पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || Paryavaran Pradushan Per Nibandh in Hindi
प्रस्तावना (Introduction) -
जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं वही हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज की प्रमुख आवश्यकता है क्योंकि यह प्रदूषित हो रहा है। मानव जीवन मुख्यतः स्वच्छ वायु और जल पर निर्भर है, यदि यह दोनों ही चीजें दूषित हो जाए तो मानव के अस्तित्व को ही भय पैदा होना स्वाभाविक है; अतः इस भयंकर समस्या के कारणों एवं उनके निराकरण के उपायों पर विचार करना मानव मात्र के हित में है। ध्वनि प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट कोच ने कहा था, "एक दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य को स्वास्थ्य के सबसे बड़े शत्रु के रूप में निर्दई शोर से संघर्ष करना पड़ेगा" लगता है कि वह दुखद दिन अब आ गया।
प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं का वह अवांहनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जंतुओं, पौधों और औद्योगिक संस्थाओं तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है तात्पर्य यह है कि जीवधारी अपने विकास, बुद्धि और व्यवस्थित जीवन क्रम के लिए संतुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं किंतु कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है जिससे वातावरण दूषित हो जाता है।
प्रदूषण का अर्थ (Meaning Of Pollution) -
स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त पर्यावरण जीव धारियों के अनुकूल होता है। जब इस पर्यावरण में किन्ही तत्वों का अनुपात इस रूप में बदलने लगता है जिसका जीवधारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना होती है तब कहा जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। यह प्रदूषित वातावरण जीव धारियों के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक होता है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि एवं औद्योगिक प्रगति ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है और आज इसने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विकास का संकट उत्पन्न हो गया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़े कचरे के ढेर से पृथ्वी, वायु तथा जल प्रदूषित हो रहे हैं।
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (Many Different Types of Pollution) -
प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ साथ हुआ है। विकासशील देशों में वायु और पृथ्वी भी प्रदूषण से ग्रस्त हो रही है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गंदे जल को बहाने का प्रश्न भी एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।
वायु प्रदूषण (Air Pollution) -
वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करके हमें आक्सीजन प्रदान करते हैं। इससे वायुमंडल में शुद्धता बनी रहती है आजकल वायुमंडल में ऑक्सीजन गैस का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गई है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों, ईट पकाने वाली भट्टी अन्य औद्योगिक कार्य में बड़े पैमाने पर धुंआ उत्सर्जित होता है, जो सीधे वायुमंडल को प्रभावित करता है। जिसके कारण लगातार ऑक्सीजन की मात्रा में गिरावट देखी जा रही है।
जल प्रदूषण (Water Pollution) -
जिस प्रकार वायु हमारे लिए उपयोगी है उसी प्रकार जल भी है। जल हमारे जीवन की एक महत्वपूर्ण या हम कह सकते हैं कि अति महत्वपूर्ण सामग्री है। जल को जीवन कहा जाता है। जल का शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी नदियां हैं। यह जल तभी उपयोगी होगा तब यह शुद्ध हो। मानव जाति ने जल का असीमित मात्रा में उपयोग और इसको बुरी तरह से प्रभावित किया है। आज स्थिति यह है कि कारखानों का पूरा गंदा पानी नदियों में सीधे मिलता है जिससे जल प्रदूषण होता है।
तालाबों, पोखरों, नदियों में जानवरों को नहलाना, मनुष्य एवं जानवरों के मृत शरीर को जल में प्रवाहित करना आदि ने जल प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की है। कानपुर आगरा मुंबई अलीगढ़ और ना जाने कितने बड़े-बड़े नगर गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों के किनारे बसे हुए हैं लेकिन कल कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी इन्हीं में जाता है।
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) -
ध्वनि प्रदूषण भी आज की नई समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर, कार, ट्रैक्टर, जेट विमान, कारखानों के सायरन, मशीनों तथा लाउडस्पीकर ध्वनि के संतुलन को बिगाड़ कर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से मानसिक विकृति, तीव्र क्रोध, अनिद्रा एवं चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही है।
अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति में कमी होती है, उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है और नाड़ी संस्थान संबंधी एवं अनिद्रा का रोग उत्पन्न हो जाता है। यहां तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है। कुछ धनिया छोटे-छोटे कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं। परिणामता: अनेक पदार्थों का प्राकृतिक रूप से प्रदूषण नहीं हो पाता है।
