चंद्रयान-3 पर निबंध || Essay on Chandrayaan-3 in Hindi

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चंद्रयान-3 पर निबंध || Essay on Chandrayaan-3 in Hindi

चंद्रयान-3 पर निबंध || Essay on Chandrayaan-3 in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको chandrayaan-3 पर निबंध लिखना बताएंगे। chandrayaan-3 पर लिखा यह निबंध बच्चों और कक्षा 1 से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है। chandrayaan-3 पर लिखा हुआ यह निबंध आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। दोस्तों आपको हमारी वेबसाइट पर और भी कई विषयों पर निबंध मिलेंगे जिन्हें आप आसानी से पढ़ सकते हैं। दोस्तों अगर आपके लिए यह आर्टिकल useful हो तो अपने सभी दोस्तों को social media platform WhatsApp, Facebook or telegram पर share करिएगा।


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Table of contents –


प्रस्तावना

चंद्रयान-3 क्या है?

चंद्रयान-3 योजना

चंद्रयान-3 की शुरुआत

चंद्रयान-3 मिशन की पृष्ठभूमि

चन्द्रयान-3 अंतरिक्ष यान की विशेषताएं

चन्द्रयान-3 का लैंडर

चन्द्रयान-3 का रोवर

चन्द्रयान-3 से भारत को लाभ

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन हिन्दी में

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन अंग्रेजी में

FAQ'S 


प्रस्तावना –

chandrayaan-3 भारत की महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में से एक है जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर अगला कदम बढ़ाना है। इस मिशन के तहत भारत चंद्रमा की सतह पर अपनी वैज्ञानिक अध्ययन और खोज अभियांत्रिकी को मजबूत करने के लिए विक्रम लैंडर और प्रग्यान रोवर भेजेगा। इसमें साथ ही एक ऑरबिटर शामिल होगा जो चंद्रमा की सतह की निगरानी करेगा।


चंद्रयान-3 क्या है?


चंद्रयान - 3 अंतरिक्ष यान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उल्लिखित तीसरा चंद्र अन्वेषण अभियान है। इसमें chandrayaan-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर होगा, लेकिन इसमें ऑबिटर नहीं होगा।


ये मिशन चंद्रयान - 2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास विफल हो गया था, सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।


चंद्रयान -3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे निर्धारित किया गया है।


चंद्रयान-3 योजना –


चंद्रयान-3 की योजना के अनुसार विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा और वहां से वैज्ञानिक डेटा और सूचना भेजेगा। इसके साथ ही प्रग्यान रोवर चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़कर वैज्ञानिक अध्ययन का कार्य करेगा। इससे हमें चंद्रमा के बारे में नई जानकारी मिलेगी और इसके माध्यम से भारत की वैज्ञानिकता को गर्व की अनुभूति मिलेगी।

चंद्रयान-3 मिशन को वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसमें उन्नत संचार तंत्र, ऊर्जा प्रबंधन और उच्च क्षमता की बैटरी शामिल है। इसके अलावा एक औचक रडार और नए प्रकार के उपकरणों का भी उपयोग किया जाएगा। यह सभी तत्व chandrayaan-3 को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंचाने में मदद करेंगे। chandrayaan-3 योजना के लिए तैयारी करते समय भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी देखा गया है। इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अन्य देशों के अंतरिक्ष संगठनों के साथ सहयोग किया गया है। इससे यह साबित होता है कि चंद्रयान-3 का मिशन अग्रणी और महत्वपूर्ण है, और भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी प्रगति को दिखाने के लिए तत्पर है।


चंद्रयान-3 की शुरुआत –


चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए एक चंद्र मिशन है। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई, 2023 को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:51 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था।

चंद्रयान-3 एक multi-part मिशन है, जिसमें एक ऑबिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है।

चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक प्रयोग चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति, चंद्रमा की सतह और उसकी संरचना, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र और चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे।


चंद्रयान-3 मिशन की पृष्ठभूमि -


इसरो के chandrayaan-2 मिशन को ऑरबिटर, रोवर और लैंडर के साथ chandrayaan-2 अंतरिक्ष यान भेजने के लिए डिजाइन किया था। उन्होंने इस अंतरिक्ष यान को सबसे शक्तिशाली जियोसिंक्रोनस वाहनों में से एक, जीएसएलवी-एमके 3 पर लांच किया।


लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में विफलता के कारण रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा पर यात्रा करने के प्रयास में बाधा उत्पन्न हुई।

इसने चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के लिए आवश्यक भारत की लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक और मिशन का प्रयास किया।


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यह मिशन 2023 में जापान के सहयोग से होने जा रहा है।


चन्द्रयान-3 अंतरिक्ष यान की विशेषताएं - 


भारत का लक्ष्य चंद्रमा की सतह की जांच करना है, खासकर उन क्षेत्रों की जहां कुछ अरब वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच रही है। वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री चंद्रमा की सतह के इन गहरे हिस्सों में बर्फ और प्रचुर खनिज भंडार की उपस्थिति पर संदेह कर रहे हैं।


