बहादुर कहानी का सारांश || Bahadur Kahani ka Saransh Hindi mein
प्रश्न - बहादुर कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
या
कहानी के तत्वों के आधार पर बहादुर कहानी की समीक्षा कीजिए।
बहादुर कहानी का सारांश -
उत्तर - अमरकांत की 'बहादुर' शीर्षक कहानी एक समस्या प्रधान कहानी है। इसमें एक पहाड़ी लड़के की मार्मिक कथा वर्णित है। कहानी का सारांश निम्नलिखित है–
दिल बहादुर एक नेपाली लड़का था। उसके पिता युद्ध में वीरगति प्राप्त कर चुके थे। उसकी माता अपने बालक की अपेक्षा भैंस पर अधिक लाड़ करती थीं। अभाव एवं समस्याओं से जूझती मां अपनी खीझ बालक दिलबहादुर पर उतारती थी। एक दिन बहादुर ने भैंस को खूब पीट-पीटकर अपनी खीझ निकाली। भैंस भागकर खेत में जा पहुंची जहां बहादुर की मां काम कर रही थी। यह देख मां ने उसके बदले में बहादुर को खूब पीटा। परिणामत: कोमल हृदय का बहादुर मां के ही दो रुपए चुराकर घर से भाग खड़ा हुआ।
लेखक की पत्नी और लेखक अपने स्तरानुकूल एक नौकर चाहते थे। निर्मला के भाई ने एक नौकर भेजा। उसका नाम था–दिलबहादुर। प्रारंभ में बहादुर की बड़ी आवभगत हुई। सारा घर नौकर मिलने से प्रसन्न था। बहादुर भी बड़ा परिश्रमी एवं हंसमुख था। वह निर्मला की बड़ी सेवा करता था। सभी बड़े आराम से रह रहे थे। सभी को बड़े गर्व से नौकर का परिचय दिया जाता था लेकिन निर्मला का पुत्र मालिक होने के अहंकार में कुछ ज्यादा ही चूर था। वह प्राय: बहादुर को पीटता और गालियां देता था। एक दिन एक पड़ोसिन ने निर्मला को उकसाया कि वह बहादुर की रोटियां ना बनाया करे। उससे कहे कि वह स्वयं अपनी रोटियां बनाए। निर्मला ने ऐसा ही किया। इससे बहादुर को बड़ी ठेस लगी। उसने रोटियां सेकने से मना कर दिया। इस पर निर्मला ने उसे कसकर चांटे मार दिए। अब उसका लड़का किशोर और निर्मला दोनों ही छोटी-छोटी गलतियों पर उसे पीटने लगे। एक बार उनके यहां कोई रिश्तेदार आया। उसकी पत्नी ने ₹11 खोने की बात कही। सबका संदेह बहादुर पर गया। सबने उसकी अत्याधिक पिटाई की। वह पिटता जाता और पूछने पर 'नहीं-नहीं' कहता जाता था।
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इस घटना के बाद बहादुर अधिक उदास रहने लगा। साथ ही उसके साथ सब दुर्व्यवहार करने लगे। 1 दिन उसके हाथ से सिल गिरकर टूट गई। वह पिटने के डर से घर से भाग खड़ा हुआ। अब उसकी अनुपस्थिति में उसका महत्व पूरे परिवार की समझ में आने लगा। सब सफाई दे रहे थे। वह वात्सल्य का भूखा बालक अपना सारा सामान भी छोड़कर भाग गया था। अपने कपड़े, अपने जूते तथा अपना वेतन सब कुछ छोड़ गया था। कुछ भी नहीं ले गया था घर में सभी आत्मग्लानि एवं अपराधबोध से ग्रसित दिखाई दे रहे थे। इस प्रकार सारे परिवार में व्याप्त स्वामित्व का दम्भ जमीन पर आ जाता है। सब परिवार बहादुर के प्रति अपने व्यवहार से लज्जित एवं पश्चाताप व्यस्त हो गया। कहानी में मानव व्यवहार का बड़ा ही मनोवैज्ञानिक चित्रण हुआ है।
प्रश्न - 'बहादुर' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - प्रस्तुत कहानी का प्रमुख उद्देश्य समाज के निम्न वर्ग की दुर्दशा और मध्यम वर्ग के झूठे प्रदर्शन तथा शान-शौकत का चित्रण कर निम्न वर्ग के प्रति पाठकों की सहानुभूति जगाना है। निम्न तथा मध्यम, दोनों ही वर्गों के लोग अपनी-अपनी परिस्थितियों से परेशान हैं। प्रस्तुत कहानी वर्ग भेद को मिटाकर समानता की स्थापना का संदेश देती है।
अमरकांत की संकलित कहानी की कथावस्तु की समीक्षा -