रासायनिक प्रदूषण (Chemical Pollution) -
कारखानों से बहते हुए अवशेषों के अतिरिक्त उपज में वृद्धि की दृष्टि से प्रयुक्त कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह पदार्थ जल के साथ बहकर नदियों,तालाबों और समुद्र में पहुंच जाते हैं और जीवन को अनेक प्रकार से हानि पहुंचाते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आधुनिक पेस्टिसाइडों का अंधाधुंध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुंचाता है।
रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution) -
आज के युग में वैज्ञानिक परीक्षणों का जोर है। परमाणु परीक्षण निरंतर होते ही रहते हैं। इनके विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमंडल में फैल जाते हैं, और अनेक प्रकार से जीवन को क्षति पहुंचाते हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी में जो परमाणु बम गिराए गए थे। उनसे लाखों लोग अपंग हो गए थे, और आने वाली पीढ़ी भी इसके हानिकारक प्रभाव से अभी भी अपने को बचा नहीं पाई है।
परमाणु शक्ति उत्पादन केंद्रों और परमाण्विक परीक्षणों में जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है। इस विस्फोट के समय रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमंडल की बाहरी परतों में प्रवेश कर जाते हैं जहां पर यह ठंडे होकर संगठित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं, और बाद में ठोस अवस्था में बहुत छोटे-छोटे धूल के कणों के रूप में वायु में फैलते रहते हैं और वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।
प्रदूषण पर नियंत्रण (Pollution Control) -
पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने तथा उनके समुचित संरक्षण के प्रतिगत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में चेतना आई है। आधुनिक युग के आगमन व औद्योगिकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गंभीर कभी नहीं हुई थी और न इस परिस्थिति की और वैज्ञानिकों तथा अन्य लोगों का इतना ध्यान ही गया था। औद्योगिकरण और जनसंख्या की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण के गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है।
प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर पूरा प्रयास अवश्यक है। जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने सन 1974 के 'जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम' लागू किया तथा इस कार्य हेतु बोर्ड बनाएं। इन बोर्डों ने प्रदूषण के नियंत्रण की अनेक योजनाएं तैयार की है। औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक तैयार किए गए हैं। उद्योगों से होने वाली ध्वनि तथा अन्य प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निवारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।
वनों की अनियंत्रित कटाई को रोकने तथा वृक्षारोपण के लिए जन-समाज को प्रोत्साहित किया जाए। समाज द्वारा किए गए वृक्षारोपण से पर्यावरण को शुद्ध करने में सहायता मिल सकती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा और स्वास्थ्यप्रद जीवन जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।
समस्या का समाधान (Problem Solving) -
वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। दूसरी ओर, वृक्षों के अधिक कटान पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। कारखानों और मशीनें लगाने की अनुमति उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जो औद्योगिक कचरे और मशीनों के दोनों के धुंए को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था कर सकें। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह परमाणु परीक्षणों को नियंत्रित करने की दिशा में उचित कदम उठाए। तेज ध्वनि वाले वाहनों का लाइसेंस तुरंत रद्द कर देना चाहिए और इस क्षेत्र में एक कड़ा कदम उठाना चाहिए। जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए औद्योगिक संस्थानों में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि व्यर्थ पदार्थों एवं जल को उपचारित कर के ही बाहर निकाला जाए तथा इनको जल स्रोतों में मिलने से रोका जाना चाहिए।
उपसंहार (Conclusion) -
जैसे-जैसे मनुष्य अपनी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, विकासशील देशों द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है। यह एक ऐसी समस्या है जिसे किसी विशेष क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं से बांधकर नहीं देखा जा सकता। यह विश्वव्यापी समस्या है, इसलिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है।
पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। हम सभी का उत्तर दायित्व है कि चारों ओर बढ़ते इस प्रदूषित वातावरण के खतरों के प्रति सचेत हो तथा पूर्ण मनोयोग से संपूर्ण परिवेश को स्वच्छ व सुंदर बनाने का यत्न करें। वृक्षारोपण का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर जोर-शोर से चलाया जा रहा है तथा वनों की अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वन क्षेत्र बनाए जाए और जन सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इधर न्यायालय द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को महानगरों से बाहर ले जाने के आदेश दिए गए हैं तथा नए उद्योगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था कर पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करने को अनिवार्य कर दिया गया है। यदि जनता भी अपने ढंग से इस कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दें और यह संकल्प ले कि जीवन में आने वाले प्रत्येक शुभ अवसर पर कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे तो निश्चित ही हम प्रदूषण के दुष्परिणामों से बच सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को भी इसकी काली छाया से बचाने में समर्थ हो सकेंगे।
और हमारा पर्यावरण दूषित होने से बच जाएगा हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होगी जिससे हमारी आयु भी बढ़ेगी। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होगी।
पर्यावरण प्रदूषण पर 10 लाइन (10 lines Essay on Environment Pollution in Hindi) -
1. अगर मनुष्य को जिंदा रहना है तो पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करना है।
2. प्रदूषण की बढ़ती समस्या का एक ही उपाय है पेड़ लगाना।
3. मानव जीवन के लिए प्रदूषण एक अभिशाप है।
4. प्रदूषण मुक्त का तीन प्रकार के होते हैं जल, वायु, और मृदा प्रदूषण।
5. जल प्रदूषण मानव जीवन तथा जीव जंतु और पेड़ पौधों के लिए भी गंभीर समस्या है।
6. जब अशुद्ध और हानिकारक जैसे वायु को प्रदूषित करती हैं तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
7. प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वनों की कटाई से बचना चाहिए।
8. इसे रोकने के लिए हमें जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है।
9. यह हमारे पूरे परिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
10. यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा भी है इसको एक देश तक नहीं अपितु पूरे संसार को देखना चाहिए।
People Also Asked
1. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर - वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख योगदान करता है। यह प्रदूषण या तो मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है। प्रदूषण का हर प्राणी पर नकारात्मक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचाता है।
2. प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर - जीवाश्म ईंधन कोयला, लकड़ी खनिज तेल, पेट्रोल, कल कारखानों तथा वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण पैदा करते हैं। इनके कारण वायुमंडल में ज़हरीली कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है इससे भूमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है।
3. प्रदूषण क्या है निबंध लिखिए?
उत्तर - प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी धूल आदि के माध्यम से ना केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं, पशु पक्षियों, पेड़ पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा गला कर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी जीव जंतु, पशु पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।
4. प्रदूषण क्या है 100 शब्दों में समझाइए?
उत्तर - प्रदूषण का अर्थ है - 'वायु जल मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना' जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रुप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा परिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरण अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है।
5. पर्यावरण प्रदूषण परिचय क्या है?
उत्तर - प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक सामग्रियों की शुरुआत है। इन हानिकारक पदार्थों को प्रदूषक कहते हैं। प्रदूषक प्राकृतिक हो सकते हैं जैसे ज्वालामुखी राख। इन्हें मानव गतिविधि द्वारा भी बनाया जा सकता जैसे - कचरा या फैक्ट्रियों द्वारा उत्पादित अपवाह। प्रदूषक हवा, पानी और जमीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं।
6. प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर - धूम्रपान ना करने से वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है। आज प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते वाहनों की संख्या भी है। ऐसे में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहनों का सही से ख्याल रखें और समय-समय पर प्रदूषण की जांच करवाते रहें ऐसा करके आ पाया वन सुरक्षा और संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।
7. पर्यावरण प्रदूषण कक्षा 12 क्या है?
उत्तर - पर्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य वातावरण और पृथ्वी की सतह के भौतिक और जैविक घटकों में दूसरों की शुरुआत से है। यह सामान्य पर्यावरण लिए प्रक्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
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