बहुउद्देशीय परियोजना किसे कहते हैं? उद्देश्य,लाभ और हानि
बहुउद्देशीय परियोजना किसे कहते हैं?
बहुउद्देशीय परियोजनाएं वे नदी घाटी परियोजनाएं हैं, जिनसे एक ही समय में अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। इन योजनाओं को बहुमुखी योजनाएं भी कहा जाता है। इनसे होने वाले विविध लाभों और देश के आधुनिक विकास में योगदान के कारण इन्हें आधुनिक भारत के मंदिर कहा जाता है। देश के सर्वागीण आर्थिक विकास एवं क्षेत्रीय नियोजन के लिए बहुउद्देशीय या बहुध्येयी योजनाओं की क्रियान्वित किया गया है।
इन योजनाओं का तात्पर्य ऐसी योजनाओं से है,जिनका उद्देश्य एक से अधिक समस्याओं का समाधान करना होता है। इसलिए इन्हें बहुध्येयी योजनाएं कहां जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश में खाद्यान्न एवं औद्योगिक उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए इन योजनाओं को आरंभ किया गया था। इन योजनाओं का प्रारूप संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की टेनेसी नदी घाटी योजना के आधार पर तैयार किया गया है। भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं - सिंचाई परियोजनाएं तथा जल विद्युत परियोजना है।
एक नदी घाटी परियोजना जो एक साथ कई उद्देश्य जैसे - सिंचाई,बाढ़ नियंत्रण,जल एवं मृदा संरक्षण,जल विद्युत, जल परिवहन,पर्यटन का विकास,मत्स्य पालन,कृषि एवं औद्योगिक विकास आदि की पूर्ति करती है। उसे बहुउद्देशीय परियोजना कहते हैं। जवाहरलाल नेहरू ने गर्व से इन्हें आधुनिक भारत के मंदिर कहा था। इनका मानना था कि इन परियोजनाओं के चलते कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था औद्योगिकरण और नगरी अर्थव्यवस्था समन्वित रूप से विकास करेगी। जैसे- सतलुज ब्यास बेसिन में भांगड़ा नागल परियोजना जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों के काम में आती है। इसी प्रकार महानदी बेसिन में हीराकुंड परियोजना जल संरक्षण और बाढ़ पर नियंत्रण का समन्वय है। इसी प्रकार नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर, कृष्णा नदी पर नागार्जुन सागर, चिनाब नदी पर सेलाल प्रोजेक्ट व भागीरथी नदी पर टिहरी बांध परियोजना आदि बहुद्देशीय परियोजनाओं का इन उद्देश्यों को पूरा करने में समर्थ हैं।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -
1. जल विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
2. बाढ़ों पर नियंत्रण करना।
3. सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना।
4. मत्स्य पालन करना।
5. भू क्षरण पर प्रभावी नियंत्रण करना।
6. उद्योग धंधों का विकास करना।
7. आंतरिक जल परिवहन का विकास करना।
8. दलदली भूमियों को सुखाना।
9. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।
10. प्राकृतिक सौंदर्य तथा मनोरंजन व पर्यटन स्थलों का विकास करना।
11. क्षेत्रीय नियोजन तथा उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण और समुचित उपयोग करना।
12. पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करना।
बहुउद्देशीय परियोजना के लाभ -
1. बांधों में एकत्रित जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
2. यह जल विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है।
3. जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों में फसलें उगाई जा सकती हैं।
4. घरेलू व औद्योगिक कार्यों में उपयोगी होता है।
5. बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, यांत्रिक नौकायन, मत्स्य
6. पालन व मृदा संरक्षण में सहायक है।
7. बाढ़ रोकने में भी सहायता मिलती है।
8. जल भंडारण में सहायता मिलती है।
9. नेहरों द्वारा नौका परिवहन में भी सहायता मिलती है।10. मत्स्य पालन के लिए उत्तम क्षेत्र प्रदान करती है।
बहुउद्देशीय परियोजना से हानि -
1. नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट भाव कम हो जाता है।
2. अत्याधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा हो जाता है।
3. इससे भूमि का निम्नीकरण होता है।
4. भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
5. किसी कारणवश बांध के टूटने पर बाढ़ आ जाना।
6. जल जनित बीमारियां, प्रदूषण वनों की कटाई, मृदा वनस्पति का अपघटन हो जाता है।
7. बाढ़ के मैदान में जलाशय से बनाने से वहां की वनस्पति नष्ट हो जाती है,और उपजाऊ मिट्टी जलाशय में चली जाती है।
8. बांधों के कारण वहां के स्थाई निवासियों की आजीविका छिन जाती है।
9. बड़े-बड़े बांध बनने से काफी मात्रा में वहां ताल चाट जमा हो जाते हैं,और वे स्वयं ही बाढ़ के कारण बन जाते हैं।
Frequently Asked Questions
1. बहुउद्देशीय परियोजना से क्या लाभ है?
उत्तर - यह जल विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है। जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों में फसलें उगाई जा सकती हैं। घरेलू व औद्योगिक कार्यों में उपयोगी होता है। बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, यांत्रिक नौकायन, मत्स्य पालन व मृदा संरक्षण में सहायक है।
2. भारत की बहुउद्देशीय परियोजनाएं कौन सी हैं?
3. टेनेसी घाटी परियोजना कहां है?
उत्तर - टेनेसी घाटी परियोजना संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के दक्षिण पूर्व विभाग के केंद्र में स्थित राज्य में है।
4. बहुउद्देशीय परियोजना से क्या लाभ है?
उत्तर - यह जल विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है। जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों में फसलें उगाई जा सकती हैं। घरेलू व औद्योगिक कार्यों में उपयोगी होता है। बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, यांत्रिक नौकायन, मत्स्य पालन व मृदा संरक्षण में सहायक है।
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