अमरकांत जी द्वारा लिखी बहादुर कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार में नौकर के साथ परिवारजनों द्वारा किए गए अत्यधिक कटु व्यवहार की कहानी है। बहादुर नेपाल का 12 से 13 साल का लड़का है। जो अपनी मां के कठोर व्यवहार से तंग आकर घर छोड़ कर शहर चला आता है, और निर्मला के परिवार में नौकर रख लिया जाता है। निर्मला और उसका परिवार बहादुर के प्रति पहले तो अच्छा व्यवहार करते हैं, परंतु धीरे-धीरे कठोरता परखने लगते हैं। वह घर का सारा कार्य करता है। इसके बावजूद उसके साथ गाली-गलौज से मारपीट तक की नौबत आ जाती है। झूठी चोरी का इल्जाम लगाकर उसे अपमानित किया जाता है और पीटा जाता है।
अंततः बहादुर घर छोड़कर चला जाता है। अब परिवार के सभी सदस्य उसे ढूंढते हैं क्योंकि उसके कारण सभी लोग आराम के आदि हो चुके थे। बहादुर पूरे घर का कार्य करता था जिससे सभी घरवाले आराम की जिंदगी व्यतीत कर रहे थे हर बहादुर के घर छोड़ देने पर सारा काम घरवालों पर आ गया सभी लोग एक दूसरे के ऊपर कार्य करने को कहते थे। बहादुर के घर छोड़ दिए जाने पर वे सभी पश्चाताप करते हैं तथा अच्छा व्यवहार करने की सोचते हैं परंतु अब "पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत" बहादुर में सहनशीलता और स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। उसने ऐसी चरित्र के कारण यह कहानी हमें प्रिय है।
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बहादुर का चरित्र चित्रण -
परिचय -
बहादुर जिसका का रंग गोरा है और मुंह चपटा है नेपाल के एक गांव का रहने वाला पहाड़ी बालक थे जिसके पिता युद्ध में मारे गए। मां ही सारे परिवार का भरण पोषण करती हैं। वह 10-12 साल का बालक है। सफेद रंग का नेकर, आधी बांह की कमीज और भूरे रंग का जूता पहने हुए था और माथे पर रुमाल बांधे हुए था।
मां से प्रताड़ित –
बहादुर की मां क्रोधी स्वभाव की महिला थी। वह जब तब किसी ना किसी बात पर पिटाई लगा देती थी। एक दिन बहादुर ने उसकी मां की प्रिय भैंस को डंडे से मारा और मां ने उसी डंडे से बहादुर की इतनी पिटाई की कि उसका दिल मां की ओर से फट गया। वह मां के रुपए चुराकर बस में बैठकर गोरखपुर भाग आया।
मेहनती बालक -
लेखक के साले साहब उसे लेकर आए थे और उन्होंने नौकर के रूप में उसे रख लेने का आग्रह किया। बहादुर बहुत परिश्रमी बालक था। हर काम बड़ी सफाई, होशियारी एवं मेहनत से करता था। घर के सारे काम दौड़-दौड़कर करता और सुबह से लेकर रात तक काम में लगा रहता फिर भी कभी आलस नहीं करता। अपने परिश्रम के बल पर ही वह घर के सारे सदस्यों को प्रभावित कर लेता है।
प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी -
हर समय मुस्कुराना उसका स्वभाव है। बहादुर प्रसन्नचित्त एवं मृदुभाषी स्वभाव का बालक है। छल कपट से वह कोसों दूर है। उसकी बोली में मधुरता एवं मिठास है तथा हंसी में कोमलता है। उसके साथ चाहे कोई कितना ही कठोर व्यवहार क्यों ना करें किंतु वह सदा मुस्कुराता ही रहता है।
सहनशील एवं स्वाभिमानी -
बहादुर सहनशील किंतु स्वाभिमानी नौकर है। किशोर जब उसे बात बेबात गालियां देता है एवं मारपीट करता है, तो वह चुपचाप सह लेता है किंतु जब एक दिन वह उसे 'सूअर का बच्चा' कहता है तो उसके स्वाभिमान को ठेस लगती है। मेरे बाप को क्यों गाली दी-इस बात से चिढ़कर वह किशोर की साइकिल साफ नहीं करता और पीटा जाता है। अपनी बेबसी पर रोता हुआ वह लेखक से शिकायत करता है– "बाबूजी भैया ने मेरे बाप को क्यों लाकर खड़ा किया?" इससे उसके अहम को ठेस लगी और वह विद्रोह पर उतारू हो गया।
ईमानदार और निष्कपट -