इसके अलावा, यह अन्वेषण केवल सतह तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका उद्देश्य उप-सतह और बाह्यमंडल का अध्ययन करना होगा।


इस अंतरिक्ष यान का रोवर chandrayaan-2 से


चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति।


चंद्रमा की सतह और उसकी संरचना।


चन्द्रयान-3 का लैंडर –


chandrayaan-3 का लैंडर विक्रम नाम से है। यह लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ेगा। रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। विक्रम लैंडर 1475 किलोग्राम वजनी है और 4.5 मीटर लंबा है। इसमें चार पैर हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर उतरने में मदद करेंगे। लैंडर में एक पेरोजुट भी है जो इसे चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतारने में मदद करेगा।

विक्रम लैंडर में एक रोवर दोनों ही भारत द्वारा विकसित सबसे उन्नत अंतरिक्ष यान हैं। इनके सफल होने से भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी।


चन्द्रयान-3 का रोवर –


चन्द्रयान - 3 का रोवर प्रज्ञान नाम से है। यह चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। प्रज्ञान 135 किलोग्राम वजनी है और 6.5 मीटर लंबा है। इसमें चार पहिए हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर चलने में मदद करेंगे।


चन्द्रयान-3 से भारत को लाभ –


chandrayaan-3 भारत को चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।


chandrayaan-3 भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करेगा।


chandrayaan-3 भारत के लिए एक राष्ट्रीय गौरव का विषय होगा।


चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन हिन्दी में –

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1. इसरो ने चन्द्रयान - 3 को चंद्रमा की तीसरी यात्रा पर भेजने की योजना बनाई है।


2. chandrayaan-2 और चंद्रयान-1 के बाद chandrayaan-3 अगला प्रोजेक्ट है।


3. यह प्रदर्शित करेगा कि चंद्रमा पर उतरना और नेविगेट करना कितना सुरक्षित है।


4. chandrayaan-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 पर अंतरिक्ष में भेजा गया है।


5. chandrayaan-3 को श्रीहरिकोटा के SDSC से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।


6. chandrayaan-2 की विफलता के लगभग 4 साल बाद चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया है।


7. रिपोर्ट्स के मुताबिक chandrayaan-3 की लागत करीब 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।


8. लॉन्चिंग व्हीकल मार्क 3 (LVM 3) रॉकेट chandrayaan-3 को अंतरिक्ष में ले गया।


9. chandrayaan-3 का मुख्य लक्ष्य सतह पर सुरक्षित उतरना, रोवर कैसे काम करता है यह दिखाना और सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करना है।


10. chandrayaan-3 को 23 अगस्त या 24 अगस्त के आसपास उतरने की संभावना है।


चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन अंग्रेजी में -


1. Chandrayan-3 is the third lunar exploration mission by ISRO.


2. It is the next project after chandrayaan-2 and chandrayaan-1.


3. It has been sent into space on 14 July 2023 at 2:35 pm.


4. It will demonstrate how safe it is to land and navigate on the moon.


5. It consists of a lander and a rover similar to chandrayan-2, but does not have on orbiter.


6. Chandrayan-3 was successfully launched from SDSC,SHAR, Shriharikota.


7. According to reports, the cost of chandrayan-3 is around 77 million dollar.


8. Chandrayan-3 is likely to land around August 23 or August 24.


9. It has been launched almost-4 years after the failure of chandrayaan-2.


10. It's main goals are two land safely on the surface, show how the raver works and do scientific tests on the surface.


FAQ'S


प्रश्न - चन्द्रयान - 3 का क्या महत्व है?

उत्तर - भारत का चंद्रयान-3 मिशन भारत को चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा। इस मिशन में निवेश आकर्षित करने और भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने की क्षमता है।


प्रश्न - चन्द्रयान - 3 का वजन कितना है?

उत्तर - चन्द्रयान - 3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148kg है और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1752 किलोग्राम है।


प्रश्न - चंद्रयान-3 कब लॉन्च हुआ था?

उत्तर - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा मून मिशन chandrayaan-3 श्रीहरिकोटा से लांच हो चुका है। 14 जुलाई 2023 शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 पर chandrayaan-3 को लांच किया गया।


प्रश्न - क्या chandrayaan-3 मिशन सफल है?

उत्तर - इसरो ने दूसरी बार चंद्रयान-3 मिशन की कक्षा सफलतापूर्वक बढ़ाई है। ऑबिट राइजिंग पैंतरेबाजी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अंतरिक्ष यान अब केवल 200 किलोमीटर से अधिक की परिधि पर उड़ान भर रहा है।


प्रश्न - चंद्रयान मिशन का उद्देश्य क्या था?

उत्तर - इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इससे पहले chandrayaan-2 के समय भी इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्टलैंड कराना ही था, जो अंतिम समय में फेल हो गया था।

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