आर्टिफिशियल (AI) इंटेलिजेंस क्या है? - संपूर्ण जानकारी नुकसान, फायदे एवं विशेषताएं
एआई AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) क्या है -
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की एक ऐसी शाखा जिसके अंदर मशीनों में सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जाती है, अर्थात मशीनों को बुद्धिमान बनाया जाता है ताकि वे इंसानों की तरह सोच समझकर निर्णय ले सके और बिना इंसानी मदद के काम कर सके।
अगर आसान भाषा में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मशीनों का दिमाग है। जिसकी मदद से वह सोच समझकर निर्णय ले सकती हैं और बिना किसी मदद के स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं यानी कि जिस तरह इंसान अपने दिमाग की मदद से किसी भी समस्या का हल ढूंढ लेता हैं। वैसे ही एआई की मदद से मशीनें भी अपनी समस्याओं को खुद हल कर सकती हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है। जिसका अर्थ है मानव निर्मित समझ, या मानव निर्मित बुद्धिमत्ता। इसे मशीनी बुद्धि या मशीनी दिमाग भी कहा जाता है। इसकी मदद से मशीनों को समझदार और बुद्धिमान बनाया जाता है ताकि वे स्वचालित रूप से काम कर सके और इंसानों पर उनकी निर्भरता कम हो सके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई बड़े-बड़े क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं कुछ विदेशों में तो इनका उपयोग रेस्टोरेंट में खाना बंटवाने अर्थात् लोगों के बीच में खाना परोसने में लगाया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की खोज -
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में सबसे पहले दुनिया को John McCarthy ने बताया था। इसलिए इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक कहा जाता है। John McCarthy एक अमेरिकी कंप्यूटर साइंटिस्ट और शोधकर्ता थे। 1956 में इन्होंने डॉर्टमाउथ कॉलेज की एक कार्यशाला में भाग लिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
John McCarthy के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक उच्च कोटि का कंप्यूटर विज्ञान है। जिसकी मदद से मशीनों में बुद्धिमत्ता का विकास किया जा सकता है अर्थात् ऐसे रोबोट्स और कंप्यूटर प्रोग्राम्स बनाए जा सकते हैं। जो मानव मस्तिष्क के सिद्धांत पर कार्य करें और उन्हें तर्कों का इस्तेमाल करें जो मानव मस्तिष्क करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वरदान या अभिशाप -
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ इन दिनों चर्चा में है। चैट जीपीटी के बाद से एआइ के विस्तार ने लोगों का ध्यान अपनी ओर और भी ज्यादा आकर्षित किया है। चैट जीपीटी की मदद से कई ऐसे काम करना चुटकियों में संभव हो गया है, जिनके लिए पहले घंटों का समय लगता था। एआइ की इस खूबी ने लोगों को चिंता में भी डाला है। एक पक्ष इसे स्पष्ट रूप से रोजगार के लिए खतरा मान रहा है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे एआई विकसित होता जाएगा, लोग कंप्यूटर या रोबोट की मदद से ऐसे बहुत से काम करने में सक्षम हो जाएंगे, जिनके लिए पहले मानव श्रम की आवश्यकता होती थी। दूसरा पक्ष मानता है कि एआइ कभी मानव मस्तिष्क का स्थान नहीं ले सकता एआइ से उत्पादकता बढ़ेगी और ऐसी समस्याओं का समाधान मिलेगा, जो अभी अनुत्तरित हैं। चिकित्सा एवं कृषि आदि क्षेत्रों में एआइ से अपार संभावनाएं बन सकती हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी कहा था कि अगले कुछ साल तक एआइ से रोजगार पर खतरा नहीं है। एआइ अभी उस स्तर तक नहीं पहुंचा कि वह परिस्थिति के हिसाब से सोचकर निर्णय ले सके। उनके बयान में भविष्य में ऐसा होने की आशंका दिख रही है। एआइ के प्रसार के बीच इससे संभावित लाभ हानि एवं चुनौतियों की पड़ताल हम सभी के लिए बड़ा मुद्दा है।
