदि स्वत: विकसित होंगे। भाईचारा, सद्भाव बढ़ेगा, आतंकवाद एवं अलगाववादी से भी मुक्ति मिल जाएगी। नियंत्रित जनसंख्या होगी तो आरक्षण की भी आवश्यकता नहीं होगी। सभी को नौकरियां सर्वसुलभ होगी, कोई भूखा नहीं मरेगा। देश का जीवन स्तर उन्नत होगा। महंगाई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। माता-पिता का सभी सम्मान करेंगे। कम बच्चे होने पर परिवार का मुखिया उन पर विशेष ध्यान देगा, समाज शांत रहेगा, चोरी, डकैतियों से मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए इस प्रकार के श्रेष्ठ, सर्वसम्मत एवं कारगर उपाय किए जाने जिनसे जनसंख्या के अनियंत्रित वृद्धि रुक सके। जनसंख्या वृद्धि तो होगी ही अतः गणितीय आधार पर हो, रेखागणितीय आधार पर नहीं। इसे रोकने के उपाय किए जाएं।
जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए लड़के लड़कियों की विवाह योग्य आयु बढ़ाना भी उपयोगी रहेगा। पुत्र प्राप्ति के लिए संतानोत्पत्ति का क्रम बनाए रखने की अपेक्षा छोटे परिवार को भी सुखी जीवन का आधार बनाया जाना चाहिए। वर्तमान युग में जनसंख्या के अति त्वरित वृद्धि पर तत्काल प्रभावी नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक औषधियों एवं उपकरणों का प्रयोग आवश्यक हो गया है। सरकार ने अस्पतालों और चिकित्सालयों में नसबंदी की व्यवस्था की है तथा परिवार नियोजन से संबंधित कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए केंद्र एवं राज्य स्तर पर अनेक प्रशिक्षण संस्थान भी खोले हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय (Population control Measures) -
जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -
• बाल विवाह पर रोक लगाई जाए तथा सभी जाति एवं वर्ग हेतु बहुपत्नी प्रथा पूर्णरूपेण समाप्त की जाए।
• परिवार नियोजन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।
• विवाह की आयु का समय निर्धारण होना चाहिए। लड़की का विवाह 20 से 21 से ऊपर तथा लड़के का विवाह 25 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही किया जाए।
• सभी को शिक्षित बनाया जाए, शिक्षितों को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता प्रदान की जाए।
• 'बच्चे एक या दो ही अच्छे' और उनके मध्य कम से कम 5 वर्ष का अंतराल होना चाहिए।
• एक पुत्र अथवा पुत्री वाले माता-पिता को सम्मानित किया जाए तथा उसे निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाए और अन्य सुविधाएं रक्षण पालन विषयक दी जाए।
• अधिक संततियों वाले माता-पिताओं को हतोत्साहित करने के नियम बनाए जाएं। उन्हें शासकीय सुविधाओं से वंचित रखा जाए।
• जनता को परिवार नियोजन साधन अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
उपसंहार (Conclusion) -
हमारे देश में शिक्षा एवं अंधविश्वास जनसंख्या वृद्धि का मूल है। हमें कुरीतियां मिटानी होंगी तथा शिक्षा प्रसार करना होगा। सरकार तो प्रयत्नशील दिखाई देती है लेकिन इस भावनाओं एवं अंधविश्वास से जुड़े मामलों में उसे उतनी सफलता नहीं मिल रही है जितनी मिलनी चाहिए। असल में हमें देशवासियों को जागृत करना होगा जिससे जनसंख्या विस्फोट का सामना कर उससे मुक्ति प्राप्त कर सकें। हम देशवासियों का भी दायित्व है कि हम इस विषय में कभी ना परवाह न हो तथा लघु सीमित परिवार रखें।
जनसंख्या वृद्धि की दर घटाना आज के युग की सर्वाधिक जोरदार मांग है जिसकी उपेक्षा आत्मघाती होगी।
जनसंख्या वृद्धि पर 10 लाइन हिंदी में -
1. हमारा देश जनसंख्या के मामले में विश्व में पहले स्थान पर है।
2. भारत की कुल आबादी लगभग डेढ़ सौ करोड़ है।
3. जनसंख्या वृद्धि हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है।
4. बढ़ती हुई जनसंख्या किसी भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती है।
5. जनसंख्या को कम करने के लिए कई सारे अभियान चलाए गए हैं।
6. हमारे देश की जनसंख्या स्वतंत्रता के समय सिर्फ 30 करोड़ थी।
7. समय के साथ-साथ जनसंख्या भी बढ़ती गई जो आज 1.50 अरब के करीब पहुंच चुकी है।
8. अत्यधिक जनसंख्या के कारण लाखों लोगों तक सारी सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं।
9. जनसंख्या वृद्धि का प्रबंधन करना बहुत ही आवश्यक हो चुका है।
10. बढ़ती जनसंख्या के रोकथाम के लिए हमें जागरूकता फैलानी चाहिए।
लोगों के द्वारा पूछे गए प्रश्न (People Also Asked) -
1. जनसंख्या पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर - जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है। देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या भारत की इस समय हो चुकी है।
2. जनसंख्या वृद्धि में मुख्य कारण क्या है?
उत्तर - मृत्यु दर में तेज गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण है। 1980 तक उच्च जन्म दर एवं मृत्यु दर में लगातार गिरावट के कारण जन्म तथा मृत्यु दर में काफी बड़ा अंतर आ गया एवं इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो गई।
3. भारत में अधिक जनसंख्या वृद्धि के क्या कारण है?
उत्तर - चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि, कम आयु में विवाह, निम्न साक्षरता परिवार, नियोजन के प्रति जागरूकता, गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है।
4. जनसंख्या की समस्या क्या है?
उत्तर - जनसंख्या की वृद्धि की समस्या अन्य अनेक
समस्याओं को पैदा करती है। प्रतिवर्ष उत्पादित खाद्यान्न अपर्याप्त हो जाता है और जो है वह महंगा हो जाता है। इसी हिसाब से अनुपयोगी वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं सरकार के पास काम की कमी हो जाती है अतः बेरोजगारी भी बढ़ती जाती है।
5. जनसंख्या अच्छी है या बुरी?
उत्तर - यह देखते हुए की भूमि की एक निश्चित मात्रा है, जनसंख्या वृद्धि उन संसाधनों की मात्रा को कम कर देगी जो प्रत्येक व्यक्ति उपयोग कर सकता है। जिसके परिणाम स्वरुप बीमारी भुखमरी और युद्ध होता है।
6. देश की जनसंख्या वृद्धि क्या है?
उत्तर - किसी निर्दिष्ट अवधि के दौरान किसी दिए गए देश या भौगोलिक क्षेत्र के लिए जनसंख्या के आकार में परिवर्तन की वार्षिक औसत दर। यह जनसंख्या के आकार में वार्षिक वृद्धि और उस वर्ष की कुल जनसंख्या के अनुपात को व्यक्त करता है आमतौर पर 100 से गुणा किया जाता है।
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