महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 | Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12th
महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय -
जीवन परिचय - श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में सन 1960 ईस्वी में होलिकोत्सव के दिन हुआ था। इनके पिता गोविंदप्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य और माता हेमरानी विदुषी और धार्मिक स्वभाव की महिला थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। संस्कृत में एम.ए उत्तीर्ण करने के बाद ही यह प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या हो गई। इनका विवाह छोटी आयु में ही हो गया था। इनके पति डॉक्टर थे। वैचारिक साम्य ना होने के कारण यह अपने पति से अलग रहती थी। कुछ समय तक इन्होंने 'चांद' पत्रिका का संपादन किया। इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा साहित्य-साधना पर रविंद्रनाथ टैगोर का विशेष प्रभाव पड़ा। इन्होंने नारी- स्वात्त्रय के लिए सदैव संघर्ष किया और अधिकारों की रक्षा के लिए नारी का शिक्षित होना आवश्यक बताया। कुछ वर्षों तक यह उत्तर प्रदेश विधान परिषद की मनोनीत सदस्या भी रही। इनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने इन्हें 'पद्मभूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'सेकसरिया' एवं 'मंगलाप्रसाद' पारितोषित इससे भी इन्हें सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 18 मई, 1983 ईस्वी को इन्हें हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री के रूप में 'भारत-भारती' पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया गया। 28 नवंबर 1983 ईस्वी को इन्हें इनकी अप्रतिम गीतात्मक काव्यकृति 'यामा' पर 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। ये प्रयाग में ही रहकर जीवन पर्यंत साहित्य साधना करती रहीं। 11 सितंबर 1987 ईस्वी को यह इस असार संसार से विदा हो गई। यद्यपि आज यह हमारे बीच नहीं है, लेकिन इनके गीत काव्य-प्रेमियों के मानस पटल पर सदैव विराजमान रहेंगे।
रचनाएं - महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य कृतियां निम्नलिखित हैं-
(1)नीहार, (2) रश्मि, (3) नीरजा, (4) सान्ध्यगीत, (5) दीपशिखा
इनके अतिरिक्त सप्तपर्णा, यामा, सन्धिनी, आधुनिक कवि, नामक इनके गीतों के संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 'प्रथम आयाम', 'अग्निरेखा', 'परिक्रमा' आदि इनकी प्रमुख काव्य रचनाएं हैं। 'अतीत के चलचित्र', 'स्मृति की रेखाएं', 'श्रंखला की कड़ियां', 'पथ के साथी', 'क्षणदा', 'साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध', 'संकल्पिता', 'मेरा परिवार', 'चिंतन के क्षण' आदि इनकी प्रसिद्ध कद रचनाएं हैं।
साहित्य में स्थान - हिंदी साहित्य में महादेवी जी का विशिष्ट स्थान है। इन्होंने गद्य और पद्य दोनों में सृजन कर हिंदी की अपूर्व सेवा की है। मीरा के बाद ये अकेली ऐसी महिला रचनाकार हैं जिन्होंने ख्याति के शिखर को छुआ है। इनके गीत अपनी अनुपम अनुभूतियों और चित्रमयी व्यंजना के कारण हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। कविवर सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के शब्दों में -
हिंदी के विशाल मंदिर की वीणापाणि,
स्फूर्ति चेतना रचना की प्रतिभा कल्याणी।
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प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कैसे लिखें?
उत्तर- महादेवी वर्मा (26 मार्च 1907-11 सितंबर 1987) हिंदी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्रीयों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न- महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन सी हैं?
उत्तर- निहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा, अग्नि रेखा, सांध्यगीत आदि।
प्रश्न- महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध रचना पर कौन-सा पुरस्कार दिया गया।
उत्तर- महादेवी वर्मा को 27 अप्रैल 1982 में काव्य संकलन ''यामा" के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार 1979 में साहित्य अकादमी फेलोशिप, 1988 में पदम विभूषण और 1956 में पदम भूषण से सम्मानित किया गया था।
प्रश्न- महादेवी वर्मा ने कौन सी कविता लिखी हैं?
उत्तर- महादेवी वर्मा की जयंती पर साहित्य आज तक के पाठकों के लिए उनकी पांच चुनिंदा श्रेष्ठ कविताएं- पूछता क्यों शेष कितनी रात, मैं नीर भरी दुख की बदली, स्वप्न से किसने जगाया, कौन तुम मेरे हृदय में, मैं अनंत पथ में लिखती जो।
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