इसलिए है जरूरी -
एआइ से काम जल्दी होता है, उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आसान होता है और धोखाधड़ी पर नजर रखना संभव होता है। कई क्षेत्रों में एआइ का प्रदर्शन मनुष्य की तुलना में बेहतर देखा गया है।
स्वास्थ्य नेत्र में –
इलाज की लागत कम करने और परिणाम बेहतर करने में एआइ ने बहुत अच्छे नतीजे दिए हैं। एआइ की मदद से मेडिकल जांच आसान एवं तेज हुई है। अपॉइंटमेंट तय करने से लेकर इलाज की पूरी प्रक्रिया में एआइ से मदद मिल रही है।
कारोबार में –
एनालिटिक्स और कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट में एआइ सहायक सिद्ध हो रही है। कई बैंक आज चैटबोट के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ग्राहक बहुत सी जरूरी बातें चैटबोट से पूछकर उसका उत्तर पा सकते हैं। इससे व्यवस्था तेज हुई है।
शिक्षा में –
कई कार्यों को ऑटोमेटिक करते हुए शिक्षकों को मूल काम के लिए ज्यादा समय मिल सकता है। छात्रों की जरूरत को समझकर उसके अनुरूप निर्णय लेने में भी एआइ मददगार है। कुछ विषयों पर एआइ से मिला इनपुट बहुत लाभदायक हो सकता है।
वित्तीय क्षेत्र में –
पर्सनल फाइनेंस के क्षेत्र में एआइ सॉफ्टवेयर का प्रयोग देखा जा रहा है। इससे कई लंबी प्रक्रियाओं को आसानी से पूरा करना संभव हुआ है। वाल स्ट्रीट में ट्रेडिंग में भी एआइ सॉफ्टवेयर मदद कर रहे हैं।
मनोरंजन व मीडिया के क्षेत्र में –
यूजर्स की पसंद के हिसाब से विज्ञापन तय करने, फ्राड का पता लगाने, स्क्रिप्ट तैयार करने से लेकर फिल्में बनाने तक एआइ का प्रयोग देखा जा रहा है। न्यूज रूम की उत्पादकता बढ़ाने में भी एआइ का प्रयोग देखने को मिला है।
एआइ ने ही बताया एआइ का खतरा -
यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड के प्रोफेसर रिचर्ड बोल्डन ने एआइ से संबंधित खतरे को लेकर चैटजीपीटी-4 से प्रश्न पूछा था। चैटजीबीटी ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताए हैं।
बेरोजगारी –
एआइ के कारण बड़े पैमाने पर रोजगार छिनने का खतरा है। कई ऐसे काम हैं, जिन्हें करने में कई लोगों की जरूरत होती है, उसे एआइ संचालित एक मशीन करने में सक्षम हो सकती है।
भेदभाव –
एआइ का आधार डाटा है। यदि इनपुट में किसी तरह की भेदभाव वाली बातें हुईं, तो उसी के आधार पर परिणाम देते हुए एआइ उस असमानता को बढ़ाने और समाज को बांटने का कारण बन सकती है।
अनियंत्रित –
जैसे-जैसे एआइ के सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के दम पर अपनी कमियों को जानने और उसे ठीक करने में सक्षम होते जाएंगे, उन पर नियंत्रण मुश्किल होता जाएगा। ऐसे में भविष्य में एआइ तबाही का कारण भी बन सकती है।
हथियारों की दौड़ –
जिस तरह से एक समय देशों के बीच परमाणु शक्ति संपन्न बनने की होड़ दिखी थी, भविष्य में एआइ संचालित हथियारों की दौड़ देखने को मिल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो यह संपूर्ण मानवता के लिए बड़ा खतरा होगा।
दिमाग तो है, पर सोच नहीं