बहादुर ईमानदार एवं निष्कपट बालक है। उसने कभी कोई सामान नहीं चुराया, किंतु जब निर्मला के रिश्तेदारों ने उस पर ₹11 चुराने का इल्जाम लगाया तो उसने साफ इंकार कर दिया कि उसने रुपए नहीं चुराए हैं। भले ही वह गरीब है, किंतु ईमानदार है। वह जानता ही नहीं कि बेईमानी क्या होती है। काम करते समय यदि उसे कहीं पैसे पड़े हुए मिल जाए तो तुरंत उठाकर निर्मला को दे देता था। चोरी का झूठा आरोप उस पर लगाया गया जिससे उसके मन को बहुत ठेस लगी। वह नौकरी छोड़कर चला गया और अपना सामान तथा वेतन भी छोड़ गया।
स्नेह पाने को लालायित -
बहादुर अपनी मां से उसे जो स्नेह ना मिल सका वह उसे अन्यत्र खोज रहा है। निर्मला ने प्रारंभ में उसे मातृ स्नेह दिया किंतु बाद में जब उसने भी बहादुर को नौकर समझते हुए उसका ध्यान रखना बंद कर दिया और उसे अपने लिए रोटियां स्वयं सेकने का आदेश दिया तो बहादुर का मोह भंग हो गया। जिस स्नेह को वह खोज रहा था वह उसे ना मिल सका, यद्यपि उसने अपनी ओर से पूरी तरह निर्मला को मां समझते हुए उसका ध्यान रखा। वह उसे कोई काम ना करने देता, बीमार होने पर दवाई खिलाता तथा उसकी सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखता। समग्रत: यह कहा जा सकता है कि बहादुर एक जीवंत चरित्र है। इस प्रकार के नौकर सामान्यतः घरों में देखने को मिल जाते हैं। भले ही वह एक काल्पनिक पात्र हो किंतु उसका चरित्रांकन लेखक ने इतनी कुशलता से किया है कि पाठक उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।
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बहादुर कहानी का क्या उद्देश्य है?
उत्तर - इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति को ठेस पहुंचाना नहीं है चाहे वह किसी भी पद पर हो आप से छोटा हो या बड़ा। सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए दोषियों के प्रति मानवता एवं प्रेम का व्यवहार, ऊंच-नीच के भेद के कारण दिलों में पड़ी दरार को भर देता है। बहादुर भी यही पाना चाहता था परंतु वह मालकिन से तंग आकर घर छोड़ दिया।
बहादुर की कहानी कैसे लिखें ?
उत्तर - बहादुर एक बेसहारा नेपाली लड़का है। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और उसकी मां उसे हमेशा मारती रहती है। जिससे तंग आकर वह घर से भाग जाता है और एक मध्यमवर्गीय परिवार में घरेलू नौकर के रूप में नौकरी करने लगता है। वह हंसमुख, ईमानदार और परिश्रमी लड़का है निर्मला जो गृहस्वामिनी है। बहादुर का पूरा ध्यान रखते हैं।
बहादुर का केंद्रीय विचार क्या है?
उत्तर - बहादुर केंद्रीय विचार में मुख्यता सभी व्यक्ति या समाज आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और विपत्ति में एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए परंतु उसके साथ बिल्कुल अलग हुआ जिसके कारण पहले वह अपनी मां के घर से चला गया और दूसरा अपने मालकिन के घर से चला गया।
बहादुर के पीछे की कहानी क्या है?
उत्तर - जीवन में अपना रास्ता खुद बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित राजकुमारी मेरिडा उस प्रथा को तोड़ती है जो उसके राज्य में अराजकता लाती है। एक इच्छा पूरी हुई मेरिडा को एक क्रूर अभिशाप को मिटाने के लिए अपनी बहादुरी और तीरंदाजी कौशल पर भरोसा करना चाहिए। पिक्चर
बहादुर कहानी के रचयिता कौन है?
उत्तर - बहादुर कहानी अमरकंटक जी द्वारा रचित है।
बहादुर कहानी के माध्यम लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर - लेखक कहना चाहता है कि एक नेपाली लड़के का जीवन चरित्र को बताया गया है और उसके सामने जो विपत्तियां आई है उसको भी बताया गया है इस कहानी के माध्यम से लेकर बताते हैं कि हर व्यक्ति को सभी से मित्रता का व्यवहार करना चाहिए पता नहीं विपत्ति में कौन कहां काम आ जाए।
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