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआइ कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बुद्धिमत्ता है। यह पूरी तरह डांटा और उसके एनालिसिस पर केंद्रित है। इसमें सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम से टाटा का पैटर्न पहचाना जाता है। भविष्य में जैसे ही मशीन को उस पैटर्न का अन्य डाटा मिलता है, वह उसके अनुरूप परिणाम दे देती है। एआइ आधारित मशीनें ऐसे मनुष्य की तरह व्यवहार करती हैं, इसका दिमाग बहुत तेज है, जिसे सब कुछ याद रहता है, लेकिन उसके पास अपनी कोई सोच नहीं है। वह केवल डाटा के आधार पर आकलन करने और निर्णय देने में सक्षम है। इसका न सोच पाना ही अभी इसकी अच्छाई है। यदि मशीनें स्वयं की खामियों को समझने में सक्षम हो गई, तो उन पर नियंत्रण असंभव हो जाएगा।
ऐसे करती है काम –
• चिकित्सा के क्षेत्र में एआइ को मेडिकल रिपोर्ट के डाटा एवं उसके परिणाम से समृद्ध बनाया जाता है। भविष्य में वह एआइ आधारित मशीन किसी मेडिकल रिपोर्ट को देखकर यह आकलन करने में सक्षम होती है कि संबंधित व्यक्ति को क्या बीमारी हो सकती है।
• ऑपरेशन से जुड़ी प्रक्रियाओं से संबंधित विस्तृत डाटा इनपुट के आधार पर एआइ से संचालित रोबोटिक मेडिकल उपकरण बीमारी का सटीक आकलन करते हुए मनुष्य की तुलना में ज्यादा सटीक तरीके से ऑपरेशन करने में सक्षम होते हैं।
• इंटरनेट मीडिया कंपनियां एआइ की मदद से यह देखती है कि कौन सा यूजर किस तरह के कंटेट पर क्लिक करता है। उसी को आधार बनाते हुए भविष्य में उस यूजर के प्रोफाइल पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं।
• कृषि क्षेत्र में मौसम, मिट्टी एवं फसल से जुड़े डाटा से समृद्ध एआइ की मदद से यह तय करना आसान होता है कि किस मौसम में, किस जगह कौन सी फसल से बेहतर उपज प्राप्त करने की संभावना रहेगी।
• यातायात के छेत्र में एआइ की मदद से परिस्थिति के आधार पर कुछ क्षण पहले ही दुर्घटना की आशंका का आकलन करना और उससे बचना संभव हो सकता है। विभिन्न कंपनियों द्वारा विकसित स्वचालित कारें इसी विकास का हिस्सा हैं।
• चैटजीपीटी जैसे एआइ सॉफ्टवेयर विस्तृत एल्गोरिदम की मदद से इनपुट के आधार पर लेख लिखने और कई तरह के प्रश्नों के उत्तर देने में भी सक्षम हैं, जो निकट भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।
प्रोग्रामिंग के चार चरण –
सीखना – प्रोग्रामिंग के इस चरण में डाटा जुटाया जाता है और नियम तय किए जाते हैं कि कैसे उस डाटा से परिणाम पाया जाएगा। इन्हीं नियमों को एल्गोरिदम कहा जाता है। इसी से प्रोग्रामिंग चरणबद्ध तरीके से परिणाम तक पहुंच चुकी है।
चयन – इस चरण में यह निर्धारित किया जाता है कि सही परिणाम तक पहुंचने के लिए किस नियम का पालन करना होगा।
सुधार – प्रोग्रामिंग इस तरह की जाती है कि जरूरत पड़ने पर संबंधित सॉफ्टवेयर प्रश्न का सटीक परिणाम पाने के लिए एल्गोरिदम में स्वयं ही बदलाव कर सके।
रचनात्मकता – इसमें न्यूरल नेटवर्क, एल्गोरिदम आधारित व्यवस्था और अन्य तकनीकों के माध्यम से एआइ को नई तस्वीरें, नया लेख और नया संगीत सृजित करने में सक्षम बनाया जाता है।
एआइ AI करेगा मदद -
आजकल लोग आनलाइन शापिंग खूब पसंद करते हैं। ऐसे आनलाइन यूजर्स के लिए गूगल ने नए फीचर पेश किए हैं, जिससे आनलाइन कपड़ों की खरीदारी के दौरान कलर से फिटिंग तक हर चीज की पूरी जानकारी मिलेगी । जानते है क्या है यह एआइ टूल और कैसे करता है काम.
अगर आप आनलाइन कपड़े खरीदना पसंद करते हैं तो फिटिंग रूम की तरह अनुभव देने के लिए गूगल ने नए फीचर पेश किए हैं। 'वर्चुअल ट्राइआन फार अपैरल फीचर जनरेटिव एआइ से लैस है, जो कपड़ों की खरीदारी करने की अनुभव बदल देगा। यह बाडी टाइप के हिसाब से कपड़ों की बड़ी रेंज को दिखाता है। गूगल ने नए फिल्टर भी जोड़े हैं ताकि यूजर ठीक वही खोज सकें, जिनकी उन्हें तलाश है। वर्चुअल ट्राइआन टूल आप आनलाइन खरीदारी करने जाते हैं तो अक्सर खरीदारी से पहले यह जरूर सोचते होंगे कि कपड़ा आपपर कैसा दिखेगा। गूगल के अनुसार, 42 प्रतिशत आनलाइन खरीदार कपड़े की खरीदारी के दौरान माडल की इमेज को सही नहीं मानते, वहीं 59 प्रतिशत अपनी खरीदारी से असंतुष्ट होते हैं, क्योंकिजो दिखता है, वह बाद में उससे भिन्न निकलता है। इसके समाधान के लिए गूगल ने वर्चुअल ट्राइ-ऑन टूल पेश किया है, जिससे आप यह देख सकते हैं कि कोई कपड़ा खरीदने से पहले आपके लिए सही है या नहीं। हर साइज के अनुसार करेगा विचार : गूगल का यह माडल कपड़ों की सिर्फ एक ही इमेज लेगा और उसी से बता देगा कि अलग-अलग माडल पर यह कैसा दिखेगा । ये माडल अलग-अलग स्किन टोन, चाडी साइज, हेयर टाइप आदि के साथ आते है। एआइ माडल ड्रेपिंग,
• फोल्डिंग, क्लिंगिंग, स्ट्रेचिंग, झुर्रियों जैसे कारकों पर भी विचार करता है। फिलहाल यह टूल अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है। गूगल पर वर्चुअल रूप से सभी ब्रांड के महिलाओं के कपड़े ट्राई किए जा सकते हैं । इसके लिए यूजर्स को सर्च में ट्राइ आन बैज वाले प्रोडक्ट परटैप करना होगा। फिर उस माडल का चयन करना होगा, जिनकी
• शारीरिक बनावट आपके शरीर से ज्यादा नजदीक हो । गूगल सर्व पर नया वर्चुअल दाइ आन टूल यूजर्स को यह तय करने में मदद करेगा किड्रेस खरीदने से पहले वह उनके लिए सही है या नहीं।
खरीदारी से पहले देख पाएंगे कपड़ा जंचेगा या नहीं यह टूल दिखाएगा कि कपड़े विभिन्न प्रकार के वास्तविक माडल पर कैसे दिखते हैं। यह कपड़ो की इमेज बना और उसे प्रतिबिंबित कर सकता है। कंपनी का दावा है कि एक्सएक्सएस से 4एक्सएल के साइज वाले चुनिंदा लोग अलग- अलगरिकन टोन, शरीर के आकार और बालों के प्रकार के हिसाब से कपड़े ट्राइ कर सकते हैं। कंपनी शापिंग ग्राफ पर भी कार्य कर रही है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह प्रोडक्ट्स और सेलर्स की दुनिया का सबसे व्यापक डाटा सेट है। गूगल का कहना है कि यह तकनीक समय के साथ और अधिक ब्रांड और आइटम को बढ़ा सकती है।
AI क्या है? समझे 30 सेकंड में (वीडियो के द्वारा) -
ऐसे में हम केवल शब्दों से समझ सकते हैं कि एआई क्या है परंतु अगर आपको इसको देखना है कि वास्तविक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है? तो एक वीडियो आपको नीचे दिया जा रहा है। जो कि 30 सेकेंड से भी कम का है। इसको देखने के बाद आपके Mind में और clearly आ जाएगी और आप और भी उत्सुक हो जाएंगे।
नहीं समझे तो डंग भी बन सकती है यह जादुई कलम -
एआइ (AI) के पितामह कहे जाने वाले गूगल के पूर्व उपाध्यक्ष जैफ्री हिंटन कहते हैं कि एआइ सिस्टम इंसानी मस्तिष्क जितने ताकतवर ही नहीं, बल्कि कई मायनों में उससे ज्यादा शक्तिशाली हैं। ये किसी भी चीज को इंसानों के मुकाबले अत्यंत शीघ्रता से सीख लेते हैं। इसलिए ये इंसानों से आगे भी निकल सकते हैं। चैटजीपीटी के संस्थापक सैम अल्टमैन भी इससे सहमत लगते हैं। उन्होंने अमेरिकी सीनेट से एआइ कंपनियों को लाइसेंस देने के लिए एक नई एजेंसी बनाने की मांग की है। अल्टमैन का कहना है कि हमें ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जो एआइ के जोखिमों को पहचान सके, अन्यथा यह भू-राजनीतिक चुनौतियों को जन्म देगा।
इस बात में संदेह नहीं कि एआइ लगातार हमारे जीवन को बेहतर बना रहा है। यातायात मैपिंग प्रणाली हो या फिर सर्व इंजन पर मिलने वाले परिणाम; यहां तक कि म्यूजिक एप पर मनचाहे गानों की सूची प्राप्त करने में भी एआइ का योगदान है। चैटजीपीटी आने के बाद से एआइ पर संसद से सड़क तक चर्चा हो रही है। विशेषरूप से इसके नकारात्मक पक्ष को लेकर। न तो सभी शंकाएं गलत हैं और न ही सभी सही। एआइ की सहायता से फर्जी वीडियो/फोटो/ आवाज बनाई जा रही हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां एआइ की सहायता
से बनाए गए कानूनी नोटिस और शोध पत्र भी पकड़े गए हैं। एआइ का दुरुपयोग फेक न्यूज फैलाने, दुर्भावनापूर्ण सामग्री बनाने या व्यक्तियों का प्रतिरूपण करने के लिए भी किया जा रहा है।
यही कारण है कि जनरेटिव एआइ को रेगुलेट करने के लिए एक लीगल फ्रेमवर्क बनाने की आवश्यकता है। भारत सरकार ने जीपीएआइ (ग्लोबल पार्टनरशिप आन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के सदस्य देशों के साथ इस दिशा में काम शुरू करते हुए स्पष्ट किया है कि एआइ में इनोवेशन होना चाहिए, लेकिन निजता और सुरक्षा का ध्यान जरूरी है। अगर हमें एआइ को सकारात्मक और उत्पादक बनाना है तो उसे नैतिकता से जोड़ना होगा। इसके साथ ही स्पष्ट प्रोटोकाल हो जिसमें यह बताया जाए कि क्या करना है
और क्या नहीं। यूरोपीय संघ के सांसदों ने भी एआइ नियमों के मसौदे में बदलाव पर सहमति जताई है, जिसमें बायोमेट्रिक डाटा के चैटजीपीटी द्वारा इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। जापान ने भी व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए एआइ के उपयोग को रेगुलेट करने की बात कही है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल ने अपनी किताब 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसः ए माडर्न एप्रोच' में चिंता जताई है कि क्या लार्ज लैंग्वेज माडल (एलएलएम) सुरक्षित हैं? हमने जागरण डिजिटल न्यूज रूम में विभिन्न एआइ टूल्स के साथ काम करते हुए कुछ निष्कर्ष पाए हैं। पहला, अंग्रेजी में खबरों के संक्षेपीकरण व इंटरनेट मीडिया पोस्ट लिखने के मामले में यह माडल प्रभावी है। दूसरा,हिंदी समेत विभिन्न भाषाओं में एक साथ अनुवाद करने और सामग्री निर्माण में सक्षम, लेकिन गुणवत्ता व तथ्यपरकता की कसौटी पर पूरी तरह खरा नहीं है। तीसरा, डाटा की सही तरीके से लेबलिंग न करने से इसके पक्षपाती होने की संभावना है। इन कमियों को दूर करने के लिए दुनिया के बड़े मीडिया संस्थानों से अनुबंध करके लार्ज लैंग्वेज माडल को सिखाने का प्रयास हो रहा है।
फिलहाल एआइ के साथ सबसे बड़ी चुनौती डाटा के इस्तेमाल को लेकर हैं। माडल को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डाटा एकत्र किया जाता है, लेकिन ऐसा करने का कोई कानूनी आधार नहीं होता है। उन लोगों को जानकारी नहीं दी जाती है जिनसे डाटा लिया जाता है। यह निजता के उल्लंघन का मामला हो सकता है। इस तरह यदि एआइ का सही तरीके से प्रयोग हो, तो यह न्यूज रूम के मौजूदा कर्मचारियों की दक्षता बढ़ा सकता है। वे सीमित समय में बेहतर रिसर्च और डाटा प्रस्तुत कर सकते हैं। विभिन्न दृष्टिकोण के साथ जानकारियों को प्रस्तुत किया जा सकेगा, जिसका सीधा फायदा पाठकों को मिलेगा। यह आशंका फिलहाल निराधार है कि एआइ के आने से नौकरियां खत्म हो जाएंगी बल्कि समझदारी भरे उपयोग से यह हमारे काम को ज्यादा प्रभावशाली और रचनात्मक बना सकता है।
अनियंत्रित होने से पहले ही कानूनी दायरे में बांधने की जरूरत -
डॉक्टर पवन दुग्गल (चीफ एग्जीक्यूटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ला हब) का मानना है कि इसमें संदेह नहीं कि एआइ वर्तमान एवं भविष्य है। ऐसे में जितनी जल्दी इन्हें कानूनी दायरे में ले आया जाएगा, उतना अच्छा होगा ताकि एआइ के सकारात्मक प्रयोग को बढ़ावा दिया जा सके। इस मामले में विभिन्न देश भारत की और आशा की दृष्टि से देख रहे हैं।
चैटजीपीटी के विस्तार और तेजी से इसकी बढ़ती स्वीकार्यता ने एआइ को लेकर चर्चा को नया आयाम दे दिया हैं। भारत में भी बड़ी संख्या में लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। लोगों को चैटजीपीटी, जीपीटी-4 और गूगल बार्ड जैसे जनरेटिव एआइ बहुत पसंद आ रहे हैं। हालांकि जनरेटिव एआइ के इस प्रयोग ने कानूनी और नीतिगत मसले पर कई चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं। एआइ का सकारात्मक प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए इन दोनों पहलुओं पर विचार की जरूरत है। निसंदेह इस मामले में भारत से नेतृत्व की उम्मीद की जा रही है।
ज्यादा से ज्यादा देश यह देख रहे हैं कि भारत क्या कदम उठाएगा।
मौजूदा कानूनों में एआइ को लेकर स्पष्ट एवं तय व्यवस्था नहीं है। अभी आइटी एक्ट इस मामले में उद्देश्य पूरा करने में सक्षम नहीं है। कारण भी स्पष्ट है कि 23 साल पहले इस कानून को बनाते समय आज की स्थिति की कल्पना करने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। • यह कानून उस समय की चुनौतियों के हिसाब से था। अब समय आ गया है कि एआइ पर स्पष्ट कानूनी व्यवस्था तैयार की जाए। यह भी ध्यान रखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस संबंध में कोई कानूनी व्यवस्था या संधि नहीं है। अपने-अपने स्तर पर विभिन्न देशों ने इस तरह के कदम उठाने की शुरुआत की है। इस दिशा में
● अमेरिकी प्रांत इलिनोइस में सबसे
पहले 2020 में कानून बना था। वह कानून वीडियो इंटरव्यू के संदर्भ में एआइ के प्रयोग तक सीमित था । तब से इस दिशा में बहुत प्रगति हुई है। यूरोपीय संघ इस मामले में व्यापक विषयों को समाहित करते हुए कानून दर्ज हुआ है। बनाने पर काम कर रहा है। चीन ने भी जनरेटिव एआइ को लेकर कानून की रूपरेखा तैयार की है।
विभिन्न देशों से सीखते हुए भारत एक वैश्विक माडल की ओर कदम बढ़ा सकता है। इस दिशा में कदम जितनी जल्दी बढ़ा दिए जाएं उतना ही अच्छा होगा। एआइ की व्यवस्था से जुड़े सभी लोगों के लिए अधिकार, कर्तव्य एवं जिम्मेदारी का स्पष्ट खाका होना चाहिए। कानून के तहत सभी एआइ प्लेटफार्म और सर्विस प्रोवाइडर स्वतः इंटरमीडियरी के रूप में शामिल हों और उनके लिए भारतीय कानूनों का पालन लिए भारतीय कानूनों का पालन
अनिवार्य हो। एआइ का विषय बहुत जटिल है। हमें ध्यान में रखना होगा कि दुनिया में एआइ को लेकर मुकदमे शुरू हो गए हैं। अमेरिका में ओपन एआइ के विरुद्ध एक मामला
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि चैटजीपीटी ने टेक्नोलाजी का बहुत उन्नत स्वरूप दिखाया है। यह विकास का वर्तमान एवं भविष्य है, लेकिन इसकी खामियां भी हैं। इसलिए कानून बनाते समय टेक्नोलाजी के क्षेत्र में हो रहे हर विकास को ध्यान में रखना होगा। भारत में इस दिशा में कानूनी व्यवस्था को समझने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ला हब को स्थापित किया गया है। ला हब देख रहा है कि कैसे दुनियाभर में एआइ को नियंत्रित करने के लिए कानूनी प्रविधान आकार ले रहे हैं।
लखनऊ बनेगा देश का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी -
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर का आकार देने के लिए प्रदेश के महानगरों को अलग-अलग क्षेत्रों के केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। लखनऊ को देश का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) सिटी बनाने की तैयारी है। प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संदर्भ में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर हुई बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी उन्हें दी। बैठक में मुख्यमंत्री ने सितंबर में ग्रेटर नोएडा में होने जा रहे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो को राजधानी लखनऊ में हुए यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तर्ज पर बड़े स्तर पर आयोजित करने का निर्देश दिया। प्रदेश को हरित ऊर्जा का हब बनाने को लेकर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने प्रदेश को शिक्षा के हब के रूप में स्थापित करने पर भी जोर दिया। निर्माण सेक्टर की समीक्षा करते हुए यह भी निर्देश दिया कि कोई भी निर्माण कार्य बंजर और अनुपजाऊ भूमि पर ही होना चाहिए, कृषि योग्य भूमि पर नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाना हमारा मिशन है।
अधिकारी कोर क्षेत्रों पर फोकस करें। कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, धार्मिक पर्यटन तथा आइटी / आईटीईएस हमारे कोर क्षेत्र हैं। ऊर्जा, स्वास्थ्य, शहरी विकास, शिक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई आदि क्षेत्रों पर भी विशेष फोकस की आवश्यकता है। उन में एमएसएमई की 96 लाख इकाइयां हैं। एक ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एमएसएमई सेक्टर में बड़े स्तर पर योजना की आवश्यकता है।
FAQ'S
Q. कंप्यूटर में एआई क्या है?
A. एआई एक कंप्यूटर सिस्टम द्वारा निर्मित इंटेलिजेंस है जो मशीन लैंग्वेज पर काम करता है। सामान्य तौर पर एआई सिस्टम बड़ी मात्रा में लेबल किए गए प्रशिक्षण डेटा को अंतर्ग्रहण करके, सहसंबंधों और पैटर्न के लिए डेटा का विश्लेषण करते हैं।
Q. एआई (AI) का मतलब क्या होता है?
A. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है - बनावटी तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रुप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात् यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है।
Q. एआई (AI) के पिता कौन हैं?
A. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी हैं। जॉन मैकार्थी एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक थे।
Q. एआई (AI) का उपयोग क्या है?
A. अनुप्रयोग कृत्रिम बुद्धि के संभावित अनुप्रयोगों प्रचुर मात्रा में हैं। वे मनोरंजन उद्योग के लिए, कंप्यूटर खेलो और रोबोट पालतू जानवर। बड़ा प्रतिष्ठानों जैसे अस्पतालों, बैंकों और बीमा, जो ग्राहक व्यवहार की भविष्यवाणी और रुझानों का पता लगाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
Q. एआई (AI) का पूरा नाम क्या है?
A. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
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